CSTPS के ठेके बन गए मजाक : ED और CE खास ठेकेदार पर मेहरबान क्यों ?

43

■ टेंडर है टिन शेड का, योग्यता मांग रहे कन्वेयर बेल्ट स्ट्रक्चर निर्माण का
■ Rfx no -3000062847, कीमत – 7.82 करोड़

चंद्रपुर.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और उनके ऊर्जा विभाग के उच्च अधिकारियों की घोर अनदेखी के चलते अब चंद्रपुर CSTPS के ठेके मजाक बनकर रह गए हैं। एक्ट्रा इंकम अर्थात भ्रष्ट ढंग से कमाने की चाह में करोड़ों के ठेके मनमाने ढंग से अपने पसंदीदा ठेकेदार को रिंग प्रणाली के माध्यम से खैरात की तरह बांटे जा रहे हैं। इसके बावजूद महाजेनको के कार्यकारी संचालक संजय मारुडकर (O&M) एवं CSTPS के C.E. विजय राठौड़ इस सिंडिकेट को क्यों नहीं तोड़ पा रहे हैं ? यह सोचने वाली बात है। सच तो यही है कि C.E. विजय राठौड़ ने जारी ई-टेंडर के नियम को ऐसा बना दिया कि एक खास ठेकेदार को ही ठेका मिल सकें। इससे स्पर्धा व बोलियां खत्म होकर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंच रहा है। ताजा मामला है टिन शेड़ ठेके का। Rfx no -3000062847 की कीमत – 7.82 करोड़ दर्ज है। यह ठेका 22 नवंबर 2025 की मियाद का है। कार्य विवरण में सीएचपी की बेल्ट कन्वेरी स्ट्रक्चर छत के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण का काम दर्ज है। साफ शब्दों में कहे तो CHP के टिन शेड़ का कार्य करना है। लेकिन C.E. राठौड़ ने इसके लिए योग्यता के कॉलम में कन्वेयर बेल्ट स्ट्रक्चर निर्माण के अनुभव जोड़ दिया है। इससे ठेकेदारों के बीच स्पर्धा खत्म कर एक खास ठेकेदार को ठेका दिलाने का रास्ता साफ हो गया। ठेका सिंडिकेट फिर से जीत गया और छोटे ठेकेदार रेस शुरू होने के पहले ही हरा दिए गए।

■ टुकड़ों के कार्य को एकमुश्त करने का षड़यंत्र
CSTPS में छोटे ठेकेदार पनप ही न पाएं, उन्हें कोई छोटा-मोटा ठेका मिल ही न पाएं, सारी मलाई एक ही खास ठेकेदार के जेब में पहुंचाया जाएं, इस तर्ज पर ठेका सिंडिकेट और चंद भ्रष्ट अफसरों का काम चल रहा है। टिन शेड़ का ठेका जो CSTPS प्लांट के अलग-अलग स्थानों पर होना है। इन्हें टुकड़ों में जारी करने से ठेकेदारों में स्पर्धा बढ़ी होती और बोलियां लगने से सरकार की तिजोरी को ज्यादा चोट नहीं पहुंचती। लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका। समूचे प्लांट के टिन शेड़ के काम को शब्दों के जाल में ऐसा बुना गया ताकि लगे कि यह काम काफी तकनीकी और अनुभवप्राप्त कंपनी ही कर सकती हैं। जबकि सच्चाई कुछ और ही है। टिन का शेड़ बनाने वाले ठेकेदार को कन्वेयर बेल्ट स्ट्रक्चर निर्माण का अनुभव आवश्यक क्यों है ? यह तो C.E. राठौड़ और E.D. संजय मारुडकर (O&M) के अलावा खास ठेकेदार ही जानते हैं।

■ घोटालों में क्या ‘प्रकाशगढ़’ की मिलीभगत है ?
महाजेनको के कार्यकारी संचालक संजय मारुडकर (O&M) ऊर्जा विभाग मुंबई के मुख्यालय में बैठते हैं। चंद्रपुर CSTPS के C.E. विजय राठौड़ क्या-क्या काम कर रहे हैं, इसकी संपूर्ण जानकारी उन्हें हैं। राठौड़ की ओर से ठेकों के नियमों में किए जा रहे मनमानीपूर्ण बदलावों का प्रकाशगढ़ के आला अधिकारियों को भनक कैसे नहीं है ? यही सबसे बड़ा सवाल है। यदि मंत्रालय के आला अफसरों को चंद्रपुर में चल रहे भ्रष्टाचार की संपूर्ण जानकारी है तो वे ऊर्जा मंत्रालय के मुखिया अर्थात प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को कैसे अंधेरे में रखकर महाराष्ट्र सरकार को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं ? इसलिए अब जरूरत है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस स्वयं इस गंभीर मामले की दखल लेकर तत्काल उच्च स्तरीय जांच बिठाकर दोषी व भ्रष्ट अधिकारियों को जेल के सलाखों के पीछे भेज दें।

■ ठेका सिंडिकेट और अधिकारी कब तक बचेंगे ?
दुनिया का दस्तूर है कि बुरे कामों के बरसों बाद भी उसके सबूत नहीं मिटाए जा सकते। जिस समय इस मामले की केंद्र के स्तर पर CBI या अन्य कोई उच्च जांच होगी तब न केवल बड़े ठेकेदार फंसेंगे, बल्कि रिटायर्ड होने के बावजूद अफसरों पर भी कार्रवाई की गाज गिरेगी। बहरहाल चर्चा है कि ठेका सिंडिकेट और अधिकारियों के बीच जमकर प्रेम संबंध और मलाई खाने का खेल चल रहा है। जिनके नाम उछल रहे हैं उनमें ठेकेदार के रूप में मे. रणजीत सिंह सलूजा, भावना एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि., यूनाइटेड इंजीनियर्स, तिरुपति कंस्ट्रक्शन्स, अढोरे कॉन्ट्रैक्टर्स प्रा. लि., वीके एंटरप्राइजेस, पवनसिद्धि सप्लायर्स प्रा. लि., रिद्धी प्रसाद सप्लायर्स प्रा. लि., ऐवलाँच इंजिनियरिंग, ABU कंस्ट्रक्शन्स, मे. वी.एस. खोपे, एस. एस. एंटरप्राइजेस, प्रविण एंटरप्राइजेस, मे. विजय गीते, साईं ऊर्जा इंडो वेंचर्स लि., मे. आयुष अग्रवाल और इनके समूह की अन्य सहयोगी फर्में आदि शामिल हैं। वहीं अधिकारियों के नामों में महाजेनको के कार्यकारी संचालक संजय मारुडकर (O&M), चंद्रपुर CSTPS के C.E. विजय राठौड़, डिप्टी C.E. भूषण शिंदे, डिप्टी C.E. श्याम राठौड़, SE (RP) राजूरकर, EE जयप्रकाश बोवाड़े, SE (CHP) दत्तात्रय पिंपळे, SE (MPD) जयश्री पखाड़े, EE विक्की राठौड़, SE संजय हिरवे, SE महेश पराते, श्री डोडल (लेखा विभाग प्रमुख), जैसे अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।