चुनावी वादा पूरा करवाइए : लाड़ली बहनों को दिलवाइए 2100 रुपए

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8 माह बीत गए, अब अधिवेशन में भूल न जाना बहनों को !

🌸 लाडली बहन योजना : चुनावी वादों का टूटा सपना!

चंद्रपुर.
महाराष्ट्र में नवंबर 2024 में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में ‘लाडली बहन योजना’ भाजपा–महायुति गठबंधन का प्रमुख चुनावी मुद्दा बना था। महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा और सम्मान देने के नाम पर किये गये वादों ने व्यापक स्तर पर वोट बटोरे गये। लेकिन चुनावी जीत के बाद अब इन वादों को निभाने में सरकार की अनिच्छा या अक्षमता सामने आ रही है, जिससे जनता के बीच आक्रोश और अविश्वास गहराने लगा है। चंद्रपुर जिले में चुनावी प्रचार के दौरान भी इस योजना को लेकर राशि बढ़ाने के वादे किये गये। 1500 रुपये प्रति माह की सहायता बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा किया गया। लेकिन बीते 8 माह में न तो राशि बढ़ी और न ही जिले के जनप्रतिनिधियों की ओर से इस विषय पर कोई ठोस पहल की गई। अब जब महाराष्ट्र में अधिवेशन चल रहा है और सदन में विविध मुद्दे उठाएं जा रहे हैं, ऐसे में लाखों लाड़ली बहनों से किये हुए वादे की पूर्ति के लिए जिले के नेतागणों को एकजुट होना चाहिये। जिले के भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधायक सुधीर मुनगंटीवार, किशोर जोरगेवार, कीर्तिकुमार भांगडिया, करण देवतले, देवराव भोंगले को अपनी सरकार से वादा पूरा करवाना चाहिये। वहीं विरोधी दल अर्थात कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्‌टीवार को चाहिये कि वे सरकार को इस मुद्दे की पूर्ति के लिए बाध्य करें।

🔑 चुनावी वादों की फेहरिस्त
▶️ ₹ 1,500 से बढ़ाकर ₹ 2,100 करने का वादा :
तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सार्वजनिक रैलियों में कई बार घोषणा की थी कि लाडली बहन योजना की मासिक राशि बढ़ाई जाएगी ताकि महिलाओं को ज्यादा आर्थिक सशक्ति मिल सके।

▶️ राशि ₹ 3,000 तक ले जाने की बात :
कुछ मंचों से ₹ 3,000 मासिक तक की संभावित बढ़ोतरी का भी दावा किया गया। यह बयान महिलाओं के बीच एक बड़ा आकर्षण बना।

▶️ अजित पवार का वादा :
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि अगर महायुति सत्ता में आती है, तो ‘लाडली बहन योजना’ की राशि बढ़ाकर ₹ 2,100 कर दी जाएगी और इसके लिए विशेष बजट का प्रावधान होगा।

वादों का हश्र : वादाखिलाफी या भूल ?
🔸 चुनावी नतीजों के बाद 8 महीने बीतने के बावजूद लाडली बहन योजना की राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
🔸 सरकार अब आर्थिक तंगी और फंड की कमी का हवाला दे रही है।
🔸 देवेंद्र फडणवीस ने भी चुनाव के तुरंत बाद बयान दिया कि “हम योजना को जारी रखेंगे, परंतु बढ़ोतरी की तत्काल कोई योजना नहीं है।”

📊 जमीनी हकीकत और जनाक्रोश

 💬 महिला मतदाता नाराज़ :
महिलाएं कह रही हैं कि “हमने केवल इसी भरोसे वोट दिया था कि ₹ 1,500 की मदद बढ़ेगी, लेकिन अब सरकार चुप है।”

💬 विपक्ष का हमला :
कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) ने आरोप लगाया कि भाजपा-शिंदे गठबंधन ने जनता के साथ “चुनावी धोखा” किया है।

🔍 चुनावी रणनीति या छलावा ?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार :
▪️ भाजपा ने मध्य प्रदेश में सफल ‘लाडली बहना योजना’ की तर्ज पर महाराष्ट्र में महिला वोट बैंक साधने के लिए इस योजना का भरपूर इस्तेमाल किया।
▪️ वादों की अतिशयोक्ति ने अल्पकालिक सफलता दी, लेकिन दीर्घकालिक भरोसे को चोट पहुंचाई है।

🚨 अंतिम बात : भरोसे की बुनियाद दरकती हुई
▪️ ‘लाडली बहन योजना’ की राशि बढ़ाने के वादे ने चुनावी हवा बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई थी, लेकिन आज वही वादा अधूरा रहकर सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है।
👉 महिलाओं में बढ़ती नाराजगी
👉 विपक्ष का हमलावर रुख
👉 सत्ताधारी दलों की चुप्पी – ये सभी इस बात के संकेत हैं कि जनता अब केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि ठोस क्रियान्वयन से संतुष्ट होगी।