ओबीसी आरक्षण की रक्षा के लिए नागपुर में 10 अक्टूबर को विशाल महामोर्चा: सकल ओबीसी महामोर्चा की घोषणा, राज्य सरकार को चेतावनी

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Huge Maha Morcha on October 10 in Nagpur to protect OBC reservation: Declaration of Sakal OBC Maha Morcha, warning to state government

नागपुर, 14 सितंबर 2025 : महाराष्ट्र में ओबीसी समाज के बीच राज्य सरकार के 2 सितंबर को जारी किए गए शासनादेश से व्यापक असंतोष फैल गया है। इस शासनादेश के खिलाफ विदर्भ की सभी ओबीसी संगठनों ने एकजुट होकर 10 अक्टूबर को नागपुर में एक भव्य महामोर्चा निकालने की घोषणा की है। इस मोर्चे में भाग लेने के लिए सभी ओबीसी कार्यकर्ताओं, संगठनों और नेताओं से अपील की गई है। साथ ही, यह स्पष्ट किया गया है कि इस मोर्चे में किसी भी राजनीतिक दल या संगठन का बैनर नहीं होगा। यह मोर्चा ओबीसी आरक्षण की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने की शुरुआत है, ऐसा संगठनों का कहना है।

विदर्भ के ओबीसी संगठनों की दूसरी महत्वपूर्ण बैठक कल (13 सितंबर) नागपुर में संपन्न हुई। इस बैठक में मराठा समाज को ‘कुणबी’ प्रमाणपत्र देकर ओबीसी आरक्षण में शामिल करने के सरकार के शासनादेश की तीखी आलोचना की गई। इस निर्णय से ओबीसी के 14 प्रतिशत सीमित आरक्षण पर खतरा मंडराने की आशंका जताई गई। बैठक में बोलते हुए ओबीसी नेताओं ने कहा, “सरकार ने पहले ‘पात्र’ शब्द के साथ निर्णय जारी किया था, लेकिन उसे हटाकर नया निर्णय जारी किया गया, जो ओबीसी के अधिकारों पर हमला है। इसके खिलाफ सड़क पर उतरने का समय आ गया है।” इस निर्णय के बाद मराठवाड़ा के लातूर जिले के रेणापूर तालुका के वांगदरी गांव के 35 वर्षीय युवक भरत महादेव कराड ने आत्महत्या कर ली थी। उनकी चिट्ठी में ओबीसी आरक्षण खत्म होने की निराशा का जिक्र था, जिससे समाज में अन्याय की भावना पैदा हुई है।

बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, महामोर्चा 10 अक्टूबर को सुबह यशवंत स्टेडियम से शुरू होगा और संविधान चौक पर समाप्त होगा। इस मोर्चे में ओबीसी कार्यकर्ता ही निमंत्रक और आयोजक होंगे, और किसी भी दल की विचारधारा को बाहर रखा जाएगा। “जो कोई भी इस शासनादेश के खिलाफ है, वे सभी इस मोर्चे में शामिल हों। यह लड़ाई ओबीसी समाज के अधिकारों के लिए है,” ऐसा बैठक में अपील की गई। संगठनों ने स्पष्ट किया कि इस मोर्चे के माध्यम से राज्य सरकार को चेतावनी दी जाएगी कि “ओबीसी आरक्षण को छूने की हिम्मत न करें। यह शासनादेश तत्काल रद्द होना चाहिए, वरना आंदोलन और तेज होगा।” सरकार का दावा है कि इससे ओबीसी का नुकसान नहीं होगा, लेकिन संगठनों ने इसे असत्य करार दिया।

इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए वकील संगठन भी एकजुट हुए हैं, और नागपुर खंडपीठ में सोमवार (15 सितंबर) को एक याचिका दायर की जाएगी। ओबीसी नेताओं ने कहा कि यह लड़ाई अदालत और सड़क दोनों स्तरों पर लड़ी जाएगी। इस बीच, मराठा आरक्षण के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार में पहले ही मतभेद उभर चुके हैं, और ओबीसी मंत्री छगन भुजबल ने इस निर्णय पर नाराजगी जताई थी। ओबीसी समाज के नेताओं ने सभी को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा, “यह सिर्फ आरक्षण का सवाल नहीं, बल्कि समाज के भविष्य का सवाल है।”

इस महामोर्चे से महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आएगा या नहीं, यह आने वाले दिन बताएंगे। ओबीसी समाज की इस लड़ाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।