संपादकीय, 15 जून 2025 : गुरुवार को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद एयर इंडिया की उड़ान AI-171, एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, मेहमानीनगर क्षेत्र में बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस भीषण हादसे में 241 यात्रियों और चालक दल के 242 में से केवल एक व्यक्ति जीवित बचा, जबकि जमीन पर मौजूद 29 लोग, जिनमें पांच मेडिकल छात्र शामिल थे, इस त्रासदी में मारे गए। मरने वालों की संख्या अब बढ़कर 270 हो चुकी है। इस हादसे ने न केवल देश को झकझोर दिया है, बल्कि निजीकरण, सरकारी जवाबदेही, और हवाई सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
निजीकरण के दौर में हादसे की गूंज
एयर इंडिया, जो 2022 में टाटा समूह को 350 मिलियन डॉलर में बेची गई थी, इस समय अपनी छवि को पुनर्जनन करने की कोशिश में थी। टाटा समूह ने नए विमानों के लिए 570 विमानों का रिकॉर्ड-तोड़ ऑर्डर दिया था, जिसमें बोइंग और एयरबस दोनों शामिल थे। लेकिन इस हादसे ने निजीकरण के बाद की चुनौतियों को उजागर कर दिया। दूसरी ओर, अहमदाबाद हवाई अड्डे का संचालन और प्रबंधन पिछले कुछ वर्षों से अडानी समूह के पास है। इस हादसे के बाद सोशल मीडिया पर कई लोग निजीकरण को इसका जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “निजीकरण का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब सरकार को कोई जवाबदेही नहीं लेनी पड़ती।”
पायलट की अंतिम पुकार: “थ्रस्ट नहीं मिला, गिर रहा हूँ”
जांच में पता चला कि विमान के पायलट, कैप्टन सुमीत सभरवाल, ने उड़ान भरने के तुरंत बाद हवाई यातायात नियंत्रण (ATC) को “थ्रस्ट नहीं मिला,” “गिर रहा हूँ,” और “मेडे” जैसे संकट संदेश भेजे थे। विमान ने केवल 650 फीट की ऊंचाई हासिल की थी, जिसके बाद यह तेजी से नीचे गिरा और हवाई अड्डे से 2 किलोमीटर दूर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
जांच की प्रक्रिया और सवालों का सैलाब
केंद्र सरकार ने इस हादसे की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय बहु-विषयक समिति गठित की है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन करेंगे। समिति को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है, और बोइंग के साथ-साथ यूके और यूएस की जांच टीमें भी इस प्रक्रिया में शामिल हो चुकी हैं।
हालांकि, विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि संभावित कारणों में दोहरे इंजन की थ्रस्ट हानि, पक्षी टक्कर, पायलट त्रुटि, या तकनीकी खराबी शामिल हो सकती है। एक विशेषज्ञ ने कहा, “यह पहली बार है जब बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का कोई घातक हादसा हुआ है।”
जवाबदेही का सवाल: सरकार चुप क्यों?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से इस हादसे के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की है। उन्होंने कहा, “सरकार को यह रवैया नहीं अपनाना चाहिए कि ‘हादसे तो होते रहते हैं।'” कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी एकजुटता और गहन जांच की मांग की।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा है। एक यूजर ने लिखा, “प्लेन में दो शक्तिशाली इंजन थे। अगर एक में खराबी होती, तो दूसरा काम करता। पायलट के पास 8000 घंटे से ज्यादा का अनुभव था। फिर यह हादसा कैसे हुआ?” एक अन्य यूजर ने सवाल उठाया, “अहमदाबाद हवाई अड्डे का रखरखाव किसके पास है? क्या यह हादसा वहां की खराब व्यवस्था का नतीजा है?”
सरकार की चुप्पी और विपक्ष का हमला
इस हादसे ने हाल के वर्षों में हुई अन्य त्रासदियों को भी याद दिलाया है। पुलवामा में 45 जवानों की शहादत, मणिपुर में हिंसा, पहलगाम में पर्यटकों की हत्या, और मोरबी में पुल हादसे जैसे कई मौकों पर सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठे हैं। विपक्ष का कहना है कि पहले दुर्घटनाओं के बाद जिम्मेदार लोगों से इस्तीफे मांगे जाते थे, लेकिन अब ऐसा क्यों नहीं हो रहा?
मुआवजा और सहायता: क्या यह पर्याप्त है?
टाटा समूह ने मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये और एकमात्र जीवित बचे व्यक्ति को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने की घोषणा की है। इसके अलावा, घायलों के चिकित्सा खर्च भी वहन किए जाएंगे। लेकिन कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह मुआवजा उन परिवारों के दर्द को कम कर सकता है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया?
आगे की राह
यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए एक चेतावनी भी है। सरकार ने सभी बोइंग 787 विमानों का निरीक्षण करने का आदेश दिया है, लेकिन क्या यह कदम पर्याप्त है? क्या निजीकरण के बाद रखरखाव और सुरक्षा मानकों में कमी आई है? और सबसे बड़ा सवाल—इस हादसे के लिए जिम्मेदार कौन है?
जैसा कि जांच आगे बढ़ रही है, देशवासियों की निगाहें उन जवाबों पर टिकी हैं जो इस त्रासदी के कारणों को उजागर करेंगे। लेकिन जब तक ये जवाब नहीं मिलते, अहमदाबाद के इस हादसे ने एक बार फिर सरकार और निजी कंपनियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह निजीकरण का दुष्परिणाम है, या सरकारी नाकामी का परिणाम? इसका जवाब समय और जांच ही दे पाएंगे।