■ चंद्रपुर जिले में हर साल मर रहे हैं 418 बच्चे
■ जिलाधिकारी गौडा के दौरे से क्या बदल पाएंगे हालात ?
चंद्रपुर.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानदंड के अनुसार हर 1,000 जनसंख्या पर कम से कम 1 डॉक्टर होना चाहिए। यानी 1:1000 का अनुपात आदर्श माना जाता है। इसका अर्थ है कि 1,000 लोगों की स्वास्थ्य सेवा के लिए कम से कम 1 डॉक्टर होना आवश्यक है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चंद्रपुर जिले की कुल जनसंख्या 22 लाख 04 हजार 307 हैं। इस हिसाब से तो जिले में करीब 2,204 डॉक्टरों की संख्या होनी चाहिये। परंतु हमारे जिले में वर्तमान में डॉक्टर और वैद्य मिलाकर कुल 666 चिकित्सक ही मौजूद हैं। अर्थात आज भी 1538 डॉक्टरों की यहां कमी हैं। ऐसे में हमने गत वर्ष शून्य से 5 उम्र के बच्चों की मरने की रिपोर्ट पर गौर किया तो ज्ञात हुआ कि यहां तो साल भर में 418 बच्चे दम तोड़ देते हैं। अब जब हमारे जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने दौरों के कार्यक्रमों के माध्यम से मीडिया पर चमकने लगे तो उनकी तस्वीरों ने ध्यानाकर्षण किया। वे ब्रम्हपुरी तहसील के प्राथमिक आरोग्य उपकेंद्र अडयाल (जाणी) को भेंट देकर चर्चा कर रहे थें, उसके प्रवेशद्वार की सीढ़ियां ही जिले के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलते हुए नजर आयी।
बदहाल व्यवस्था को बदलिये कलेक्टर साहब
ब्रम्हपुरी और नागभीड़ तहसीलों के दौरे पर निकले जिलाधिकारी विनय गौड़ा जिले के मुखिया हैं। उन्हें यह ज्ञात होना चाहिये कि जिले की व्यवस्था किस तरह से बदहाल हैं। यहां की जर्जर और भ्रष्ट व्यवस्थाओं के चलते आम इंसान का जीवन मुश्किल हो गया है। जनता नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। चंद निर्देश देने से यहां की व्यवस्थाएं नहीं बदलेगी। तत्काल ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
सरकारी अस्पताल 14, प्राइवेट 173
आम गरीब जनता को आज भी सरकारी अस्पतालों में उचित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। यही वजह है कि दिन-ब-दिन प्राइवेट अस्पतालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। मरता क्या न करता, इसी तर्ज पर लोग कर्ज में डूबकर अपने प्रियजनों के प्राण बचाने के लिए निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। जिले में जहां सरकारी अस्पतालों में संख्या महज 14 हैं, वहीं निजी अस्पतालों की संख्या 173 हैं। सरकारी दवाखाने जिले में केवल 32 है और जबकि प्राइवेट डॉक्टरों के दवाखानों की संख्या 116 से अधिक हो गये हैं। निजी डॉक्टरों की अर्थ पूर्ण सेवा के बावजूद उनके पास 3662 बेड की सुविधाओं पर मरीज अपना इलाज करा रहे हैं, जबकि लाखों गरीब मरीजों के लिए चंद्रपुर जिले में केवल 2590 बेड ही उपलब्ध हैं। ऐसी बदहाली को देखकर हमें शर्म आनी चाहिये कि हम, हमारी सरकार, हमारा प्रशासन गरीबों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में कितना पिछड़ रहा है।
कलेक्टर साहब दौरा कीजिये, लेकिन हालत बदलिये
गत 6 जुलाई को जारी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने ब्रम्हपुरी व नागभीड़ तहसील की विभिन्न परियोजनाओं का दौरा कर निरीक्षण किया। संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। इस अवसर पर ब्रम्हपुरी की उपविभागीय अधिकारी पर्वणी पाटिल, तहसीलदार प्रताप वाघमारे, गटविकास अधिकारी स्नेहल लाड, बाल विकास परियोजना अधिकारी शीला गेडाम, मुख्याधिकारी सोनम देशमुख, तहसील स्वास्थ्य अधिकारी विनोद मडावी, डॉ. आखाडे आदि उपस्थित थे। इन दौरे के परिणाम क्या निकलेंगे ज्ञात नहीं, लेकिन जिले की बदहाल स्थिति में बदलाव लाना जरूरी है।