■ 13 वर्षों के बाद अचानक गहरी नींद से जाग उठा प्रशासन
■ बैठकें बन गई खानापूर्ति, गली-गली में बिक रहा सुगंधित तंबाकू
चंद्रपुर.
वर्ष 2012 से महाराष्ट्र में सुगंधित तंबाकू बैन है। फिर अचानक जिला प्रशासन की गहरी नींद खुल जाती है और अचानक से जिलाधिकारी विनय गौड़ा गत 14 जून 2025 को एक बैठक ले लेते हैं। इसके चंद दिनों बाद अर्थात 7 जुलाई 2025 को दोबारा से नशीले पदार्थों के व्यापार को लेकर जिलाधिकारी बैठक लेते हैं। काफी गहराई व गंभीरता से चिंतन, मनन, चर्चा करते हैं। कुछ निर्देश देते हैं। लेकिन जब हम उनके निर्देशों के पालन से संबंधित हकीकतों की जांच करते हैं तो जमीनी स्तर पर शून्य नतीजे ही हमें नजर आते हैं। क्योंकि चंद्रपुर शहर एवं जिले के प्रत्येक गली, हर चौक, हर चौराहों पर सुगंधित तंबाकू, खर्रा, गुटका आदि की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। यह बैठक महज प्रशासनिक खानापूर्ति बन गई है। दिखावे के नाम पर छोटे दुकानदारों पर कार्रवाई की जाती है। लेकिन इससे जुड़े माफिया कभी गिरफ्त में नहीं आते। सैंकड़ों अपराध इन माफिया पर दर्ज होने के बावजूद इन पर कभी तड़ीपारी की कार्रवाई नहीं होती। इसलिए कलेक्टर विनय गौड़ा को ही अब अपना आत्मपरीक्षण करने की जरूरत है।
गौड़ा के निर्देश पालन पर जताया था संदेह
महाराष्ट्र में सुगंधित तंबाकू (जैसे गुटखा और पान मसाला) पर प्रतिबंध है। वर्ष 2012 से, महाराष्ट्र सरकार ने गुटखा और पान मसाला के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, चंद्रपुर का जिला प्रशासन और खाद्य एवं औषधि विभाग बीते 13 वर्षों से गहरी नींद में सोया हुआ है। और फिर अचानक जिला प्रशासन की नींद खुल जाती है और 13 वर्ष बाद जिले में अवैध व प्रतिबंधित सुगंधित तंबाकू के बैन पर अमल करने की बैठक ले लेता है। इस बैठक से हैरत होती है। जिले में चल रहे करोड़ों के इस नशे के इस कारोबार पर अचानक जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने 14 जून 2025 को एक बैठक ली और सुगंधित तंबाकू का अवैध व्यापार बंद कराने के निर्देश फूड एंड ड्रग विभाग को दिये। लेकिन उनके इस निर्देश का पालन कितना होगा, इस पर गहरा संदेह है। इसलिए यह बैठक महज एक खानापूर्ति नजर आ रही है। यह संदेह हमने पूर्व में ही जताया था। अब दोबारा 7 जुलाई को हुई बैठक के बाद भी हालत कितने बदले हैं, यह तो जनता को ही सोचना चाहिए।
तंबाकू माफिया पर शिकंजा कसने में जिला प्रशासन नाकाम
ज्ञात हो कि बीते कुछ माहों से जिले में लगातार घटित हो रहे गंभीर अपराधों की चर्चाओं ने आम नागरिकों को चिंतीत कर रखा है। ऐसे में चंद्रपुर जिले में सुगंधित तंबाकू, गुटखा और अवैध नशीले पदार्थों की बिक्री करने वाले माफियाओं पर कानूनी शिकंजा कसने में संबंधित प्रत्येक विभाग नाकाम ही क्यों हो रहा है ? चाहे जिला परिषद के पूर्व CEO विवेक जॉन्सन की राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत चलने वाली जिला स्तरीय समन्वय समिति हो या फिर FDA अर्थात अन्न व औषध प्रशासन विभाग हो, और तो और पुलिस और जिला प्रशासन भी तो इस मसले पर फेल ही नजर आता है। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? यह चिंता करने वाली बात है।
कलेक्टर गौड़ा के राज में नशे के कारोबारी बेखौफ !
