वेकोलि कर्मचारी पर जानलेवा हमला,मजदूरों का आक्रोश और वेकोलि प्रशासन की चुप्पी

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राजुरा : WCL के गोवारी पवनी एक्सप्लोरेशन माइन में ड्राइवर के रूप में काम करनेवाले कर्मचारी शंकर पचपुते (उम्र 59), पर बल्लारपुर में काम पर जाते समय छह अज्ञात हमलावरों ने बेरहमी से हमला किया। वे उसे झाड़ियों में घसीट कर ले गए और लोहे की रॉड से बुरी तरह पीटा, जिससे उसके दोनों हाथ और पैर टूट गए। शंकर पचपुते की हालत फिलहाल गंभीर है और उन्हें पहले सस्ती के स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया, फिर इलाज के लिए नागपुर के राठी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

शंकर पचपुते पर हुए हमले ने कोयला खनन उद्योग, खासकर WCL में कामगारों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह घटना कार्यस्थल पर और काम पर आने-जाने के दौरान सुरक्षा में बड़ी चूक को उजागर करती है। श्रमिकों की सुरक्षा के लिए करोड़ों के बजट के बावजूद अपराधियों द्वारा आसानी से हमला कर भाग जाने की शर्मनाक घटना स्थानीय पुलिस व्यवस्था और वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है।

राजुरा पुलिस ने संदेह के आधार पर रामपुर से एक युवक को हिरासत में लिया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, स्वान टीम और चंद्रपुर फिंगरप्रिंट यूनिट घटनास्थल पर पहुंचे। जांच के दौरान एक लोहे की पाइप, एक रूमाल और खून से सनी मिट्टी जब्त की गई।साथ ही फिंगरप्रिंट के नमूने भी एकत्र किए गए हैं। छह आरोपियों में से केवल एक को पुलिस ने गिरफ्तार कर आगे की जांच की जा रही है इतनी बड़ी हिंसक घटना के बावजूद पुलिस ने अभी तक हमले का ठोस मकसद, साजिशकर्ताओं के बारे में जानकारी या हमलावरों की चेन का खुलासा नहीं किया है।

मजदूरों का आक्रोश और वेकोलि प्रशासन की चुप्पी

जैसे ही यह घटना प्रकाश में आई, पूरे सास्ती क्षेत्र में श्रमिकों में गुस्से की लहर दौड़ गई। कई लोगों ने सीधे प्रशासनिक कार्यालय तक मार्च करते हुए जमा हो गए और उन्होंने प्रशासकों से सीधे सवाल उठाए हैं –

  • “यदि काम पर जाते समय हमारा जीवन सुरक्षित नहीं है, तो काम की गारंटी कौन देगा?”
  • “श्रमिकों पर हमले के बावजूद WCL चुप क्यों हैं?”

वेकोलि प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली है। डब्ल्यूसीएल श्रमिक हमलाः सुरक्षा बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं, घायल श्रमिक के परिवार को मदद का कोई आश्वासन नहीं! वेकोलि की सुरक्षा व्यवस्था के महज कागजी कार्रवाई और पुलिस का अस्पष्ट आश्वासन कि ‘जांच चल रही है’ पर कब तक मजदूरों की जान का खतरा बना रहेगा?