दर्जनों कार्रवाई करने के बाद भी पुलिस प्रशासन के हाथ नहीं आ रहे अवैध सुगंधित तंबाखू के मुख्य सरगना 

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कौन है अवैध सुगंधित तंबाखू व्यापारियों का गॉडफ़ादर ?

  •  चर्चा है कि कांग्रेस नेता ही करवा रहे अवैध तंबाकू का काला कारोबार
  • भाजपा नेताओं की चुप्पी पर भी उठने लगे अनेक सवाल
  •  तंबाकू माफियाओं की जांच कर इन्हें तड़ीपार करने की जरूरत

चंद्रपुर :

गत 15 फरवरी को चंद्रपुर की बुलंद आवाज डिजिटल मीडिया ने चंद्रपुर में बढ़ते अपराधों, अवैध सुगंधित तंबाकू की धड़ल्ले से और खुलेआम बिक्री के अलावा अन्य नशीले पदार्थों के व्यापार को लेकर जिला प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया था। इसके बाद प्रशासन की ओर से आनन-फानन में बैठकों का दौर शुरू हुआ। ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों के खिलाफ प्रशासन ने मुहिम तो शुरू की, लेकिन बरसों से अवैध तंबाकू व्यापार के सरगना के गिरेबान तक पुलिस पहुंच नहीं पा रही है। इसे पुलिस की नाकामी कहे या मिलीभगत, यह आम जनता में चर्चा का विषय बन रही है। चर्चा है कि तंबाकू के अवैध और लाखों के कारोबार के पीछे एक कांग्रेस नेता का हाथ है। और भाजपा नेताओं को इसकी जानकारी होने के बावजूद तथा राज्य में भाजपा सत्ताधारी होते हुए भी खामोशी से बैठी है। इसके चलजे भाजपा नेताओं की चुप्पी पर भी अनेक सवाल उठने लगे हैं।

SP साहब से उम्मीद हैं कि तंबाकू माफिया हो तड़ीपार

दर्जनों कार्रवाई के बावजूद अवैध सुगंधित तंबाकू के मुख्य व्यापारी पुलिस प्रशासन के हाथ नहीं आ पा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिम है कि आखिर कौन है अवैध सुगंधित तंबाकू व्यापारियों का गॉडफादर? जिले में नए पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति के बाद नागरिकों को उम्मीद थी कि सुगंधित तंबाकू, गुटखा और अवैध नशीले पदार्थों की बिक्री करने वाले मुख्य व्यापारियों पर कानून का शिकंजा कसेगा और इन पदार्थों की अवैध बिक्री पर अंकुश लगेगा। अब तक पुलिस प्रशासन द्वारा दर्जनों छापेमारी और कार्रवाई की गई है, बड़ी मात्रा में मुद्देमाल भी जब्त किया गया है, फिर भी अवैध तंबाकू के सरगना पुलिस प्रशासन की पकड़ से बाहर हैं। तंबाकू से मिलने वाले लाखों के अवैध धन के बलबूते गुंडागर्दी, अपराध, हिंसक वारदातें भी बढ़ने लगी हैं। अब एसपी साहब से उम्मीद है कि वे सरगना के गिरेबान तक पहुंचकर उनके संपत्तियों की जांच करें और उनके कनेक्शन को खंगालते हुए उन्हें तत्काल यहां से तड़ीपार करें। वरना तंबाकू माफिया अपने लाभ के लिए किसी की भी हत्या करवाने की सुपारी दे सकते हैं।

18 फरवरी को अफसरों की खानापूर्ति और तंबाकू माफिया मजे में !

