Attack on Marathi identity: Wave of anger in Maharashtra due to statement of BJP MP Nishikant Dubey
मुंबई: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे के मराठी लोगों और महाराष्ट्र की आर्थिक स्थिति पर दिए गए विवादास्पद बयान ने पूरे राज्य में गुस्से की आग भड़का दी है। दुबे के बयान, जिसमें उन्होंने मराठी लोगों को “झारखंड के पैसों पर जीने वाला” और “पटक-पटक कर मारने” की धमकी दी, को मराठी समाज ने अपनी अस्मिता पर सीधा हमला करार दिया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक भारी आक्रोश देखा जा रहा है, और जनता अब स्थानीय नेताओं से इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख की मांग कर रही है। यह विवाद केवल भाषाई अस्मिता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और आर्थिक गरिमा पर भी सवाल उठा रहा है।
क्या है विवाद?
– निशिकांत दुबे का बयान: झारखंड के गोड्डा से BJP सांसद निशिकांत दुबे ने मराठी लोगों पर निशाना साधते हुए कहा, “मराठी लोग हमारे (झारखंड के) पैसों पर जी रहे हैं। उनके पास कौन-सी खदानें हैं? वे हमारी कमाई की रोटी खा रहे हैं।” उन्होंने MNS प्रमुख राज ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा, “महाराष्ट्र से बाहर निकलो, तुम्हें पटक-पटक कर मारेंगे।” यह बयान एक जनसभा में दिया गया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
– मराठी अस्मिता पर प्रहार: दुबे के इस बयान को मराठी समाज ने अपमानजनक और विभाजनकारी बताया। शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा, “दुबे कौन हैं जो मराठी अस्मिता पर सवाल उठाएं? BJP की यह बांटने वाली राजनीति बर्दाश्त नहीं होगी। यह बयान न केवल मराठी समाज का अपमान है, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के स्वाभिमान पर हमला है।”
– राजनीतिक रणनीति का आरोप: विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि BJP भाषा और क्षेत्र के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश कर रही है। खासकर आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) चुनावों के मद्देनजर यह रणनीति अपनाई जा रही है। कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा, “BJP की यह रणनीति महाराष्ट्र की एकता को तोड़ने की साजिश है, जो कभी कामयाब नहीं होगी। यह बयान सत्ता के अहंकार का प्रतीक है।”
महाराष्ट्र का गुस्सा: सड़कों से सोशल मीडिया तक
– जनता का आक्रोश: चंद्रपुर जिले में लोग अपने विधायकों—BJP के सुधीर मुनगंटीवार, किशोर जोरगेवार, कीर्तिकुमार भांगडिया, करण देवतले, देवराव भोंगले और कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार—से इस बयान पर जवाब मांग रहे हैं। स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि उनके प्रतिनिधि इस अपमान के खिलाफ कब और कैसे कार्रवाई करेंगे। नागपुर और औरंगाबाद में भी जनता ने सड़कों पर उतरकर विरोध दर्ज किया।
– सोशल मीडिया पर हंगामा: X पर #MarathiAsmita और #NishikantDubey ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “महाराष्ट्र ने देश को शिवाजी महाराज से लेकर टाटा-अंबानी तक दिए, और दुबे हमें अपमानित करेंगे?” कई यूजर्स ने BJP से माफी की मांग की है, जबकि कुछ ने दुबे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।
– प्रदर्शन और नारेबाजी: मुंबई, ठाणे और मीरा-भायंदर में मराठी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए। MNS कार्यकर्ताओं ने दुबे के खिलाफ नारेबाजी की और उनके पुतले जलाए। पुणे और नासिक में भी युवाओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया, जिसमें “मराठी मानाचा अपमान नको” जैसे नारे गूंजे।
आंकड़ों में महाराष्ट्र की ताकत
दुबे के दावों के जवाब में मराठी समाज ने आंकड़ों के जरिए अपनी आर्थिक ताकत दिखाई:
– आयकर में अव्वल: महाराष्ट्र देश में सबसे ज्यादा आयकर देने वाला राज्य है, जो केंद्र सरकार की आय का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करता है। यह आर्थिक योगदान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
