पानी में डूब जाते मनपा के 70 लाख और चंद्रपुर भी डूबता है… हर साल निकलता है टेंडर, हर साल चंद्रपुर में जल-जमाव

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चंद्रपुर :

महानगर पालिका में टेंडर और पानी की तरह धन बहाने का खेल बरसों से थम ही नहीं रहा। हर साल चंद्रपुर मनपा करीब 70 लाख रुपये बारिश के पूर्व नालों की सफाई के लिए निकाले जाने वाले टेंडर पर बर्बाद कर देती है। यह धन इसलिए बर्बाद होते हुए नजर आता है क्योंकि चोकअप हो चुके नालों को ठीक तरह से साफ नहीं किया जाता। केवल खानापूर्ति की जाती है। और नतीजा यह होता है कि हर साल शहर के मुख्य मार्ग पर बारिश के समय जल भराव नजर आता है। कभी हिंदी सिटी स्कूल परिसर, कभी गोल बाजार, कभी आजाद गार्डन परिसर। और तो और शहर के निचले इलाकों में पानी भर जाना तो आम बात बन चुकी है। मामूली 2 घंटे की बारिश में ही शहर डूब जाने की स्थिति निर्माण होती है। तो सवाल यह उठता है कि आखिर मनपा के ठेके के 70 लाख रुपयों का होता क्या है ? नालों की सफाई होने के बावजूद शहर में जल भराव कैसे हो जाता है ? क्या नाले सफाई का ठेका महज एक दिखावा और खानापूर्ति का जरिया बन गया है ? क्या यह ठेका मलाई लूटने का बहाना बन गया है ? ऐसे अनगिनत सवाल हर साल नागरिकों के लिए मनपा की विश्वसनियता को कटघरे में खड़ा कर जाते हैं। और इसका जवाब न तो मनपा आयुक्त देते हैं और न ही कोई संबंधित अधिकारी।

ज्ञात हो कि बरसात से पहले शहर के नालों की सफाई की जाती है। इसके लिए महापालिका की ओर से गर्मियों में ही योजना बनाई जाती है। इस कार्य के लिए मनपा टेंडर प्रक्रिया करती है। शहर के 4 प्रमुख बड़े नालों सहित अन्य छोटे नालों की सफाई की योजना बनती है। इस पर मनपा कुल 70 लाख रुपये खर्च का बजट बनाती है।

सफाई के बावजूद भी जल जमाव क्यों ?

नाले सफाई पर हर साल लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। फिर भी, शहर के कुछ हिस्सों में बारिश का पानी जमा हो जाता है, यह दृश्य हर साल देखने को मिलता है। इस बार चंद्रपुर शहर में 180 किलोमीटर लंबे नालों की सफाई की जाएगी। इसमें मच्छी नाला, आज़ाद गार्डन परिसर का नाला, रहमतनगर परिसर का नाला, तथा अन्य नालों की सफाई की योजना है। शहर के छोटे नालों का पानी इन बड़े नालों में आता है। नाले खुले होने के कारण, और कई जगहों पर इनमें कचरा फेंका जाने से ये नाले कचराकुंडी का रूप ले चुके हैं। इसलिए इन नालों से कचरा निकालना मनपा की व्यवस्था के लिए आवश्यक हो गया है।

मनपा की प्लास्टिक बंदी केवल दिखावा 

नाले जाम होने का सबसे बड़ा कारण प्लास्टिक होता है। नालों में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक पाया गया है, इसलिए पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से सवाल उठाया जा रहा है कि प्लास्टिक बंदी का क्या हुआ? इस कारण महापालिका को प्लास्टिक का उपयोग करने वालों पर सख्त कार्रवाई करना आवश्यक है। लेकिन मनपा की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं किया जाना, मनपा की नियत पर सवाल खड़ा करता है।

नालों पर किया अतिक्रमण क्यों नहीं हटाती मनपा ? 

नाले सफाई पर मनपा की ओर से हर साल करीब 70 लाख रुपये तो बर्बाद किये जाते हैं, लेकिन सबसे बड़ी बाधा बनने वाले नालों के अतिक्रमण को मनपा हटाती क्यों नहीं है ? शहर के मुख्य मार्गों सहित कई नालों पर व्यापारियों ने अतिक्रमण कर निर्माण कार्य कर लिया है। जिससे सफाई कार्य में अड़चन आती है। नतीजतन, बरसात के दिनों में कई जगहों पर पानी जमा हो जाता है। विशेष बात यह है कि अतिक्रमण के कारण कई जगहों पर न तो मशीनें पहुंच सकती हैं, और न ही सफाई कर्मचारी, जिससे इन जगहों की गंदगी नहीं निकल पाती। नतीजा यह होता है कि बरसात में पानी भर जाता है।