शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने गुरुवार, 5 दिसंबर को पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा की नीतियों पर अनेक सवाल उठाएं। इस समय उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे के शासन का युग खत्म हो गया है। वे फिर कभी महाराष्ट्र के सीएम नहीं बनेंगे। भारतीय जनता पार्टी पर उनका इस्तेमाल करने और किनारे कर देने का आरोप राउत ने लगाया।
महाराष्ट्र में हाल के चुनाव परिणामों ने जनता को झकझोर दिया है। लोगों का चुनावी प्रक्रिया पर विश्वास कमजोर हुआ है। कई गांवों में मॉक पोल (प्रतीकात्मक मतदान) किए जा रहे हैं, जो प्रशासन के लिए चिंता का विषय है। इन मॉक पोल को रोकने के लिए धारा 144 लगाई जा रही है, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की लेंगे शपथ
काफी राजनीतिक उठापटक और खींचतान के बाद देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। हालांकि उनके पास बहुमत होने के बावजूद सरकार गठन में 12-13 दिन लग गए। इसके पीछे महायुति के भीतर आपसी मनमुटाव और समीकरणों को वजह माना जा रहा है। फडणवीस को शुभकामनाएं देते हुए राज्य की जनता उम्मीद करती है कि वह महाराष्ट्र की परंपरा के अनुसार राज्य की भलाई के लिए काम करेंगे।
पिछले 3 वर्षों में राज्य की दुर्दशा
पिछले ढाई-तीन वर्षों में महाराष्ट्र को आर्थिक और सामाजिक रूप से भारी नुकसान झेलना पड़ा। राज्य के रोजगार, उद्योग, संपत्ति और सार्वजनिक उपक्रमों पर कथित रूप से डकैती जैसी स्थिति बनी। नई सरकार पर राज्य को फिर से उसकी पुरानी प्रतिष्ठा दिलाने की जिम्मेदारी है। यदि ऐसा होता है, तो फडणवीस को एक सफल मुख्यमंत्री के रूप में याद किया जाएगा।
मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक समीकरण
फिलहाल केवल तीन लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इनमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार उपमुख्यमंत्री बने हैं। यह राजनीतिक समीकरण दर्शाता है कि शिंदे का युग अब खत्म हो चुका है। बीजेपी की रणनीति पर आरोप लगते रहे हैं कि वह सहयोगियों की पार्टियां तोड़कर उन्हें कमजोर करती है।
मराठी अस्मिता और नई सरकार की जिम्मेदारी
मराठी भाषा और संस्कृति की रक्षा करने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और उनकी सरकार की है। मराठी अस्मिता की रक्षा केवल भाषा को प्रतिष्ठित दर्जा देकर पूरी नहीं होगी। मुंबई और महाराष्ट्र के मराठी लोगों के हितों को बचाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
लोकतंत्र और विरोध प्रदर्शन
चुनाव परिणामों के खिलाफ राज्य के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। लोग इन परिणामों को स्वीकार करने में हिचक रहे हैं। मणिपुर में हिंसा और असम में बीफ बैन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है, जिनका असर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ रहा है।
अंतिम शब्द
नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनकी टीम के पास जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की बड़ी जिम्मेदारी है। राज्य की राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि महाराष्ट्र का भविष्य किस दिशा में जाता है।