पुलिस की दर्जनों कार्रवाई के बाद भी जिले में धड़ल्ले से बिक रहा सुगंधित तंबाखू और गुटखा

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सांवली में अवैध सुगंधित तंबाकू का ज़ख़ीरा बरामद, दो आरोपी गिरफ्तार

 

चंद्रपुर : जिले में अवैध तंबाकू और पान मसाले की बिक्री पर शिकंजा कसते हुए, स्थानीय अपराध शाखा चंद्रपुर की टीम ने सावली पुलिस थाना क्षेत्र में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। गश्त के दौरान प्राप्त गोपनीय सूचना पर कार्रवाई करते हुए, पुलिस ने बड़ी मात्रा में अवैध सुगंधित तंबाकू सहित नकदी और मोबाइल फोन जब्त किए हैं। जब्त की गई वस्तुओं में शामिल हैं सुगंधित तंबाकू ब्रांड: माजा, ईगल, होला-हुवैका नकदी राशि विवो कंपनी का मोबाइल फोन कुल मूल्यः ₹2,12,136/-इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी हैं नितेश दिलीप भाईसारे, विजय भीमाजी भांडेकर (दोनों निवासीः केरोडा  तहसील सावली, जिला चंद्रपुर) दोनों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत सावली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक  मुम्मका सुदर्शन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती रीना जनबंधु और स्थानीय अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षक  अमोल कचोरे के मार्गदर्शन में की गई। टीम का नेतृत्व सपोनि  दीपक कॉकरेडवार, सपोनि  बलराम जादोकर, सपोनि धनराज कारकडे, पोहवा चेतन गज्जलवार एवं  किशोर वाकटे (स्थानीय अपराध शाखा, चंद्रपुर) द्वारा की गई है।

सुगंधित तंबाकू से बढ़े जिले में ओरल कैंसर के मरीज

चंद्रपुर शहर और पूरे जिले में ओरल कैंसर के पीडित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। एक सर्वेक्षण और निजी स्तर पर किये गये अनुसंधान के ऑनलाइन डेटा बेस से पता चलता है कि इसके लिए मुख्स रुप से आसानी से जिले में सर्वत्र शहर-शहर गांव-गांव और गली-गली उपलब्ध तंबाकू और तंबाकूजन्य पदार्थ जिम्मेदार है। ज्यादातर सुगंधित तंबाकू माजा 108. सिगारेट आदि के इस्तेमाल को अधिक घातक बताया गया है। 20 से 25 वर्ष के युवा और स्कूली बच्चे इसके बाड़े पैमाने पर शिकार हो रहे हैं और सबसे बड़ी चिंतावाली बात यह है कि जिला सरकारी अस्पताल और चंद्रपुर के मा. सा. कन्नमवार सरकारी मेडिकल कॉलेज में इसका पुख्ता इलाज उपलब्ध नहीं है। शुरुआती दौर का मामला हो तो उससे यहां निपटा जाता है मगर एडवांस स्टेज में मरीज को नागपुर रेफर करना पड़ता है। स्थिति अत्यंत गंभीर है और ओरल कैंसर की समस्या घातक स्तर तक पहुंच गयी है। सवाल है जिले में नशामुक्ति अभियान चलाया जाता है, तंबाकू और तंबाकूजन्य पदार्थों के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराया जाता है, सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान प्रतिबंधित किया जाता है, फिर भी न तंबाकू सेवन बंद होता है और न ओरत कैसर का फैलना रुकता है। इसकी मूल जड सुगंधित तंबाकू है। जब सबको यह मालूम है तो फिर जिले में उसे बैन क्यों नहीं किया जाता ? क्यों नहीं उसकी खरीद फरोख्त पर पाबंदी लगायी जाती? क्यों नहीं प्रतिबंधित सुगंधित तंबाकू को अवैध धंधा करने बालों को तडिपार कर दिया जाता? सवाल तो कई है लेकिन जवाब का क्या?

बच्चे व युवा हो रहे शिकार, करना होगा इसका इलाज

एफडीए कुछ नहीं करता, एनसीबी भी कुछ करने में अपने आपको असमर्थ बताता है। ऐसे में जो भी कुछ करती है वो जिला पुलिस ही करती है। छोटी मोटी कार्रवाईयां करती है, छापामारी करती है तया सुगंधित तंबाकू और गुटखे की छोटी बड़ी खेप बरामद करती है। लेकिन वस इतना काफी नहीं है। बाहरी जिलों एवं राज्यों से जिले में होने वाली तंबाकू और गुटखा तस्करी रोकनी होगी। उसका नेटवर्क ध्वस्त करना तथा तंबाकू व गुटखा माफियाओं तथा तस्करों के राजनीतिक आकाओं को बेनकाब करना होगा। ऐसा नहीं कि पुलिस तंबाकू माफिया और तस्करों को जानती नहीं। ऐसा भी नहींकि वो उनके आवाओं को पहचानती नहीं। फिर सवाल यह उठता है कि वो उनके खिलाफ कार्रवाई करती क्यों नहीं? क्यों नहीं वो तंबाकू माफिया, एफडीए के अष्ट अफसर और पंपेबाज राजनेताओं के सिंडिकेट का पर्दाफाश कर पाती है? क्या उसके भी हाथ सोने की डोर से बंधे हुये हैं। जिले में तंबाकू, गुटखा तस्करी के तार मध्यप्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से जुड़े है। क्या चंद्रपुर जिला पुलिस की इतनी औकात है कि वो इसका भंडाफोड़ कर सके। जिले की जनता के जीवन से खिलवाह करनेवाली इस भयानक बीमारी का इलाज अवश्यंभावी हो गया है।