पसंदीदा ठेकेदार को लाभ पहुंचाने CSTPS के CE विजय राठौड़ का तुगलकी नियम

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■ काम कोल रैक का और योग्यता मांग रहे कोल स्टॉक मैनेजमेंट
■ Rfx no -3000062957, कीमत – 1.47 करोड़

चंद्रपुर.
सरकार की तिजोरी और महाजेनको के खजाने को नुकसान पहुंचाने के लिए तथा ई-टेंडर की स्पर्धा खत्म कर अपने पसंदीदा ठेकेदार को करोड़ों का ठेका दिलाने के बड़े ठेकेदारों के रिंग प्रणाली का हिस्सा अनेक अफसर बन चुके हैं। ताजा मामला है – Rfx no -3000062957 का, जिसकी कीमत 1.47 करोड़ रुपये हैं। इस टेंडर का कार्य है कोल रैक मूवमेंट का, लेकिन टेंडर के क्वालिफॉइंग रिक्वायरमेंट में चंद्रपुर CSTPS के C.E. विजय राठौड़ ने कोल स्टॉक मैनेजमेंट के अनुभव का तुगलकी नियम जबरन घुसा दिया है। इस फर्जीवाड़े और पसंदीदा ठेकेदार को ठेका दिलाने की नीति का क्या वाकई में महाजेनको के कार्यकारी संचालक संजय मारुडकर (O&M) को नहीं है ? क्या प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एवं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इसकी भनक नहीं लगने दी जा रही है ? क्या करोड़ों का नुकसान बचाने के लिए कभी कोई गहन जांच नहीं होगी ? यह सवाल अब समूचे CSTPS में रोष का कारण बनता जा रहा है, क्योंकि यह ठेका 26 नवंबर 2025 अर्थात कल खुलने जा रहा है।

■ महाजेनको के कार्यकारी निदेशक के निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन
महाजेनको के कार्यकारी निदेशक ने 8 जून 2018 को ही महाराष्ट्र के सभी बिजली निर्माता ईकाइयों को उनके ठेकों से संबंधित गाइडलाइन का पत्र भेजा था। यह पत्र चंद्रपुर CSTPS के नाम से भी है। इस पत्र में ठेकों के आवंटन को लेकर स्पष्ट रूप से नियम निर्धारित किए गए हैं। विभिन्न कार्यों के लिए ओपन टेंडर जारी करते समय समान प्रकृति के कार्य की परिभाषा निर्धारित है। लेकिन चंद्रपुर CSTPS के C.E. विजय राठौड़ क्यों जानबूझकर कोल रैक मूवमेंट के कार्य में कोल स्टॉक मैनेजमेंट का नियम ठूंस रहे हैं, यह आश्चर्य की बात है।

■ कौनसे ठेकेदार को लाभ पहुंचाना चाहते हैं ?
कोई भी टेंडर आमतौर पर इसलिए निकाला जाता है ताकि टेंडर को लेकर स्पर्धा और बोलियां लग सकें। न्यूनतम टेंडर भरने वाले को टेंडर दिया जा सकें, इससे सरकार को लाभ मिल सकें। परंतु CSTPS में बड़े ठेकेदार आपस में रिंग प्रणाली से ठेकों को लेने का खेल खेल रहे हैं। पूर्व से तय, मिल बैठकर ठेकों की राशि भरी जाती है। वहीं C.E. विजय राठौड़ टेंडर में ऐसा नियम जोड़ देते हैं सामान्य स्थानीय ठेकेदारों की स्पर्धा ही खत्म हो जाएं। कोल स्टॉक मैनेजमेंट का अनुभव एक खास ठेकेदार के पास है, और उसे ही ठेके मिल सकें, इसके लिए यह नियम लगा दिया गया है। देश में अन्यत्र ऐसे ठेके के लिए कोल स्टॉक मैनेजमेंट की योग्यता है ही नहीं। ऐसे में C.E. विजय राठौड़ की नीयत एवं नियम पर सवाल उठना लाजमी है। CSTPS के चंद भ्रष्ट अफसर बड़े ठेकेदारों के सिंडिकेट का हिस्सा बन गए है, यह संदेह अब गहराने लगा है।

■ ठेका सिंडिकेट के रिंग को कब तोड़ेंगे CM फडणवीस ?
CSTPS में कार्यरत अनेक अधिकारी और बड़े ठेकेदारों ने अपना सिंडिकेट बना लिया है। यह अभद्र गठजोड़ सरकार और महाजेनको को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहा है। चर्चा है कि मे. रणजीत सिंह सलूजा, भावना एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि., यूनाइटेड इंजीनियर्स, तिरुपति कंस्ट्रक्शन्स, अढोरे कॉन्ट्रैक्टर्स प्रा. लि., वीके एंटरप्राइजेस, पवनसिद्धि सप्लायर्स प्रा. लि., रिद्धी प्रसाद सप्लायर्स प्रा. लि., ऐवलाँच इंजिनियरिंग, ABU कंस्ट्रक्शन्स, वी.एस. खोपे, एस. एस. एंटरप्राइजेस, प्रविण एंटरप्राइजेस, विजय गीते, साईं ऊर्जा इंडो वेंचर्स लि., मे. आयुष अग्रवाल और इनके समूह की अन्य सहयोगी फर्में आदि ने मिलकर एक कार्टेल/रिंग बनाई है। इसके सहारे यह लगातार ठेके हासिल कर रहे हैं। इनको लाभ पहुंचाने के लिए अधिकारियों की टीम भी तैयार बैठी है। इनमें सबसे अहम महाजेनको के कार्यकारी संचालक संजय मारुडकर (O&M), चंद्रपुर CSTPS के C.E. विजय राठौड़, डिप्टी C.E. भूषण शिंदे, डिप्टी C.E. श्याम राठौड़, SE (RP) राजूरकर, EE जयप्रकाश बोवाड़े, SE (CHP) दत्तात्रय पिंपळे, SE (MPD) जयश्री पखाड़े, EE विक्की राठौड़, SE संजय हिरवे, SE महेश पराते, श्री डोडल (लेखा विभाग प्रमुख), जैसे अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है। इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस का ध्यान नहीं है। अब आवश्यकता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की ओर से इस सिंडिकेट को खत्म करने के लिए उच्च स्तरीय विजिलेंस की जांच बिठाई जाएं। और सरकार का करोड़ों का नुकसान रोका जाएं।