हर गली में बिक रहा सुगंधित तंबाखू, CEO विवेक जॉन्सन, FDA, पुलिस, कलेक्ट्रेट हुए नाकाम !

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  •  न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि चंद्रपुर जिले में सर्वत्र धड़ल्ले से बिक रहा अवैध सुगंधित तंबाकू, प्रतिबंध के बावजूद 13 सालों में नहीं थमीं बिक्री
  • पाबंदी के 13 वर्षों में कानून की धज्जियां उड़ाने वालों पर आशीर्वाद किसका ?
  • CEO जॉन्सन की समिति एक माह में गायब, तंबाकू माफियाओं की जांच कर तड़ीपार करने की नीति हवा-हवाई

चंद्रपुर :

महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2012 मे सुगंधित तंबाकू जैसे अन्य पदार्थो पर भी प्रतिबंध लगा दिया। 13 साल बीत गये। इसके बावजूद चंद्रपुर जिले के हर गांव, हर शहर के प्रत्येक चौराहे, प्रत्येक गली, कूचे में धड़ल्ले से सुगंधित तंबाकू बिक रहा है। यहां खर्रे का चलन इतना बढ़ चुका है कि इसे घोंटने के लिए अब मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सुगंधित तंबाकू से बनने वाले इस खर्रे के चलते लोग, खासकर युवा बड़ी संख्या में मुंह के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। वहीं संबंधित प्रशासन बीते 13 सालों से हाथ पर हाथ धरे बैठा है। यह इस प्रतिबंधित तंबाकू पर पाबंदी लगाने में नाकाम रहा है। क्योंकि इस तंबाकू के बल पर चल रहा करोड़ों का अवैध व्यापार और इसमें भ्रष्ट अफसरों की लिप्तता मलाई के सारे रेकॉर्ड तोड़ रही है। यह संगठित अपराध और माफिया को जन्म दे रहा है। किराये के टट्टुओं से वारदातों को अंजाम देना और पैसों के बल पर, प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों की सहायता से कानूनी पेच में से बचकर निकलना अब इनकी रणनीति का हिस्सा बन गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस गंभीर मसले पर ध्यान क्यों नहीं दे पा रहे हैं ? यह चिंता का विषय है।

ज्ञात हो कि बीते कुछ दिनों से जिले में लगातार घटित हो रहे गंभीर अपराधों की चर्चाओं ने आम नागरिकों को चिंतीत कर रखा है। ऐसे में चंद्रपुर जिले में सुगंधित तंबाकू, गुटखा और अवैध नशीले पदार्थों की बिक्री करने वाले माफियाओं पर कानूनी शिकंजा कसने में संबंधित प्रत्येक विभाग नाकाम ही क्यों हो रहा है ? चाहे जिला परिषद के CEO विवेक जॉन्सन की राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत चलने वाली जिला स्तरीय समन्वय समिति हो या फिर FDA अर्थात अन्न व औषध प्रशासन विभाग हो, और तो और पुलिस और जिला प्रशासन भी तो इस मसले पर फेल ही नजर आता है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? यह चिंता करने वाली बात है।

नशे के कारोबारी, किसके लिए हितकारी ?

महाराष्ट्र सरकार ने 16 जुलाई 2020 में राज्य की पुलिस को गुटखा और सुगंधित तंबाकू की खरीद एवं बिक्री में शामिल लोगों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से आपराधिक मामले दर्ज करने की अनुमति दी थी। लेकिन यह सभी जानते है कि कौनसे चौक, चौराहों व गलियों में खर्रा, और सुगंधित तंबाकू नहीं मिल रहा है ? जबकि महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2012 में ही सुगंधित तंबाकू जैसे अन्य पदार्थो पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में बीते 13 वर्षों से प्रशासन खामोश क्यों बैठा है ? वह कौनसी मजबूरी प्रशासन के विविध विभागों को रोक रही है, जिसके चलते चंद्रपुर जिला अवैध सुगंधित तंबाकू से मुक्त नहीं किया जा रहा है ? नशे के ये कारोबारी और तंबाकू माफिया किसके लिए हितकारी-लाभकारी बन गये हैं ? इसका फायदा किसे पहुंच रहा है ? एक अनुमान के अनुसार तो राज्य में यह अवैध व्यापार करीब 3600 करोड़ का माना जाता है। तो फिर इसमें चंद्रपुर जिले का हिस्सा कितना हो सकता है ?

CEO विवेक जॉन्सन की टीम कहां गई ?

उल्लेखनीय है कि गत 18 फरवरी 2025 को जिला परिषद के CEO विवेक जॉन्सन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक जिला परिषद सभागृह में ली गई। इस बैठक में जिला सर्जन डॉ. महादेव चिंचोले, अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविष्कार खंडाले, शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) राजेश चिंचोले, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की जिला सलाहकार डॉ. श्वेता सावलीकर आदि उपस्थित थे। स्कूलों और महाविद्यालयों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लागू करने के निर्देश सीईओ विवेक जॉन्सन ने दिए। शैक्षणिक संस्थान तंबाकू नियंत्रण कानून (COTPA कानून 6B) का उल्लंघन कर रहे हैं, वहां कार्रवाई करने के आदेश स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, पुलिस विभाग और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को दिये। अब तो यह बैठक संपन्न हुए एक माह बीत गया। लेकिन चंद्रपुर जिले के हर गली में सुगंधित तंबाकू तो बिक ही रहा है। क्या यह बैठक केवल और केवल एक खानापूर्ति थी ? आज तक तंबाकू व्यापार के सरगना के गिरेबान तक प्रशासन के अधिकारी क्यों नहीं पहुंच पाएं ?

SP साहब को ध्यान देकर, तंबाकू माफिया को करना होगा तड़ीपार

महाराष्ट्र सरकार का यदि कोई प्रतिबंध बीते 13 सालों से ठीक से अमल नहीं हो पा रहा है तो इस पर जिला पुलिस प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिये। तंबाकू माफिया चाहे जितना बड़ा रसूखदार हो, चाहे उसके संबंध बड़े-बड़े राजनेताओं से हो, चाहे वह कांग्रेस-भाजपा के खेमों में उठते बैठते हो, पुलिस को चाहिये कि अब चंद्रपुर जिले को सुगंधित तंबाकू से मुक्ति दिलाएं। जिले के नागरिकों को जिला पुलिस अधीक्षक से काफी उम्मीदें है। नशे के मुख्य व्यापारियों पर कानूनी शिकंजा कसना बेहद जरूरी बन गया है। यदि समय रहते पुलिस सफल नहीं हुई तो यह माफिया तंबाकू से मिलने वाले लाखों-करोड़ों के अवैध धन के बलबूते गुंडागर्दी, अपराध, हिंसक वारदातों को करने से नहीं डरेंगे। अब एसपी साहब से उम्मीद है कि वे तंबाकू सरगना के गिरेबान तक पहुंचकर उनकी संपत्तियों की जांच करें और उनके कनेक्शन को खंगालते हुए उन्हें तत्काल यहां से तड़ीपार करें। वरना तंबाकू माफिया अपने लाभ के लिए किसी की भी हत्या करवाने की सुपारी दे सकते हैं। खासकर मीडियाकर्मी उनके रडार पर है ही।