चंद्रपुर शहर के बार में एक पुलिसकर्मी की हत्या, एक पुलिसकर्मी घायल ,पुलिस ने हत्यारे आकाश शिर्के, मलिक और पांच अन्य आरोपियों को हिरासत में लिया

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चंद्रपूर :

चंद्रपूर शहर में लगातार बढ़ रही आपराधिक घटनाएं प्रशासन और पुलिस व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। अपराधियों के बढ़ते हौसले अब पुलिस तक पहुंच चुके हैं। अपराधियों ने अब निडर होकर पुलिसकर्मियों पर हमला करने की हिम्मत दिखा दी है। शुक्रवार, 7 मार्च की रात, चंद्रपूर के पठाणपुरा गेट के पास स्थित पिंक पैराडाइज बार में दो पुलिसकर्मी बैठे थे, तभी वहां एक युवक के साथ उनका विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ा कि युवक ने कुछ और साथियों को बुलाकर दोनों पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला कर दिया।इस हमले में पुलिस कर्मी दिलीप चव्हाण और समीर चाफले को चाकू के घाव लग गए। इस बर्बर क्रूर हमले में पुलिस कर्मी दिलीप चव्हाण की मौत हो गई, जबकि एक अन्य पुलिस कर्मी समीर चाफले गंभीर रूप से घायल हो गया।

प्राप्त जानकारी अनुसार यह हमला पठानपुरा गेट परिसर में पिंक पैराडाइज बार में हुई बहस के बाद हुआ। हालाँकि, इस बात की जांच अभी भी जारी है कि विवाद का वास्तविक कारण क्या था। उल्लेखनीय है कि यह क्षेत्र अनेक अवैध गतिविधियों के लिए मशहूर है, तथा इससे स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल बना हुआ है।

घटना के बाद जिला पुलिस अधीक्षक मुमक्का सुदर्शन अपने दल- बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। और कुछ ही समय बाद पुलिस द्वारा बताया गया कि आकाश शिर्के, मलिक और पांच अन्य आरोपियों को शहर पुलिस थाने में हिरासत में ले लिया गया है।

चंद्रपुर शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं और अपराधियों के गिरोह कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बड़े पैमाने पर अपराध कर रहे हैं। कानून और व्यवस्था का मुद्दा गंभीर हो गया है क्योंकि पुलिस पर ही हमले शुरू हो गए हैं। जिले में बढ़ती अपराध दर ने पुलिस प्रशासन पर काफी दबाव डाला है और अब तो पुलिस के लिए भी सुरक्षा की जरूरत है।

अपराधियों में पुलिस का क्यों नहीं है खौफ ?

पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए होती है। लेकिन, जब पुलिस खुद ही असुरक्षित हो, तो वह जनता की सुरक्षा कैसे कर सकती है। पुलिस की असुरक्षा का सबसे बड़ा कारण भी भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार की बदौलत ही आज अपराधी पुलिस से नहीं डरते, पुलिस से सांठगांठ की वजह ही से ही अपराधी बेखौफ होकर घूमते हैं और अपने गैरकानूनी कार्य को अंजाम देते हैं।कानून का सख्ती से पालन कराए बिना अपराध नहीं रुकेंगे। कथित राजनीतिक संरक्षण होना और नशे की बढ़ती प्रवृत्ति भी इसका मुख्य कारण है। नेता भी अपराधियों को शह देते हैं। ईमानदार और अनुशासित पुलिस अधिकारियों का स्थानांतरण राजनेता करवा देते हैं, जिससे पुलिस वाले खौफ में रहकर नौकरी करते हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप बंद होने से ही बदमाश पुलिस से डरेंगे। जब तक कमजोर नेतृत्व और प्रशासन तंत्र की इच्छाशक्ति कमजोर होगी, तब तक अपराधी समाज में बेखौफ अपराध करते रहेंगे।