—- राजस्व प्रशासन गहरी नींद में, करोड़ों के राजस्व के नुकसान पर खनन विभाग मौन
—राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले कब देंगे भ्रष्ट अफसरों पर ध्यान ?
— जिलाधिकारी विनय गौडा के निर्देशों का खुलेआम हो रहा उल्लंघन
चंद्रपुर:
एक राष्ट्रीय दल के चंद्रपुर के दिग्गज नेता ने गड़चिरोली से अवैध रेत लेकर आने वाले ट्रक को गत शुक्रवार को मूल मार्ग पर पकड़ा और पूछताछ की। तुरंत उन्होंने चंद्रपुर के राजस्व विभाग के अधिकारी को फोन कॉल कर घटना स्थल पर आने का अनुरोध किया। न तो संबंधित तहसीलदार आये और न ही उनके अधिनस्त कर्मचारी पहुंचे। इन अफसरों ने बहाना बताया कि वे क्रीड़ा स्पर्धा में व्यस्त हैं। रॉयल्टी 29 जनवरी को खत्म हो गई और 7 फरवरी को रेत से लदा ट्रक चंद्रपुर की सड़कों पर दौड़ते रहे। 7 ब्रॉस की आउटडेटेड रॉयल्टी पर 11 ब्रास की रेत की ढुलाई जारी है। लेकिन जिला प्रशासन के अफसर गहरी नींद में डूबे हैं। या नींद में होने का नाटक कर रहे हैं। इसे ही प्रशासन के साथ मिलीभगत और भ्रष्टता का खेल क्यों न समझा जाएं ? राजनीतिक दबाव के आगे झुककर अवैध रेत की मलाई खाने वाले भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जिलाधिकारी एवं जिला प्रशासन कब सख्ती से निपटेगा ? यह सवाल अब आम जनता भी पूछने लगी है।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को राजस्व डूबने की कितनी चिंता ?
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और महाराष्ट्र के दिग्गज नेता तथा राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के नेतृत्व का खौफ चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग पर दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग के अधिकारी मनमौजी ढंग से काम कर रहे हैं। इसके बावजूद राजस्व मंत्री बावनकुले का यहां के अधिकारियों की भ्रष्ट नीति, लापरवाह कार्यप्रणाली पर कोई अंकुश दिखाई नहीं दे रहा है। इसके चलते चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारी रेत माफियाओं के साथ साठगांठ करके खूब मलाई कमा रहे हैं। इन अधिकारियों के संपत्तियों की आयकर विभाग और अन्य संबंधित विभागों की ओर गहन जांच होनी चाहिये। मंत्री बावनकुले यदि चाहे तो 2 दिनों में चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग की भ्रष्ट बीमारी को ठीक कर सकते हैं। परंतु वे इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान क्यों नहीं दे पा रहे हैं, यह चिंता और चिंतन का विषय बना हुआ है।
जिलाधिकारी को क्यों नहीं है परवाह ?
