“जेल में डालो या हमारी ज़मीन वापस दो!” – कोलाम आदिवासियों का हुंकार

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■ माणिकगड खदान पर आदिवासियों का एल्गार

चंद्रपुर.

📍 12 वर्षों से जारी संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर
▪️ चंद्रपुर जिले के गडचांदूर स्थित माणिकगड अल्ट्राटेक सिमेंट खदान परियोजना के खिलाफ कोलाम आदिवासियों का आंदोलन अब उग्र होता जा रहा है।
▪️ जन सत्याग्रह आदिवासी संगठन द्वारा वर्षों से भूमि अधिकारों को लेकर किया जा रहा संघर्ष अब सड़कों पर उतर आया है।

🔹 किस बात को लेकर विवाद है ?
▪️ परियोजना के लिए 18 आदिवासी परिवारों की जमीनें गैरकानूनी रूप से अधिग्रहित की गईं
▪️ इन परिवारों को न नौकरी मिली, न मुआवज़ा
▪️ दो पीढ़ियां बर्बाद हो चुकी हैं, फिर भी कोई कानूनी निर्णय नहीं लिया गया

📌 बैठकों की भरमार, निर्णय शून्य
▪️ 3 बैठकें उपविभागीय अधिकारी राजुरा द्वारा
▪️ 2 बैठकें जिलाधिकारी द्वारा
▪️ 1 बैठक पालकमंत्री की उपस्थिति में
▪️ नवीनतम बैठक अप्पर जिलाधिकारी नितीन व्यवहारे की अध्यक्षता में राजुरा में हुई
➡️ लेकिन आज तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया

🚨 कंपनी के खिलाफ गंभीर आरोप
▪️ 30 हेक्टेयर भूमि का गैरकानूनी रजिस्ट्रेशन
▪️ बिना अनुमति पेट्रोल पंप का निर्माण
▪️ खेत जमीनों पर कब्जा व रास्तों का मनमाना निर्माण
▪️ पानी के स्रोतों का नाश और रास्तों की सीमा में बदलाव
▪️ एक भी आदिवासी को नौकरी न देना

➡️ इन सबके बावजूद कंपनी पर एक भी मामला दर्ज नहीं, जबकि आदिवासियों पर 8 आपराधिक मामले दर्ज कर पुलिस का दमन जारी है।

8 महीने से धरना, लेकिन प्रशासन मौन
▪️ शंकर मूर्ती माइन क्षेत्र में आदिवासी पुरुष और महिलाएं लगातार धरने पर बैठे हैं
▪️ ना कोई संवाद, ना कोई आश्वासन
▪️ प्रशासनिक अधिकारियों की लगातार टालमटोल ने आंदोलनकारियों को आक्रोशित कर दिया है

🗣️ अबकी बार आंदोलन नहीं रुकेगा !
▪️ 24 जून 2025 को ‘हापर’ क्षेत्र में फिर से ठिया आंदोलन शुरू

▪️ आंदोलनकारियों की स्पष्ट माँग :
> “हमें हमारी ज़मीन दो, नहीं तो जेल में डालो !”

👤 नेता आबिद अली का बयान
> “यह आदिवासियों की चेष्टा है। प्रशासन और पुलिस समाज में दरार पैदा करने की साजिश कर रहे हैं। 2018 से रिपोर्ट दी जा रही है, पर कोई निर्णय नहीं। अब न्याय चाहिए, नहीं तो ‘जेल भरो आंदोलन’ के लिए तैयार हैं।”

📢 अब सरकार को देना होगा जवाब
कोलाम आदिवासियों का आक्रोश चरम पर है।
उनकी भावनाएं साफ़ हैं –
> “हम अब पीछे नहीं हटेंगे, या तो हमारी जमीन वापस दो या हमें जेल में डाल दो !”

📌 अंतिम बात :
▪️ माणिकगड की सड़कों पर आज सिर्फ आंदोलन नहीं, बल्कि न्याय की मांग, पीढ़ियों की पीड़ा और एक समुदाय का भविष्य दांव पर है।
▪️ सरकार और प्रशासन को अब तत्काल हस्तक्षेप कर न्यायसंगत समाधान निकालना ही होगा।