महाराष्ट्र सरकार ने 16 जुलाई 2020 में राज्य की पुलिस को गुटखा और सुगंधित तंबाकू की खरीद एवं बिक्री में शामिल लोगों के खिलाफ स्वतंत्र रूप से आपराधिक मामले दर्ज करने की अनुमति दी थी। लेकिन यह सभी जानते है कि कौनसे चौक, चौराहों व गलियों में खर्रा, और सुगंधित तंबाकू नहीं मिल रहा है ? जबकि महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2012 में ही सुगंधित तंबाकू जैसे अन्य पदार्थो पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऐसे में बीते 13 वर्षों से प्रशासन खामोश क्यों बैठा है ? वह कौनसी मजबूरी प्रशासन के विविध विभागों को रोक रही है, जिसके चलते चंद्रपुर जिला अवैध सुगंधित तंबाकू से मुक्त नहीं किया जा रहा है ? नशे के ये कारोबारी और तंबाकू माफिया किसके लिए हितकारी-लाभकारी बन गये हैं ? इसका फायदा किसे पहुंच रहा है ? एक अनुमान के अनुसार तो राज्य में यह अवैध व्यापार करीब 3600 करोड़ का माना जाता है। तो फिर इसमें चंद्रपुर जिले का हिस्सा कितना हो सकता है ? ऐसे में चंद्रपुर के जिलाधिकारी विनय गौड़ा सिर्फ बैठकें लेने में व्यस्त नजर आते हैं। उनके राज में तंबाकू माफिया बेखौफ हो गए हैं।
पूर्व CEO विवेक जॉन्सन की टीम कहां गई ?
उल्लेखनीय है कि गत 18 फरवरी 2025 को जिला परिषद के तत्कालीन CEO विवेक जॉन्सन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक जिला परिषद सभागृह में ली गई। इस बैठक में जिला सर्जन डॉ. महादेव चिंचोले, अतिरिक्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अविष्कार खंडाले, शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) राजेश चिंचोले, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम की जिला सलाहकार डॉ. श्वेता सावलीकर आदि उपस्थित थे। स्कूलों और महाविद्यालयों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू बिक्री पर सख्त प्रतिबंध लागू करने के निर्देश सीईओ विवेक जॉन्सन ने दिए। शैक्षणिक संस्थान तंबाकू नियंत्रण कानून (COTPA कानून 6B) का उल्लंघन कर रहे हैं, वहां कार्रवाई करने के आदेश स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, पुलिस विभाग और खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को दिये। अब तो यह बैठक संपन्न हुए अनेक माह बीत गए। लेकिन चंद्रपुर जिले के हर गली में सुगंधित तंबाकू तो बिक ही रहा है। क्या यह बैठक केवल और केवल एक खानापूर्ति थी ? आज तक तंबाकू व्यापार के सरगना के गिरेबान तक प्रशासन के अधिकारी क्यों नहीं पहुंच पाएं ?
तंबाकू माफिया को करना होगा तड़ीपार
महाराष्ट्र सरकार का यदि कोई प्रतिबंध बीते 13 सालों से ठीक से अमल नहीं हो पा रहा है तो इस पर जिला पुलिस प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिये। तंबाकू माफिया चाहे जितना बड़ा रसूखदार हो, चाहे उसके संबंध बड़े-बड़े राजनेताओं से हो, चाहे वह कांग्रेस-भाजपा के खेमों में उठते बैठते हो, जिला प्रशासन को चाहिये कि अब चंद्रपुर जिले को सुगंधित तंबाकू से मुक्ति दिलाएं। जिले के नागरिकों को आम तौर पर जिला प्रशासन से काफी उम्मीदें होती है। नशे के मुख्य व्यापारियों पर कानूनी शिकंजा कसना बेहद जरूरी बन गया है। यदि समय रहते प्रशासन सफल नहीं हुआ तो यह माफिया तंबाकू से मिलने वाले लाखों-करोड़ों के अवैध धन के बलबूते गुंडागर्दी, अपराध, हिंसक वारदातों को करने से नहीं डरेंगे। अब कलेक्टर साहब से उम्मीद है कि वे तंबाकू सरगना के गिरेबान तक पहुंचकर उनकी संपत्तियों की जांच करें और उनके कनेक्शन को खंगालते हुए उन्हें तत्काल यहां से तड़ीपार करें। वरना तंबाकू माफिया अपने लाभ के लिए किसी की भी हत्या करवाने की सुपारी दे सकते हैं। खासकर मीडियाकर्मी उनके रडार पर है ही।