जिले के मुखिया, जिलाधिकारी विनय गौडा ने गत 24 जून 2024 को अपने मातहत सभी अधिकारियों की बैठक लेकर अवैध रेत उत्खनन और परिवहन को लेकर संबंधित विभागों को सख्त निर्देशों का पालन करने के आदेश दिये। इसके बावजूद बीते 7 माह में कोई सकारात्मक असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। इसके विपरीत जिले में सर्वत्र अवैध रेत उत्खनन व परिवहन की खबरों से अखबार पटे पड़े हैं। आये दिन रेत तस्करों का आतंक सूर्खियां बनती है। हर छोटे-बड़े नदी-नालों से खुलेआम रेत की सप्लाई हो रही है। सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। परंतु संबंधित विभागों की नींद नहीं खुल पा रही है। मिलीभगत और रेत तस्करों से मीठे संबंधों के चलते प्रशासन में मौजूद कथित भ्रष्ट तंत्र रेत की तस्करी नहीं रोक पा रहा है। चर्चा है कि काली कमाई का बड़ा हिस्सा ऊपर तक पहुंचाया जा रहा है। रेत की मलाई कितना ऊपर तक जा रहा है, यह जिलाधिकारी के लिए जांच और चिंतन का विषय होना चाहिये।
ज्ञात हो कि 24 जून 2024 को जिलाधिकारी विनय गौडा ने रेत संबंधित नीति को संवेदनशीलता व गंभीरता से लागू करने के निर्देश दिये थे। सरकार की ओर से रेत के खनन, भंडारण और ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से बिक्री के लिए व्यापक नीति 19 अप्रैल 2023 के आदेश के अनुसार लागू की जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा जिन एजेंसियों को रेत उपलब्ध कराई जाएगी, उनके लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार कर इस नीति को अत्यंत गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लागू करने का निर्देश जिला अधिकारी विनय गौड़ा जी.सी. ने संबंधित एजेंसियों को दिया है। जिलाधिकारी गौडा ने यह निर्देश जिलाधिकारी कार्यालय में आयोजित जिला-स्तरीय रेत नियंत्रण समिति की बैठक में अध्यक्ष के रूप में बोलते हुए दिए थे। इस बैठक में मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक जॉनसन, जिला खनन अधिकारी सुरेश नैताम, कार्यकारी अभियंता सुनील कुंभे, पुलिस निरीक्षक महेश कोंडावार, सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आनंद मेश्राम, शाखा अभियंता संजोग मेंढे, जल संसाधन विभाग के अधिकारी डी.डी. तेलंग और वन विभाग के ए.डी. खोब्रागडे आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर जिलाधिकारी गौड़ा ने कहा कि किसी भी तरह की अनियमितता नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, रेत भंडारण की मासिक रिपोर्ट प्रशासन को प्रस्तुत की जानी चाहिए। राज्य-स्तरीय समिति के पास पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए 65 रेत घाट प्रस्तुत किए गए हैं। इन घाटों से कुल 5,72,936 ब्रास रेत उपलब्ध होगी।
कोरपना : तहसील के इरई एवं सांगोडा नदी तट से बड़े पैमाने पर और दिन-दहाड़े तथा रात के अंधेरे में भी रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन किया जा रहा है। स्थानीय नागरिकों ने अनेक बार तहसीलदार और जिलाधिकारी से शिकायत की। परंतु राजस्व विभाग की लचर कार्यप्रणाली, अनदेखी और आंखें मुंदकर चुप बैठने की नीति के चलते सरकार के राजस्व को काफी क्षति पहुंच रही है। वहीं पर्यावरण का भी नुकसान हो रहा है। राजस्व विभाग के लापरवाही के चलते रेत तस्करों की अनेक टोलियां बेखौफ होकर इसे अंजाम दे रही है। गाडेगांव में तो रेत तस्करों ने आतंक मचा रखा है।
बल्लारपुर : बीते 4 वर्षों से बल्लारपुर तहसील के रेत घाटों की नीलामी नहीं होने के कारण यहां अवैध रेत तस्करी के मामले काफी बढ़ गये है। रेत माफिया यहां के रेत घाट परिसरों एवं नदी के किनारों पर रेत का अवैध उत्खनन कर रेत तस्करी कर रहे हैं। तहसील के पलसगांव, बामणी, दुधोली, कोर्टी मक्ता, मोहाडी तुकूम, आदि रेत घाटों पर दिन-रात रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। इस अवैध रेत को ऊंचे दामों में शहरों में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। इसके बावजूद प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
