“CM, ऊर्जा मंत्री हमारी जेब में…”

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■ CSTPS के ठेका सिंडिकेट के दावों से बवाल
■ बड़े ठेकेदारों की मुजोरी, छोटे ठेकेदार विद्रोह के मूड में

चंद्रपुर.
‘चंद्रपुर की बुलंद आवाज़’ मीडिया ने गत दिनों CSTPS चंद्रपुर के ठेकों में चल रहे सिंडिकेट के रिंग प्रणाली के माध्यम से करोड़ों का सरकार को चूना लगाने की नीति का पर्दाफाश किया। इसके बाद संबंधित ठेकेदारों को मामला शांत करवाने के लिए एक खास बैठक बुलानी पड़ी। 20 नवंबर 2025 को दोपहर 12 बजे, CSTPS के VIP गेस्ट हाउस में यह बैठक बुलाई गई। शुरु में छोटे ठेकेदारों को तवज्जो देने का दिखावा किया गया, लेकिन फिर बड़े ठेकेदारों का घमंड सिर चढ़कर बोलने लगा। सूत्र बताते हैं कि बड़े ठेकेदारों ने छोटे ठेकेदारों को धमकियों के लहजे में दो टूक कह दिया कि – ‘CM, ऊर्जा मंत्री हमारी जेब में हैं….हमने सबकुछ सेट कर रखा है, मंत्रालय, नेता, मीडिया कोई भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। नीचे से ऊपर तक हम जेबें गरम करते हैं। ठेके तो हमको ही मिलेंगे….’। CSTPS के ठेका सिंडिकेट के बड़े ठेकेदारों के इन दावों से छोटे ठेकेदारों में बवाल मच गया। अब वे तीव्र रोष में हैं। विद्रोह करने के मूड में नजर आ रहे हैं। किसी भी समय यह नाराजगी उग्र रूप धारण कर सकती हैं।

■ सरकार के खिलाफ छोटे ठेकेदारों में गुस्सा
ज्ञात हो कि पिछले 10 वर्षों से AMC और DPR ठेकों में बोली हेराफेरी, L1–L2–L3 बोलीदारों का आपसी समझौते से तय होना, पात्रता शर्तों को मनमर्जी से बदलकर अन्य कंपनियों को बाहर करना, महाजेनको को करोड़ों रुपये का नुकसान, और वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत ने पूरे तंत्र को नुकसान पहुंचाया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि विजिलेंस विभाग की ओर से ‘प्रकाशगढ़’ और बड़े ठेकेदारों के कनेक्शन की गहन जांच क्या प्रदेश के CM देवेंद्र फडणवीस करा पाएंगे ? DPR बनाकर छोटे-छोटे कार्य सैंकड़ों करोड़ में तब्दील करने और CM, ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस को अपनी जेब में रखने का दावा करने की गोपनीय जांच कभी हो पाएगी ? यदि ऐसा नहीं हुआ तो एक न एक दिन छोटे ठेकेदारों का सरकार एवं संबंधित प्रशासन के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ेगा।

■ अधिक दरों पर ठेकों की खैरात के पीछे कौन ?
बड़े ठेकेदार अब अधिक दरों पर ठेके हासिल करने में कामयाब हो चुके हैं। बड़े ठेकेदार जहां सरकार से अधिक दर वसूल रहे है, वहीं उनके कार्य की गुणवत्ता घटिया होने के बावजूद उसकी उचित जांच नहीं की जा रही है। इससे बड़े ठेकेदारों की मनमानी बढ़ गई है। ऐसे सभी बड़े ठेकों की मुंबई के ‘प्रकाशगढ़’ से कनेक्शन का पर्दाफाश करने, विजिलेंस विभाग की ओर से उचित एवं उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग उठने लगी है। यहां की ठेका प्रक्रिया एक संगठित क्राइम सिंडिकेट बन चुका है। रणजीत सिंह सलूजा, भावना एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि., यूनाइटेड इंजीनियर्स, तिरुपति कंस्ट्रक्शन्स, अढोर कॉन्ट्रैक्टर्स प्रा. लि., वीके एंटरप्राइजेस, पवनसिद्धि सप्लायर्स प्रा. लि., क्रीडप्रसाद सप्लायर्स प्रा. लि., अखैलाच इंजिनियरिंग, ABU कंस्ट्रक्शन्स, वी.एस. खापे, एस. एंटरप्राइजेस, प्रविण एंटरप्राइजेस, A.S. गीते और इनके समूह की अन्य सहयोगी फर्में आदि ने मिलकर एक कार्टेल/रिंग बनाई है, जिसके सहारे यह लगातार ठेके हासिल कर रहे हैं। उपरोक्त चर्चा अब आम हो चुकी है। इस भ्रष्टता को तोड़ने की जिम्मेदारी अब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की है।

■ क्या CM फडणवीस का ध्यान नहीं ?
“CSTPS” सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन एशिया का सबसे बड़ा प्रकल्प है। कोयले से चलने वाले इस थर्मल पावर प्लांट पर अब भ्रष्टाचार का कब्जा है। यहां स्थानीय व छोटे ठेकेदारों को मिलने वाला कार्य लगभग बंद हो गया है। क्योंकि सभी छोटे कार्यों को एकमुश्त संलग्न कर इसे बड़े ठेके में तब्दील कर चंद 7-8 बड़े ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस स्वयं इस विभाग के मंत्री है। बावजूद ठेका प्रणाली में हो रही करोड़ों की गड़बड़ियों पर उनका ध्यान नहीं है। DPR बनाकर अधिक दरों से ठेका देने की नीति के कारण यहां भ्रष्टाचार की बू आ रही है। सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

CSTPS ही नहीं अब मुख्यमंत्री भी बड़े ठेकेदारों की जेब में होने का दावा
“CSTPS” प्लांट में विभिन्न क्षेत्र हैं। इनमें कोल हैंडलिंग प्लांट, कूलिंग टॉवर प्लांट, वॉटर ट्रिटमेंट प्लांट, ऐश बाँड प्लांट, पाइप लाइन एरिया, डॅम एरिया, रिसायकलिंग पंप एरिया, कालोनी एरिया आदि से जुड़े विविध छोटे कार्यों को एकमुश्त DPR बनाकर 7 से 8 बड़े ठेकेदारों के झोली में ड़ाला जा रहा है। एन्यूअल कार्य, मेंटेनंस कार्य, लेबर सप्लाई, सफाई कार्य जैसे मामूली कार्यों को एकमुश्त प्रोजेक्ट बनाकर इसे बड़े ठेके में तब्दील कर दिया गया है। बड़े ठेकेदारों ने मिलकर अपनी रिंग बना ली है। वही-वही बड़े ठेकेदार रिपीट होने लगे है। आपस मिलकर, तय सौदेबाजी कर ठेके हासिल किए जा रहे हैं। अब इनकी हिम्मत इतनी बढ़ चुकी है कि CSTPS ही नहीं अब तो मुख्यमंत्री भी बड़े ठेकेदारों की जेब में होने का दावा यह बड़े ठेकेदार करने लगे है। उनके इन दावों से छोटे ठेकेदार अब आगे क्या कदम उठाएंगे, यह कहना मुश्किल है।