दुर्गापुर पुलिस की कार्रवाई, 2 युवक एमडी मफ़ेड्रोन ड्रग्स के साथ गिरफ्तार

52

 

चंद्रपुर जिले में अमली पदार्थ की बिक्री और तस्करी पर कार्यवाही के आदेश जिला पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन ने जारी किए है। इसी आदेश से 7 जनवरी 2025 को दुर्गापुर पुलिस स्टेशन क्षेत्र में ड्रग्स अमली पदार्थ की बिक्री होने की गुप्त जानकारी मिली थी। जिसमे वृंदावन नगर में पुलिस ने जाल बिछाकर गणेश सदानंद देवगड़े और शेख नदीम शेख रहीम को पकड़ा है। दोनों की जाँच करने पर प्लास्टिक की पन्नी में एमडी मफ़ेड्रोन पाउडर 7.330 ग्राम कीमत 27 हजार 320 और दुपहिया कीमत 60 हजार ऐसा कुल 87 हजार 320 का मुदेमाल जप्त किया है। आरोपी गणेश सदानंद देवगड़े और शेख नदीम शेख रहीम के विरोध में दुर्गापुर पुलिस स्टेशन में कलम 8 क, 21 (ब), 29 एनडीपीएस एक्ट 1985 तहत मामला दर्ज किया है। इस मामले में गणेश सदानंद देवगड़े और शेख नदीम शेख रहीम से पूछताछ करने पर एमडी मफ़ेड्रोन ड्रग्स नागपुर से लाने की कबूली देने पर दुर्गापुर स्टेशन के दल ने नागपुर जाकर 1 आरोपी को गिरफ्तार किया है।

यह कार्यवाही जिला पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन, अप्पर जिला पुलिस अधीक्षक रीना जनबंधु, एसडीपीओ सुधाकर यादव के मार्गदर्शन में दुर्गापुर पुलिस स्टेशन पुलिस निरीक्षक लता वाढीवे के नेतृत्व में पोउपनि गिरीश मोहतूरे, पोहवा योगेश शार्दुल, रुपेश सावे, संपत पुलिपाका, मंगेश शेंडे, प्रमोद डोंगरे, किशोर वल्के, नरेश शेंडे द्वारा की गई है।

तस्करी वाले क्षेत्रों पर चौकसी बढ़ाई जाए

चंद्रपुर में नशीले पदार्थों की धड़ल्ले से हो रही बिक्री के कारण बड़ी संख्या में युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं, साथ ही आपराधिक गतिविधियों में उनकी संलिप्तता भी बढ़ रही है। कई युवा इंजेक्शन और सिगरेट के ज़रिए ड्रग्स का सेवन कर रहे हैं। बाबूपेठ, बागड़ खिड़की और बिनबा गेट जैसे कई इलाके शहर के उन हॉटस्पॉट में से हैं जहाँ नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं।सरलता से मादक पदार्थ उपलब्ध हो जाने से नशाखोरी की समस्या भयावह हो चली है। अत: इन क्षेत्रों पर चौकसी बढ़ा देनी चाहिए। साथ ही, स्कूल- कॉलेज के बाहर भी पुलिस की निगरानी होनी चाहिए, ताकि नशीले पदार्थों की डिमांड को रोका जा सके। डिमांड नहीं होगी, तो सप्लाई स्वत: ही कम हो जाएगी। पुलिस, प्रशासन, राजनेताओं को समस्या का हल निकालना होगा, वर्ना आने वाली पीढ़ी को नशे से बचाना असंभव होगा।

आबकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी

देश में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए कानून तो हजारों बना दिए जाते हैं, लेकिन सख्ती के साथ लागू नहीं किए जाते। इसी वजह से कोई भी समस्या जड़ से खत्म नहीं हो रही। नशीले पदार्थों की तस्करी धड़ल्ले से हो रही है, क्योंकि आबकारी निरीक्षकों का इस तरफ ध्यान ही नहीं है। नशीले पदार्थ बेचने वालों और सेवन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

जन-जागरूकता जरूरी

नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए जन जागरूकता जरूरी है। स्थानीय लोग जब तक इस अपराध के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे, तब तक बड़े स्तर पर कार्रवाई होना मुश्किल है। पुलिस की तस्करों तक पहुंच बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए। तस्करी संबंधी कानून में कठोर सजा के प्रावधान किए जाएं ।

अभिभावकों की जिम्मेदारी

बढ़ते तनाव ने बड़ी संख्या में युवा वर्ग को नशे के दलदल में धकेल दिया है। मादक पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रग माफिया ऐसे ही युवाओं का सहारा लेते हैं। देश में ऐसा कोई राज्य नहीं बचा है, जहां नशीले पदार्थों की तस्करी न होती हो। ऐसे में तस्करी को रोकने के लिए अभिभावकों की बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है कि वे अपने युवा होते बच्चों की गतिविधियों पर सतत नजर रखें। अन्यथा लत लगने के बाद ये युवा ही नशीले पदार्थ पाने की चाह में तस्करी जैसे कार्यों में लिप्त हो सकते हैं।