चंद्रपुर जिले के MIDC बन गये बंजर

25

■ अधिवेशन में 6 विधायकों को करना चाहिए शंखनाद

चंद्रपुर.
जिले के अनेक तहसीलों में MIDC के भूखंड उद्योगों के लिए तरस रहे हैं। रोजगार नहीं मिलने के कारण यहां के शिक्षित युवाओं को पलायन करना पड़ रहा है। न केवल बाहरी जिलों में बल्कि बाहरी राज्यों में जाकर रोजगार करने की नौबत आन पड़ी हैं। ऐसे में स्थानीय जनता उम्मीद जता रही है कि वर्तमान में चल रहे अधिवेशन के दौरान जिले के 6 विधायकों की ओर से इस गंभीर समस्या पर सदन का ध्यानाकर्षण कर चंद्रपुर जिले के लिए कोई विशेष पैकेज अथवा किसी बड़े उद्योग को यहां स्थापित करने की पहल की जाएं। वर्तमान में जिले में भाजपा के 5 एवं कांग्रेस का एक विधायक कार्यरत हैं। इनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार, किशोर जोरगेवार, करण देवतले, कीर्तिकुमार भांगडिया, देवराव भोंगले के अलावा कांग्रेस नेता विजय वडेट्‌टीवार जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इन्हें जिले के सभी MIDC पर विशेष ध्यान देते हुए सदन में आवाज उठाना चाहिये।


📉 MIDC क्षेत्रों की दुर्दशा, युवाओं में निराशा और बेरोजगारी का विस्फोट

🔴 4 दशक बाद भी नहीं बदली किस्मत
कभी औद्योगिक जिले के तौर पर प्रसिद्ध चंद्रपुर अब बेरोजगारी और उद्योगहीनता के अंधकार में डूबता जा रहा है। वेकोलि, बिजली उत्पादन, पेपर मिल और सीमेंट उद्योगों की स्थापना के बाद जो पहचान बनी थी, वह अब धुंधला चुकी है।

🏭 बंजर MIDC और खाली भूखंड : भविष्य की नींव पर उग आई घास
▪️ जिले के अधिकतर MIDC क्षेत्र केवल नाम के लिए मौजूद हैं, न कोई उद्योग, न कोई निवेश।
▪️ भूखंडों पर झाड़ियां और घास उग आई हैं, वर्षों से विकास कार्य ठप पड़े हैं।
▪️ शिक्षित युवा रोजगार की तलाश में दूसरे जिलों और राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं।
▪️ बढ़ती बेरोजगारी ने समाज में असंतोष, अपराध और पलायन जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म दिया है।

📍 नागभीड़ : 40 साल पुराना सपना अब भी अधूरा
▪️ नागभीड़ MIDC में उद्योगों के लिए आवंटित ज़मीन पर व्यापारियों ने कब्जा जमा लिया है।
▪️ बीते चार दशकों से कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं हो सका।
▪️ दो-तीन छोटे उद्योगों को छोड़ दें तो शेष भूखंड वीरान हैं।
▪️ स्थानीय प्रशासन और नेताओं की उदासीनता से युवाओं में गहरा रोष है।

🌊 गोंडपिपरी : नदी के किनारे भी सूना विकास
▪️ तेलंगाना से सटे इस तहसील में नदी किनारे की भूमि पर भी कोई उद्योग नहीं लगा।
▪️ 1980 में 35 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हुआ लेकिन आज तक उपयोग नहीं हो सका।
▪️ युवा रोजगार के लिए तेलंगाना का रुख कर रहे हैं।

🏜 मूल : आकापुर-मरेगांव का 30 साल का सूखा
▪️ कुल 47 भूखंडों में से केवल 4 पर ही उद्योग चालू हैं।
▪️ बाक़ी ज़मीनें खाली पड़ी हैं, घास-झाड़ियां फैल चुकी हैं।
▪️ बेरोजगारी से युवा पलायन को मजबूर हैं और अपराधों की संख्या बढ़ रही है।
▪️ यहां की कंपनियों ने ग्राम पंचायत का टैक्स तक नहीं चुकाया – आकापुर ₹ 20 लाख और मरेगांव ₹ 47 लाख का बकाया।

⚡  चंद्रपुर-भद्रावती : खोया औद्योगिक गौरव
▪️ चंद्रपुर MIDC में पहले 250 उद्योग थे, अब महज़ 80 रह गए हैं।
▪️ भद्रावती बिजली परियोजना 27 वर्षों से अधर में लटकी है।
▪️ 1183 हेक्टेयर ज़मीन देने, रेलवे ट्रैक और पानी की सुविधा के बावजूद निप्पॉन डेन्ड्रो प्रकल्प साकार नहीं हो सका।

🌾 पोंभूर्णा : खनिज से समृद्ध, उद्योगों से वंचित
▪️ आदिवासी बहुल यह तहसील कृषि और खनिज संपन्न है, फिर भी उद्योगविहीन है।
▪️ पिछले 8 वर्षों से MIDC केवल कागजों में अस्तित्व में है।
▪️ सरकार और स्थानीय प्रतिनिधियों की अनदेखी से युवा पीढ़ी आक्रोशित है।

🌾 सिंदेवाही : धान की भूमि, सपनों की तंगी
▪️ यहां के युवा धान आधारित उद्योगों की मांग कर रहे हैं, पर कोई सुनवाई नहीं हो रही।
▪️ बेरोजगारी बढ़ने से क्षेत्र के युवा जिले से बाहर रोजगार तलाशने को विवश हैं।
▪️ सरकार और नेताओं की निष्क्रियता से लोग हताश हो गए हैं।

 🚨 जागरूकता और जवाबदेही की आवश्यकता
📌 अगर जल्द ही औद्योगिक विकास को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए गए तो चंद्रपुर की पहचान केवल “औद्योगिक अतीत” तक ही सिमट कर रह जाएगी।
📌 राज्य सरकार, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को मिलकर इस औद्योगिक ठहराव को तोड़ना होगा – नहीं तो बेरोजगारी का यह टाइम बम भविष्य में बड़ा सामाजिक संकट बन सकता है।

🛠️ समाधान की दिशा में सुझाव :
✅ अप्रयुक्त MIDC भूखंडों का पुनरावलोकन कर उन्हें सक्रिय किया जाए।
✅ स्थानीय युवाओं की कौशल प्रशिक्षण हेतु विशेष योजनाएं चलाई जाएं।
✅ धान और खनिज आधारित उद्योगों को प्राथमिकता दी जाए।
✅ भूमि अधिग्रहण कर उद्योग स्थापित करने की दिशा में ठोस समयबद्ध कार्य योजना बनाई जाए।