चिमूर : मूरपार जंगल के नाले में से रेत तस्करी के मामले में वन विभाग के एक दल ने कार्रवाई करते हुए 2 ट्रैक्टर जब्त किये। संबंधित आरोपियों पर अपराध भी दर्ज किये गये। लेकिन यह इस बात का प्रमाण है कि तहसील के अनेक नदी-नालों से खुलेआम रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। राजस्व विभाग की निष्क्रियता के कारण सरकार के राजस्व को क्षति पहुंच रही है।
पोंभूर्णा : तहसील के विविध रेत घाटों पर यहां भी अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। यहां के अंधारी एवं वैनगंगा नदी पर मौजूद करीब 7 रेत घाटों को बचाने और उसकी रक्षा करने में राजस्व विभाग बुरी तरह से नाकाम हो गया है। अवैध रेत से तत्काल अमीर बनने का ख्वाब देखने वालों के लिए यह स्थल स्वर्ग बन गया है। रेत तस्करों, रेत ठेकेदारों एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों के बीच की साठगांठ के चलते कीमती व उच्चे दर्जे की रेत का नियमित दोहन हो रहा है। शिकायत होने पर कार्रवाई की खानापूर्ति की जाती है। कुछ ही दिनों में पुन: तस्करों के लिए पूरा इलाका खुला छोड़ दिया जाता है। इस गोरखधंधे को रोकने में जिला प्रशासन भी नाकाम है।
घुग्घुस : बीते 2 माह से वर्धा नदी के मुंगोली रेत घाट से प्रतिदिन 13 से 15 ट्रैक्टरों के माध्यम से रात 8 बजे से सुबह 5 बजे तक अवैध रेत का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस थाने के समक्ष सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद पुलिस प्रशासन एवं राजस्व विभाग के नाक के नीचे से रेत तस्करी जारी है। तस्करों का आतंक इतना बढ़ चुका है कि वे किसी भी प्रकार की कार्रवाई से अब नहीं डरते। जुर्माना लगाने के बाद वह राशि अदा कर पुन: अधिक मात्रा में रेत तस्करी की जाती है। बढ़ चुके इस हौसले के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? प्रशासन के मिलीभगत के बिना रेत तस्करी संभव नहीं है। लेकिन जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग पा रही है।
सावली : तहसील में बीते एक वर्ष से रेत घाटों की नीलामी नहीं हो पायी है। खनिज उत्खनन की कहीं भी अनुमति नहीं होने के बावजूद यहां बड़े पैमाने पर उत्खनन और परिवहन का अवैध खेल चल रहा है। वैनगंगा नदी तट के रेत घाटों और गांवों में रेत तस्करों का आतंक दिन-दहाड़े उधम मचा रहा है। यहां तो रेत के अलावा मुरुम और अन्य खनिज की भी तस्करी की जा रही है। लेकिन राजस्व विभाग ऐसे चुप्पी साधे बैठा है कि मानो सरकार के राजस्व से उसका कोई लेना-देना ही नहीं है। सरकार को होने वाले नुकसान पर राजस्व विभाग की चुप्पी आश्चर्य का विषय बनता जा रहा है।
जिवती : एक ओर जहां रेत घाटों की नीलामी नहीं होने के कारण तहसील के अधिकांश घरकुलों के निर्माण में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर जब्त की गई रेत कहां गायब हो रही है, यह सवाल अब आम नागरिक उठाने लगे हैं। क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना व तत्सम योजनाओं के लाभार्थियों के लिए जब्त की गई रेत में पांच ब्रास रेत उपलब्ध कराकर देने के निर्देश जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदारों को दिये गये थे। किंतु इन निर्देशों का यहां पालन होता दिखाई नहीं पड़ रहा है।
भद्रावती : तहसील के पिपरी, पिरली, जेना, कचराडा, चारगांव, कोंढा, रालेगांव, पारोधी, मांगली आदि स्थानों पर रेत घाट हैं। यहां के रेत घाटों की सुरक्षा रामभरोसे चल रही है। राजस्व विभाग बीते अनेक दिनों से चुनावी प्रक्रिया में व्यस्त रहा। इस बीच रेत तस्करों की चांदी हो गई। रेत से लदे 5 ट्रैक्टरों के खिलाफ कार्रवाई कर राजस्व विभाग खुद को धन्य समझने लगा है। इसकी तुलना में बड़े पैमाने पर रेत घाटों से अवैध उत्खनन और परिवहन को रोकने के लिए राजस्व विभाग यहां भी नाकाम ही साबित हुआ है। दिन-रात धड़ल्ले से जारी रेत उत्खनन और परिवहन में राजनीतिज्ञों का हाथ होने की चर्चा है। रसूखदारों के आगे राजस्व विभाग बौना बन गया है। तीन माह में 17 करोड़ का राजस्व देने वाले रेत घाटों पर राजस्व विभाग की लापरवाही भारी पड़ रही है। इसके चलते सरकार को काफी नुकसान हो रहा है।