पुणे के मंच से ‘जय गुजरात’ कहते रहिये… लेकिन

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■ महाराष्ट्र से गुजरात ले गए 2 लाख करोड़ के निवेश व 1.5 लाख रोजगार को लौटाने आवाज उठाइए

चंद्रपुर.
चंद्रपुर जिले के MIDC की हालत कितनी बदतर है, यह अब बताने की जरूरत नहीं हैं। यहां के MIDC के अधिकांश भूखंड बंजर पड़े हैं। बीते कुछ वर्षों में महाराष्ट्र सरकार की घोर नाकामी के चलते करीब 2 लाख करोड़ के निवेश और 1.5 लाख रोजगार छीन गया है। इसे लौटाने के लिए हमारे जनप्रतिनिधियों, खासकर जिले के 6 विधायकों को पूरजोर ढंग से महाराष्ट्र के सदन में आवाज बुलंद करना चाहिये। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार, किशोर जोरगेवार, करण देवतले, कीर्तिकुमार भांगडिया, देवराव भोंगले के अलावा कांग्रेस नेता विजय वडेट्‌टीवार यहां की जनता का विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनसे अब उम्मीद हैं कि वे 2 लाख करोड़ के निवेश और 1.5 लाख रोजगार को गुजरात से दोबारा महाराष्ट्र को लौटाने के लिए अपनी आवाज को अधिवेशन में प्रखर ढंग से उठाएंगे।

📰 महाराष्ट्र में ‘जय गुजरात’ बयान पर बवाल : एकनाथ शिंदे घिरे विवादों में
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के एक बयान ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। पुणे के एक कार्यक्रम के दौरान उनके द्वारा ‘जय गुजरात’ कहने के बाद तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

🔥 विवाद की जड़ : जय महाराष्ट्र के साथ जय गुजरात !
🗣️ एकनाथ शिंदे ने पुणे के कार्यक्रम में अपने भाषण का समापन ‘जय हिंद, जय महाराष्ट्र, जय गुजरात’ कहकर किया।
⏸️ उन्होंने सोच-समझकर रुक कर ‘जय गुजरात’ कहा, जिससे यह बात साफ़ होती है कि यह चूक नहीं, बल्कि एक सोच-समझी रणनीति का हिस्सा था।
🌐 सोशल मीडिया पर इस बयान के बाद ट्रोलिंग की बाढ़ आ गई। लोग उन्हें गुजरात प्रेमी और महाराष्ट्र विरोधी कहने लगे।

🧐 भाजपा सरकार पर ‘गुजरात धारा’ का आरोप
🏛️ आरोप है कि महाराष्ट्र की मौजूदा भाजपा समर्थित सरकार गुजरात परस्त है।
🧑‍⚖️ नेताओं के मुताबिक, महाराष्ट्र के कई बड़े प्रोजेक्ट जैसे वेदांता-फॉक्सकॉन, टाटा-एयरबस, बायोटेक पार्क, डायमंड हब आदि गुजरात में शिफ्ट कर दिए गए हैं।
⚓ यहां तक कि कोरोना संकट के दौरान भी महाराष्ट्र को कम संसाधन मिले और गुजरात को प्राथमिकता दी गई।

💬 अमित शाह को खुश करने की कोशिश या असली चेहरा ?
🎙️ कार्यक्रम में अमित शाह की मौजूदगी में शिंदे ने उन्हें खुश करने के लिए शेर-ओ-शायरी सुनाई।
💌 उनके शब्द प्रेम-पत्र जैसे लग रहे थे : “जब आप आते हैं तो हवा का रुख बदल जाता है।”
🔥 सवाल उठ रहे हैं कि क्या शिंदे अमित शाह और गुजरात मॉडल के प्रति ज़रूरत से ज़्यादा झुक गए हैं ?

👥 जनता और सोशल मीडिया का गुस्सा
💢 लोगों का आरोप है कि महाराष्ट्र की अस्मिता के साथ खिलवाड़ हो रहा है।
🛑 बाळासाहेब ठाकरे का हवाला देकर लोगों ने कहा कि जो नेता मराठी मानुष के लिए लड़े, उनके नाम पर राजनीति करने वाले अब गुजरात के आगे झुक रहे हैं।
🌍 पुणे जैसे मराठी बहुल इलाके में ‘जय गुजरात’ कहने का कोई औचित्य नहीं दिखता।

🙅 देवेंद्र फडणवीस का बचाव और सवाल
🛡️ फडणवीस ने शिंदे का बचाव करते हुए कहा – “शरद पवार ने भी कभी कर्नाटक में ‘जय कर्नाटक’ कहा था।”
❓ सवाल उठा कि जब कार्यक्रम महाराष्ट्र में था तो गुजरात का नाम लेना क्यों जरूरी था ?