– GST योगदान: केंद्र को महाराष्ट्र से सालाना 31,500 करोड़ रुपये का GST मिलता है, जबकि झारखंड, बिहार और मध्यप्रदेश का योगदान इससे कहीं कम है। यह आंकड़ा महाराष्ट्र की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है और दुबे के दावों को खारिज करता है।
– उद्योग और व्यापार: टाटा, बिड़ला, अंबानी जैसे उद्योग समूह मुंबई और महाराष्ट्र से संचालित होते हैं। मराठी उद्यमी, किसान और दुकानदार देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं, जिसे दुबे ने नजरअंदाज किया। साथ ही, महाराष्ट्र का स्टार्टअप इकोसिस्टम और IT सेक्टर भी देश में अग्रणी है।
– प्राकृतिक संपदा: दुबे के “खदानें” वाले बयान के जवाब में लोगों ने कहा, “हमारे पास समुद्र, मुंबई, कोकण, नागपुर और चंद्रपुर है। संपदा किसी की बपौती नहीं। महाराष्ट्र की प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा देश के लिए गौरव का विषय है। गडचिरोली की वन संपदा और कोकण का पर्यटन भी अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं।”
भाजपा की चुप्पी पर सवाल
– फडणवीस का बयान: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दुबे के बयान को “अनुचित” बताया और कहा, “यह मराठी लोगों के खिलाफ नहीं था, बल्कि कुछ संगठनों पर निशाना था।” हालांकि, उन्होंने मराठी योगदान की सराहना की, लेकिन जनता ने उनके बयान को पर्याप्त नहीं माना। कई लोगों ने मांग की कि फडणवीस दुबे के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करें।
– शिंदे की खामोशी: शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की चुप्पी पर संजय राउत ने तंज कसा, “मराठी अस्मिता पर हमला हो रहा है, और शिंदे चुप हैं। क्या वे बालासाहेब की तस्वीरें उतारेंगे?” शिंदे की खामोशी ने उनके गठबंधन की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। मराठी संगठनों ने शिंदे से स्पष्ट जवाब मांगा है।
– BJP की दोहरी नीति: विपक्ष ने BJP पर सत्ता के अहंकार और भाषाई वैमनस्य फैलाने का आरोप लगाया। NCP-SCP नेता रोहित पवार ने कहा, “बिहार की रणनीति महाराष्ट्र में नहीं चलेगी। BJP को मराठी जनता की ताकत का अंदाजा नहीं है।” विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि BJP बड़े पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों और आम जनता को नजरअंदाज कर रही है।
मराठी समाज का जवाब: “अपमान सहन नहीं”
– एकजुटता का संदेश: मराठी और गैर-मराठी दोनों समुदायों ने दुबे के बयान की निंदा की। लोगों ने कहा, “महाराष्ट्र में व्यापार करते हो, तो मराठी भाषा और संस्कृति का सम्मान करो। यह हमारा अधिकार और गौरव है।” मराठी समाज ने एकजुटता दिखाते हुए साफ किया कि यह लड़ाई केवल मराठी अस्मिता की है, न कि किसी अन्य समुदाय के खिलाफ।
– भाषा संरक्षण की मांग: मराठी समाज ने स्पष्ट किया कि उनका मुद्दा केवल भाषा संरक्षण का है, न कि हिंदी या अन्य भाषाओं के खिलाफ। उन्होंने मांग की कि पहली कक्षा से हिंदी थोपना बंद हो और मराठी को प्राथमिकता दी जाए। मराठी समाज ने कहा, “हम सहिष्णु हैं, लेकिन अपनी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
– लोकतांत्रिक जवाब की चेतावनी: जनता ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी। समय आने पर BJP को लोकतांत्रिक जवाब देंगे।” कई नेताओं ने आगामी चुनावों में इस मुद्दे को भुनाने की बात कही, जिसमें मराठी अस्मिता एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है।
आगे क्या?
निशिकांत दुबे के बयान ने न केवल मराठी-हिंदी विवाद को हवा दी, बल्कि BJP की एकता पर भी सवाल उठाए। क्या BJP अपने सांसद पर कार्रवाई करेगी, या यह विवाद BMC और आगामी विधानसभा चुनावों तक तूल पकड़ेगा? यह सवाल महाराष्ट्र की सियासत में गूंज रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद BJP के लिए राजनीतिक नुकसान का कारण बन सकता है, खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में। फिलहाल, मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए पूरा राज्य एकजुट है, और जनता का संदेश साफ है— “अब और नहीं!”
यह खबर महाराष्ट्र की जनता की भावनाओं और तथ्यों पर आधारित है।