चुनावी वर्ष होने के बावजूद राज्य सरकार गत वर्ष मंजूर बजट का आधा निधि भी नहीं दे पायी
— करोड़ों का निधि घटने लगा, लेकिन जनप्रतिनिधि आक्रामक नजर नहीं आते
—चुनावी दावों और वादों पर कोई मास्टर प्लान किसी के पास नहीं ?
चंद्रपुर.
बीता वर्ष चुनावी खूमार में गुजर गया। सैंकड़ों नेताओं ने अनेकों-अनेक वादें किये। अनगिनत दावें किये गये। अब जब नई सरकार सत्ता पर बैठ गई है, न तो उन दावों का कहीं कोई जिक्र हो रहा है और न ही कोई वादा किसी को याद आ रहा है। सबसे बड़ी हैरत की बात तो यह है कि बीते वर्ष अर्थात 2024-25 के दौरान राज्य सरकार की ओर से मंजूर बजट का 40 प्रतिशत निधि ही सरकार ने चंद्रपुर जिले को हासिल हुआ। लेकिन मजाल है किसी जनप्रतिनिधि की वे इस खामी को लेकर आक्रामक रूप अख्तियार कर लें। जिले को कम निधि मिल जाएं, विकास कार्य प्रभावित हो जाएं, तब भी किसी जनप्रतिनिधि की ओर से सरकार को कटघरे में खड़े करते हुए नहीं देखा गया। हालांकि अधिकांश जनप्रतिनिधियों की आय और खजाने बीते 5 वर्ष में दोगुने जरूर हो गये हैं। किसान हो या बेरोजगार, आम नागरिक हो या मध्यवर्गीय, हर कोई महंगाई, बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। किंतु किसी भी जनप्रतिनिधि की ओर से इस मसले पर सरकार का ध्यानाकर्षण नहीं कराया जा रहा है। जिला नियोजन समिति अपनी खानापूर्ति और अधिक राशि की मांग को लेकर अपनी पीठ थपथपाने में लग गई है। परंतु करोड़ों की निधि सरकार द्वारा कम दी जा रही, इस पर कोई एक शब्द बोलने के लिए तैयार नहीं है। अब जिले की सरकारी एजेंसियां 340 के बजाय 1059 करोड़ रुपयों की डिमांड करने में लगी है।
ज्ञात हो कि कल, 1 फरवरी को जिलाधिकारी कार्यालय के नियोजन भवन में जिला नियोजन समिति की सभा संपन्न हुई। नवनियुक्त पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके की अध्यक्षता में जिले के विकास का आलेख पेश किया गया। सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए चंद्रपुर जिले के लिए 340 करोड़ 88 लाख रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी है। लेकिन जिला वार्षिक योजना के लिए इसे बढ़ाकर 640 करोड़ रुपये, अनुसूचित जाति के तहत 100 करोड़ रुपये कर दिया है। उपयोजना के अंतर्गत 200 करोड़ रुपये तथा जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत 940 करोड़ रुपये की वृद्धि का प्रस्ताव राज्य स्तरीय बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। यह दावा राज्य के आदिवासी विकास मंत्री तथा जिले के पालकमंत्री डॉ. उईके ने किया। जिले के विकास के लिए अधिकतम निधि उपलब्ध कराने का प्रयास करने का आश्वासन दिया।
बैठक में विधायक सुधाकर अड़बले, सुधीर मुनगंटीवार, किशोर जोरगेवार, देवराव भोंगले, करण देवताले, विजय वडेट्टीवार सहित जिला कलेक्टर विनय गौड़ा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक जॉनसन, जिला पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन, प्रभारी मुख्य वन संरक्षक उपस्थित थे। पीयूषा जगताप, जिला योजना अधिकारी संजय कडू और विभिन्न एजेंसियों के अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए पालकमंत्री डॉ. अशोक उइके ने कहा कि राज्य सरकार ने चंद्रपुर जिले के लिए सामान्य जिला वार्षिक योजना की अधिकतम वित्तीय सीमा 340 करोड़ 88 लाख रुपए निर्धारित की है। इसमें अनुसूचित जाति योजना के लिए 300 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 640 करोड़ रुपये करने, अनुसूचित जाति योजना के लिए 75 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये करने तथा जनजातीय योजना के लिए 111 करोड़ रुपये की राशि बढ़ाने की मांग की जाएगी। 89 करोड़ रुपये बढ़ाकर 200 करोड़ रुपये किया गया, जिससे कुल 940 करोड़ रुपये हो गए। उल्लेखनीय है कि जिले की कार्यकारी एजेंसियों की कुल मांग 1059 करोड़ रुपये है।
पश्चात पालकमंत्री डॉ. उइके ने कहा कि जिला योजना समिति की बैठक में बिना अनुमति के अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए। जिला योजना समिति के माध्यम से मामा तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए अलग से धनराशि उपलब्ध कराने के सरकारी निर्णय को बदलने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, चूंकि कई गांवों में कब्रिस्तान शेड या कब्रिस्तान तक पहुंच मार्ग नहीं हैं, इसलिए इन कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी और इनके लिए धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। हर घर जल योजना का कार्य शीघ्र पूरा किया जाए। साथ ही, महावितरण कंपनी को जहां भी मांग है, वहां ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराना चाहिए। सभी विधायकों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए राज्यस्तरीय बैठक में जिले के लिए अतिरिक्त निधि का प्रावधान किया जाएगा।
विभिन्न मामलों के लिए आरक्षित निधि :
जिले के कुल व्यय में से 3 प्रतिशत आरक्षित निधि महिला एवं बाल कल्याण विभाग के लिए, 5 प्रतिशत आरक्षित निधि गतिशील प्रशासन के अंतर्गत, 5 प्रतिशत आरक्षित निधि शिक्षा के अंतर्गत, 3 प्रतिशत आरक्षित निधि पर्यटन और किलों के अंतर्गत है। गृह विभाग के अंतर्गत 3 प्रतिशत आरक्षित निधि, सतत विकास लक्ष्यों के लिए 1 प्रतिशत आरक्षित निधि रखने का प्रावधान किया गया है।