🏗️ प्रोजेक्ट और निवेश : महाराष्ट्र से गुजरात की ओर
💰 कई महत्वपूर्ण औद्योगिक परियोजनाएं महाराष्ट्र से गुजरात स्थानांतरित हो चुकी हैं।
🔩 सबमरीन प्रोजेक्ट, डायमंड हब, फार्मा पार्क जैसे महत्वपूर्ण निवेश गुजरात गए हैं।
🔎 RTI से सामने आया कि महाराष्ट्र में हो रहे बड़े प्रोजेक्ट्स के ठेके गुजरात के कॉन्ट्रैक्टर्स को मिल रहे हैं।

🏙️ मुंबई बनती जा रही है ‘गुजरात नगर’ ?
🏢 धारावी पुनर्विकास परियोजना आदानी को देना, जमीनों की रियायती दरों पर अदानी-अंबानी को सौंपना जैसे आरोप सरकार पर लगे।
💣 मुंबई, जो हमेशा मराठी अस्मिता का प्रतीक रही, अब धीरे-धीरे गुजरात के प्रभाव में आ रही है।

⚠️ जनसुरक्षा विधेयक और भविष्य की चिंता
🚫 जनसुरक्षा विधेयक लागू होने की स्थिति में आम जनता की आवाज़ दब सकती है।
⚖️ किसानों, आम नागरिकों और विपक्ष की आवाज़ को कुचलने के प्रयासों के खिलाफ सजग रहने की अपील की गई।

🛑 राजनीति में बढ़ता असंतोष
एकनाथ शिंदे का ‘जय गुजरात’ कहना केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन गया है महाराष्ट्र की राजनीति में बढ़ते असंतोष और सांस्कृतिक असुरक्षा का।
यह सवाल छोड़ गया है –
➡️ क्या महाराष्ट्र वाकई गुजरात के साये में जा रहा है ?
➡️ क्या मराठी अस्मिता की राजनीति केवल नारों तक सीमित रह जाएगी ?

🛑 बीते कुछ वर्षों में महाराष्ट्र से गुजरात स्थानांतरित हुई प्रमुख परियोजनाएं

🚨 1. Vedanta–Foxconn सेमीकंडक्टर फ़ैब
▪️ राशि : ₹ 1.54 लाख करोड़ (लगभग \$20 बिलियन)
▪️ विवरण : Talegaon, पुणे (महाराष्ट्र) की जगह ये प्रोजेक्ट सितंबर 2022 में गुजरात में शिफ्ट किया गया। अजीत पवार समेत अनेक राजनीतिक नेताओं ने इसे “राजनीतिक दबाव” का परिणाम बताया।

✈️ 2. Tata–Airbus C‑295 विमान निर्माण
▪️ राशि : ₹ 22,000 करोड़
▪️ विवरण : नागपुर (महाराष्ट्र) में प्रस्तावित, लेकिन 2022 में वडोदरा, गुजरात में इसका शिफ्ट होना तय हुआ। राहुल गांधी और कांग्रेस ने इस पर नाकरात्मक निशाना साधा।

💊 3. Bulk Drug Park (रासायनिक पार्क)
▪️ राशि : लगभग ₹ 5,000 करोड़
▪️ विवरण : रायगढ़ (महाराष्ट्र) में प्रस्तावित पार्क अंततः गुजरात में निर्णय हुआ, जैसा कि महाराष्ट्र विकास आघाडी ने चुनाव प्रचार में उल्लेख किया।

☀️ 4. सोलर पैनल फ़ैक्टरी (Nagpur)
▪️ राशि : ₹ 18,000 करोड़
▪️ विवरण : नागपुर में प्रस्तावित यह सोलर पैनल यूनिट गुजरात स्थानांतरित कर दी गई – कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने इस दोषारोपण का उल्लेख किया।

🏦 5. International Financial Services Centre (IFSC)
▪️ राशि : परियोजना विवरण अलग, लगभग ₹ 1–2 हजार करोड़ निवेश
▪️ विवरण : मुंबई के BKC में प्रस्तावित IFSC का केंद्र गुजरात के GIFT City को दिया गया, जो 2020 में केन्द्रित हुआ।

🔬 6. Medical Devices/Pharma Parks
▪️ राशि : ₹ 424 करोड़
▪️ विवरण : औरंगाबाद के AURIC में प्रस्तावित मेडिकल उपकरण पार्क गुजरात को ऐलोकेट कर दिया गया।

🧭 राजनीतिक और आर्थिक विश्लेषण
▪️ राजनीतिक दबाव और केंद्रीय प्राथमिकता गुजरात को परियोजनाएँ मिलना आसान बना रहे हैं। आरोप है कि महाराष्ट्र केंद्र की अनदेखी का शिकार हो रहा है।
▪️ इस स्थिति ने महाराष्ट्र में लगभग ₹ 2 लाख करोड़ के निवेश एवं लगभग 1.5 लाख प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर खो दिए हैं जैसा आरोप लगाया गया।
▪️ विपक्ष ने इसे भाजपा–गुजरात केंद्रित नीति का परिणाम बताया, जबकि सरकार ने प्रक्रिया पर आधारित व्यावसायिक निर्णयों का हवाला दिया।

🔴 🔚 अंतिम बात :
महाराष्ट्र से गुजरात स्थानांतरित इतने बड़े निवेश महाराष्ट्र के लिए आर्थिक और राजनीतिक चेतावनी हैं। इस बदलाव की वजहों में नीतिगत प्राथमिकताओं, राजनीतिक संरक्षण, स्थानीय अवसंरचना और सरकारी निर्णय लेने की क्षमता शामिल हैं। यदि महाराष्ट्र को भविष्य में निवेश बनाए रखना है, उसे इन पहलुओं में तेजी लानी होगी।