गुंडागर्दी व हिंसा पर उतारू कोल माफिया, कोयले की लूट जोरों पर, अपराधों में तेज वृद्धि

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कोयला व्यापारियों के बीच व्यावसायिक प्रतिस्रपर्धा के चलते जिले के कोयला क्षेत्र में अशांति का माहौल

चंद्रपुर जिले के कोयला क्षेत्र में इन दिनों जबरदस्त अशांति का माहौल है। आतंक, असुरक्षा, अफरातफरी व असंवेदनशीलता का खतरनाक दर चल रहा है। यह सब कोयला व्यवसाय में चल रही जोरदार प्रतिस्पर्धा के कारण हो रहा है। कोयला ढुलाई करने वाले ट्रान्सपोर्टरों, कोयला ढुलाई करने वाले कोल वॉ़शळरीजवाले, कोयला का व्यवसाय करने वाले व्यापारियों, चोरी का कोयला खरीदने का बिजनेस करनेवाले कोल डेपोवालों एवं स्क्रैप उठाने का ठेका लेने वाले भंगार ठेकेदारों के कारण हो रहा है। इन धंधेबाजों नमे व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा में अपनी अपनी फांदेबाजी बिना किसी व्यवधान के चले तथा जो इसमें आडे आये रुकावट डाले, विरोध करे तथा समस्या पैदा करें उसे निपचटा जाये इस हेतु अपने अपने गैंग पाल रखे हैं। अपने व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा को बाहर के बाहर निपटा डालना और वेकोलि में जो भी कुछ ईमानदार, कर्तव्यतत्पर व निडर अधिकारी बचे हैं उन पर बेजा दबाव डालना यही उनका मकसद और असली टारगेट होता है। इसी के चलते इन दिनों जिले के समूचे कोयलांचल में क्षेत्रों और उपक्षेत्रों में हिंसा, आतंक और डर का भारी माहौल बन गया है। जिले में हालिया घटी हिंसा की कुछ घटनाएं इसकी अवांछनीय नतीजा है| वररा राजुरा, बल्लापुर, चंद्रपुर, घुग्घुस आदि कोल व्यवसाय का मुख्य केंद्र बने। बडे शहरों में हुई हाल की फायरिंग और हत्या की गंभीर घटनाएंभी इसकी देन है।
बल्लारपुर में फेंके गये पेट्रोल बम, यहीं कहानी दोहराते है और कोयला खदान क्षेत्रों, उपक्षेत्रों एवं परिसर में मिलनेवाले घातक अवैध हथियार भी इसी का सबूत देते हैं, यह सब है पर चिंतावाली हबात यहीं है कि इससे निपटने का पुख्ता इंतजाम किसी के भी पास नहीं है। न जिला प्रशासन के पास न जिला पुलिस प्रशासन के पास वेकोलि का सुरत्रक्षा विभाग तो जैसे सो रहा है, उसे न तो कोयला चोरी व लूट सले कोई लेना-देना है न ही कोल क्षेत्र में बढती गुंडई व माफियागिरी से ऐसे में जिले के कोल क्षेत्र और कोयला खदानों में कोयले की सुरक्षा का अहम सवाल उत्पन्न हो जाता है।

कोल माफिया सक्रिय
कोल क्षेत्रों – उपक्षेत्रों, कोयला खदानों एवं कोयला परिसर में कोयला माफिया सक्रिय है, वेकोलि के सुरक्षा विभौग की नाकामी और जिला पुलिस की अनदेखी के चलते इन दिनों वो खुलेआम गुंडागर्दी पर उतारू हो गये हैं उसकी यह गुंडागर्दी अवैध कोयला व्यवसायियों को कोयला चोरों, तस्करों वं कोयले की हेराफेरी करने वालों का सुरक्षा कवच बन गयी है। इसके चलते न तो कोयला सुरक्षित है न सुरक्षा गार्ड और न ही कोयला, कामगार व कर्मचारी इन दिनों कोयला खदानों एवं कोयला खदान परिसर में हुई दुर्गटनाएं इसी का संकेत देती है। लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं है, न वेकोलि प्रशासन को न वेकोलि के सुरक्षा विभाग को और न ही पुलिस को यही वजह है कि गुंडागर्दी, हिंसा व दहशतगर्दी पर आमादा माफिया के हौसले बुलंद है जिसके चलते कोयला खदानों वैध कोयला व्यवसाय और कुल मिलाकर समूचे वेकोलि का ही भविष्य खतरे में है ऐसे में बार बार यही सवाल उठता है कि इन्हें कोल माफिया से कौन बचाएगा ?

मूक सहमति ?
कोल माफिया की गतिविधियां दिन ब दिन तेज होती जा रही है, उनकीसमाज विरोधी हरकतें व करतूतें लगातार बढ रही है, व हिंसा, हमले, धमकियां और आतंक से अपना दबदबा स्थापित किये जा रहे हैं पर उन्हें न कोई रोकता है न टोकता है। वेकोलि अधिकारी केवल तमाशबीन बनकर बैठ गये हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं उनकी मूक सहमति तो नहीं। शायद ऐसा ही है, वर्ना जिले के कोयला क्षेत्रों में उनकी गंडागर्दी और माफियागिरी इस कदर कैसे बढती ? कैसे पनपती ? उनके अवैध धंधों में तेज वृद्धि कैसे होती? कोयल क काले धंधे कैसे चलते? वेकोलि अधिकारियों से मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं निश्चित ही यह सब दुर्भाग्यपूर्ण है। कोल माफिया को वेकोलि के सुरक्षा विभाग और पुलिस का डर न होना यह तो अधिक चिंता का विषय है। सवाल है इससे कौन बचायेगा?