गत 18 फरवरी 2025 को प्रशासन के अफसरों ने बैठक ली। यह महज एक खानापूर्ति है कि यहां तंबाकू को लेकर चाय पर चर्चा की गई। आज तक तंबाकू व्यापार के सरगना के गिरेबान तक प्रशासन के अधिकारी क्यों नहीं पहुंच पाएं, इस सवाल का जवाब प्रशासन के अफसर कब देंगे ? राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक जिला परिषद सभागृह में मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक जॉन्सन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में जिला सर्जन डॉ. महादेव चिंचोले, अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविष्कार खंडाले, शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) राजेश चिंचोले, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की जिला सलाहकार डॉ. श्वेता सावलीकर आदि उपस्थित थे। स्कूलों और महाविद्यालयों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लागू करने के निर्देश सीईओ विवेक जॉन्सन ने दिए। शैक्षणिक संस्थान तंबाकू नियंत्रण कानून (COTPA कानून 6B) का उल्लंघन कर रहे हैं, वहां कार्रवाई करने के आदेश स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, पुलिस विभाग और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को दिये। लेकिन यह उठता है कि गत वर्ष स्वास्थ्य विभाग द्वारा 697 नागरिकों से कुल 69,977 रुपये जुर्माना वसूलने और पुलिस विभाग की ओर से 617 मामलों में 1,24,000 रुपये का जुर्माना वसूलने, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा 6 मामलों में 330.275 किलोग्राम अवैध तंबाकू जब्त करने के बावजूद तंबाकू माफिया आज भी चंद्रपुर जिले में सक्रिय क्यों हैं ?

अवैध सुगंधित तंबाकू के कारोबार पर आशीर्वाद

महाराष्ट्र सरकार ने 16 जुलाई 2020 को राज्य पुलिस को गुटखा और तंबाकू की खरीद एवं बिक्री में शामिल लोगों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से आपराधिक मामले दर्ज करने की अनुमति दी थी। इससे पहले, पुलिस को ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ती थी। 2020 में सरकार ने पहले से लागू प्रतिबंध को और कड़ाई से लागू करने के लिए नई नीति अपनाई। विशेष पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) मिलिंद भराम्बे ने सभी पुलिस इकाइयों को 16 जुलाई 2020 को एक परिपत्र जारी कर नए दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी दी थी। इसके अलावा, 6 फरवरी 2020 को तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट कर कहा था कि सरकार गुटखा का अवैध कारोबार करने वालों पर मकोका (MCOCA) के तहत कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। इसके लिए एफडीए और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि जिन क्षेत्रों में गुटखे का भंडारण और परिवहन हो रहा है, वहां के संबंधित अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए।

तंबाकू तस्करों की बल्ले-बल्ले !

महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2012 में सुगंधित तंबाकू और अन्य हानिकारक पदार्थों पर प्रतिबंध लगाया था। बावजूद इसके, दूसरे राज्यों से गुटखा और तंबाकू की तस्करी कर स्थानीय बाजारों में चोरी-छिपे बेचा जा रहा है। राज्य में गुटखे का व्यापार 3600 करोड़ रुपये का माना जाता है। तंबाकू की बिक्री पर प्रतिबंध पहले से ही लागू है, तो यह खुलेआम कैसे बिक रहा है? खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) इस ओर अनजान क्यों बना हुआ है? राज्य की सीमा पार कर महाराष्ट्र में गुटखा और तंबाकू कैसे प्रवेश कर रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। हर जिले के चेकपोस्टों पर रिश्वतखोरी के चलते वाहनों को छोड़ दिया जाता है और इस अवैध उत्पाद को ऊंची कीमतों पर बाजार में बेचा जाता है। महाराष्ट्र के हर जिले में गुटखा और तंबाकू बंदी कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

तंबाकू के अवैध व्यापारियों की संपत्ति की जांच क्यों नहीं कर रहा प्रशासन ?

पुलिस और प्रशासन को नियमित रूप से गुटखा विक्रेताओं पर छापेमारी करनी चाहिए और इस अवैध व्यापार से जुड़े लोगों की संपत्ति की जांच कर उनके खिलाफ सख्त आर्थिक दंड लागू करना चाहिए। जब तक राज्य सरकार और प्रशासन इस मामले में कठोर कार्रवाई नहीं करते, तब तक अवैध तंबाकू और गुटखे के व्यापार पर रोक लगाना असंभव प्रतीत होता है।