महाराष्ट्र सरकार के नदी प्रहरी ने ही खोल दी पोल

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इरई नदी में बरसों से राजस्व विभाग को चकमा देकर रेत का अवैध खनन


चंद्रपुर.
हैरत की बात है कि एक ओर जिले के पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके करोड़ों रुपये खर्च कर इरई नदी का गहराईकरण करने की योजना को साकार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसी कार्य को अंजाम देने वाले राजस्व विभाग, खासकर खनन विभाग की ओर से बरसों से ऐसी लापरवाही बरती गई कि इरई नदी के किनारे पर गहरे गड्‌ढे बनाकर रेत तस्करों ने यहां से ऊंचे दर्जे की रेत चुरा ली। इस चोरी को साकार करने के लिए रेत तस्करों के ट्रक एवं ट्रैक्टर जा सकें, इसके लिए बाकायदा नदी के तट तक खुद का मार्ग भी बना डाला। यह सब राजस्व विभाग के नाक के नीचे चल रहा है और सरकार का करोड़ों का राजस्व डूब रहा है। लेकिन परवाह किसे है ? पर्यावरण का संरक्षण केवल भाषणों में ही सीमटकर रह गया है।
उल्लेखनीय यह है कि महाराष्ट्र शासन के इरई नदी प्रहरी तथा भूगोल के मशहूर प्राध्यापक और पर्यावरणवादी डॉ. योगेश दुधपचारे ने स्वयं ही राजस्व विभाग और रेत माफियाओं के करतूतों की पोल खोल दी। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में न केवल इस मसले को उजागर किया, बल्कि गंभीर चिंता जताते हुए अनेक सवाल उठाएं। उनके इस अभिव्यक्ति के बाद जिला प्रशासन को अपने गिरेबान में झांकना चाहिये। कहीं कोई भ्रष्ट अधिकारी की मिलीभगत से ही इरई नदी को बरसों से क्षति पहुंचाई जा रही होगी। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। प्रा. दुधपचारे ने सबूत के तौर पर चंद तस्वीरें भी पोस्ट की है। इन तस्वीरों को देखकर जिला प्रशासन को जनता से माफी मांगना चाहिये।


चंद्रपुर की जीवनरेखा संकट में
चंद्रपुर की इरई नदी को इस क्षेत्र की जनता और उद्योगों की “लाइफलाइन” कहा जाता है। परंतु आज यह नदी अवैध रेत खनन के कारण गंभीर संकट में है। प्रशासन की आंखों के सामने, शहर के पास ही इस प्राकृतिक धरोहर का तेजी से दोहन हो रहा है।


मुख्य बिंदु :


🔹 चंद्रपुर और इरई नदी का अटूट संबंध
– इरई नदी न केवल प्राकृतिक जलस्रोत है, बल्कि चंद्रपुर सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन (CTPS) जैसे महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र के लिए भी अनिवार्य रही है।
– यदि इरई नदी न होती, तो CTPS की स्थापना ही संभव नहीं होती।

🔹 नदी में अवैध खनन का धक्का पहुंचाने वाला दृश्य
– हाल ही में नदी का निरीक्षण करने पर यह देखा गया कि इसके दोनों किनारों पर अवैध रूप से रेत की बड़ी-बड़ी सुरंगें खोदी गई हैं।
– इन सुरंगों की गहराई 15 से 20 फीट तक है, जिसमें ऊपरी 5 फीट मिट्टी छोड़कर नीचे 10 फीट तक बेहतरीन गुणवत्ता की रेत मौजूद है।

🔹 “चोर नहीं, असली जियोलॉजिस्ट !”
– यह अवैध खनन करने वाले इतने कुशल हैं कि उन्हें उच्च गुणवत्ता की रेत की पहचान प्रशासन या भू-वैज्ञानिक अधिकारियों से पहले हो जाती है।

🔹 काले धन का बड़ा जाल
– एक बड़े ट्रक की रेत की कीमत लगभग ₹40,000 तक है।
– रामसेतु क्षेत्र के केवल 500 मीटर के दायरे में यह रेत चोरी से निकाली जा रही है।
– ट्रैक्टर और ट्रकों के लिए नदी में बाकायदा अवैध ‘सड़कें’ बनाई गई हैं, जिससे भारी मात्रा में रेत बाहर भेजी जा रही है।

🔹 नदी की पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) खतरे में
– अत्यधिक और अवैज्ञानिक खुदाई के कारण नदी की प्राकृतिक संरचना में बदलाव आ गया है।
– रेत की चोरी के कारण शासन को भारी राजस्व हानि भी हो रही है।

🔹 प्रशासन की पहल, पर आंतरिक खतरा कायम
– प्रशासन द्वारा शहर के बाहर नदी की गहराई बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है, जिससे संभावित बाढ़ के खतरे को कम किया जा सकेगा।
– इसके लिए चंद्रपुर जिला प्रशासन की सराहना की जानी चाहिए।
– लेकिन चंद्रपुर शहर के करीब चल रही अवैध रेत चोरी चिंता का गंभीर विषय बनी हुई है।

अंतिम बात

इरई नदी के संरक्षण की आवश्यकता आज पहले से कहीं अधिक है। यह न केवल चंद्रपुर की पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके भविष्य की सुरक्षा के लिए भी निर्णायक है। शासन और जनता को मिलकर इस संकट का समाधान ढूंढ़ना होगा।