तानाजी यादव फेल, प्रदूषण कायम

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■ 452 खतरनाक उद्योगों में से किसी पर कोई कार्रवाई नहीं

■ बैठकों के फैसले, निर्देश, शिकायतों को निगल गया MPCB

■ उद्योगों से प्रदूषण नियंत्रण मंडल की साठगांठ, न जनप्रतिनिधियों का डर, न शिकायतों की कोई परवाह


चंद्रपुर.
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (MPCB) चंद्रपुर के क्षेत्रीय अधिकारी तानाजी यादव अब एक ऐसे अधिकारी के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं, जिन्हें सबसे प्रदूषित चंद्रपुर की बुरी हालत से कोई लेना-देना नहीं है। वे इस विभाग के मुखिया हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों-आला अफसरों की बैठकों में लिये जाने वाले फैसले, दिये जाने वाले निर्देश और जनता की शिकायतों को वे ऐसे निगल जा रहे हैं, जैसे मानो चंद्रपुर के नसीब में ही प्रदूषण का जहर खाना लिखा हो। तानाजी यादव की जिम्मेदारी हैं कि वे चंद्रपुर के प्रदूषण को नियंत्रित करने और प्रदूषणकारी उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करने के ठोस कदम उठाएं। परंतु वह कौनसी वजह है कि आरओ तानाजी यादव कार्रवाई के मामले में अपाहिज साबित हो रहे हैं। यदि यह प्रदूषणकारी उद्योगों से साठगांठ, मिलीभगत और मलाई खाने की नीति का असर नहीं है तो जरूर ऐसा कुछ होगा, जिसके चलते वे अपनी जिम्मेदारी, कर्तव्य और कामकाज को भूलने के लिए मजबूर हो गये हैं।

■ यादव RO है या लिपिक ?
चंद्रपुर जिले की 22 लाख से अधिक जनसंख्या, 23 छोटे-बड़े शहरों में बसती हैं। जिले में कुल 830 उद्योग हैं। इनमें से 221 अत्यंत प्रदूषित अर्थात रेड जोन में हैं। और 231 ऑरेंज जोन में हैं। बावजूद इन प्रदूषणकारी व खतरनाक समझे जाने वाले 452 उद्योगों पर MPCB के तानाजी यादव कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहे हैं ? क्या चंद्रपुर की जनता बरसों से केवल प्रदूषण का दंश ही सहते रहेगी ? क्या MPCB का विशाल, चकाचौंध वाले AC लगे कार्यालय में तानाजी यादव और उनकी टीम कुर्सियां तोड़ने के लिए बैठाये गये हैं ? जनता से मिलने वाली शिकायातों को यादव स्वीकार तो कर लेते हैं, लेकिन किसी लिपिक की तरह फाइल पर कुंडली मारकर बैठ जाते हैं। कोई शिकायत अपने अंतीम अंजाम तक पहुंच क्यों नहीं पा रही है ? एक क्लार्क की भूमिका में कैद हो चुके तानाजी यादव को अपने पद की गरीमा को संभालने में इतनी मुश्किलें क्यों आ रही है ? क्या कोई उद्योग माफिया उन्हें कार्रवाई करने से रोक रहा है ? या उद्योगों से मिलने वाली मलाई में पूरा सिस्टम डूब गया है ? ऐसे अनेक सवालों के जवाब MPCB को अब देने होंगे। लेकिन MPCB की चुप्पी के पीछे ही सारे भ्रष्टाचार का खेल छिपा हुआ है।

■ अवैध कोल डेपो पर यादव इतने मेहरबान क्यों ?
चंद्रपुर के अधिकांश छोटे-बड़े अवैध उद्योगों पर MPCB के तानाजी यादव और उनकी टीम काफी मेहरबान नजर आती हैं। यही वजह है कि बीते 11 वर्षों में प्रदूषण एवं श्वसन संबंधित बीमारियों के चलते जिले के बेकसूर 7115 लोगों ने दम तोड़ दिया। ऐसे में MPCB को जनता द्वारा प्रदूषण संबंधित मिल रही शिकायतों की लगातार अनदेखी करने के पीछे का कारण क्या हो सकता है ? MPCB चंद्रपुर के प्रमुख अधिकारी तानाजी यादव को 2 माह पूर्व पड़ोली-नागाला में चल रहे अवैध कोल डिपो की शिकायतें दी गई। लेकिन यादव साहब इन अवैध कोल डिपो पर इतने मेहरबान हो चुके हैं कि अब शिकायतकर्ताओं से बात करने के लिए भी उनके पास फुर्सत नहीं है। अवैध व्यवसायों पर तानाजी यादव की यह बेमिसाल मेहरबानी MPCB में चल रहे लाखों-करोड़ों के भ्रष्टाचार की कथित चर्चे को हवा दे रहे हैं। यह इस बात का संकेत हैं कि MPCB के अफसर जनता की शिकायतों के बजाय काली कमाई करने वाले अवैध उद्योगों के साथ खड़े हैं। भले ही जनता से प्रदूषण से मरती रहे।

■ अच्छे दिन यादव के, बुरे दिन जनता के
भाजपा सरकार ने जनता से अच्छे दिनों का वायदा किया। चंद्रपुर की जनता को अच्छे दिन तो मिले नहीं, लेकिन भ्रष्ट अफसरों को जरूर अच्छे दिन आ गये। क्योंकि साल के 365 में से 333 दिन चंद्रपुर के लिए प्रदूषित माने जाते हैं। चंद्रपुर की आबोहवा दिन-ब-दिन और खराब हो रही हैं, परंतु यहां का MPCB कार्यालय किसी भी कारपोरेट कार्यालय से ज्यादा आकर्षक और अत्याधिक सुविधाजनक नजर आता है। महंगे शिशों से बंद कमरों में AC लगे हैं। कीमती से कीमती फर्नीचर और महंगी वस्तुओं से इस कार्यालय को सजाया गया है। AC की ठंडा हवा का मजा लेते हुए MPCB के तमाम अधिकारी व कर्मचारी प्रदूषण मुक्ति के बजाय उद्योगों से मैत्री पूर्ण संबंध बनाने में अधिक व्यस्त नजर आते हैं। जनता से मिलने वाली शिकायतों का अंजाम क्या होता है, इसकी जानकारी शिकायतकर्ताओं तक भी नहीं पहुंच पाती। यदि कोई शिकायतकर्ता अपनी शिकायत पर की गई कार्रवाई जानने के लिए फोन करता है तो यहां के अफसर ऐसे मगरमच्छ बन बैठे हैं कि वे जनता अथवा शिकायतकर्ताओं का कॉल रिसीव करना भी अपना पद का अपमान समझ बैठे हैं। इसके विपरीत इनके फोन लिस्ट में तमाम उद्योगपतियों के संपर्क का कच्चाचिठ्‌ठा दर्ज है। सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों को चंद्रपुर के प्रदूषण की भी कोई परवाह नहीं है। वरना सबसे पहले तो इस विभाग के अफसरों और अवैध व्यवसायियों से इनके अवैध संबंधों को उच्च स्तरीय के जांच के माध्यम से उजागर किया जा सकता है। तानाजी यादव के अवैध व्यवसायों को बचाने के पीछे का राज भी खुलकर सामने आ सकता है, यदि उचित जांच-पड़ताल की जाएं तो। अवैध कोल डिपो को बंद कराने में तानाजी यादव की नाकामी अब MPCB की भ्रष्ट कार्यप्रणाली का संकेत दे रही है।