RTO साहब ! रिश्वत का रेट फिक्स है, ये मलाई खाता कौन है ?

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■ ACB कार्रवाई के बावजूद RTO की अवैध वसूली धड़ल्ले से जारी

■ ट्रक चालक कह रहे – 14 चक्के का 500 और 12 चक्के का 300

चंद्रपुर.
चंद्रपुर के प्रादेशिक परिवहन विभाग (RTO) में भ्रष्टाचार अपने चरमसीमा पर पहुंच चुका है। हाइवे पर मौजूद फास्टटैक से लीगल राशि हासिल किये जाने के बाद भी हजारों – लाखों ट्रकों से प्रतिदिन अवैध वसूली की जा रही है। ट्रक चालक बताते हैं कि वाहन के सभी कागजात सही होने, तमाम नियमों का पालन करने के बावजूद जिले के लक्कड़कोट चेक पोस्ट पर प्रत्येक ट्रक चालक को RTO विभाग के कर्मचारियों को अवैध धन (रिश्वत) मजदूरी में देना ही पड़ता है। 14 पहिये वाले ट्रक से 500 और 12 पहिये वाले ट्रक से 300 रुपयों की अवैध वसूली की जा रही है। RTO विभाग के इस कर्मकांड को हाल ही में स्टिंग ऑपरेशन के जरिये अर्जुन सिंह धुन्ना नामक एक जांबाज पत्रकार ने कैमरों में कैद किया। यह इस बात का भी सबूत है कि गत फरवरी 2025 को यहां के सहायक मोटर निरीक्षक एवं एक निजी कर्मचारी को रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार अमरावती भ्रष्टाचार विरोधी विभाग (Anti-Corruption Bureau) की कार्रवाई पर दोबारा से मुहर लगी है। लेकिन हैरत की बात यह है कि ACB की कार्रवाई के बावजूद RTO विभाग सुधर क्यों नहीं पाया है ? रिश्वत की यह मलाई आखिर कौन खा रहा है ? RTO के आला अफसरों की सहमति के बिना यह भ्रष्टाचार बेधड़क चल कैसे रहा है ? और इस भ्रष्टाचार से संबंधित विभाग के मुखिया किरण मोरे साहब अनजान कैसे है ? वे इसकी शिकायत अपने उच्च अधिकारियों को करते क्यों नहीं है ? SIT और आयकर विभाग से जांच करवाने से किरण मोरे का RTO विभाग भ्रष्टाचार मुक्त हो पाएगा।

🔎 लक्कड़कोट चेक नाका : जांच चौकी या वसूली का अड्डा ?
➤ महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा पर स्थित लक्कड़कोट RTO चेक पोस्ट एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से सवालों के घेरे में है। फरवरी 2025 में यहां हुई एक गिरफ्तारी ने पूरे सिस्टम की सड़ांध को उजागर किया। लेकिन इसके बावजूद सरकार, विभाग और जनप्रतिनिधि अब तक खामोश क्यों हैं ? आइए जानते हैं पूरी कहानी….

🚨 घटना की पृष्ठभूमि : रिश्वतखोरी में रंगे हाथ गिरफ्तारी
🔸 फरवरी 2025 में अमरावती भ्रष्टाचार विरोधी विभाग (ACB) ने चंद्रपुर RTO के सहायक मोटर निरीक्षक शिवाजी विभुते और निजी सहयोगी जगदीश डफड़े को ₹ 500 रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया।
🔸 ड्राइवर के पास सभी वैध दस्तावेज़ मौजूद थे, फिर भी चेकपोस्ट पार करने के लिए जबरन पैसे वसूले गए।
🔸 यह कार्रवाई एक ट्रांसपोर्टर की शिकायत पर जाल बिछाकर की गई थी।

📍 लक्कड़कोट चेक नाका : सिर्फ जांच या जबरन वसूली ?
🔸 यह RTO चेकपोस्ट छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, यूपी और तमिलनाडु जैसे राज्यों से महाराष्ट्र में प्रवेश करने वाले हजारों ट्रकों का मुख्य मार्ग है।
🔸 दस्तावेज़ पूरे होने के बावजूद ड्राइवरों को घंटों रोका जाता है और अवैध वसूली की जाती है।
🔸 इससे माल पहुंचाने में देरी होती है और दुर्घटनाओं की आशंका भी बढ़ती है।
🔸 प्रतिदिन लाखों रुपये की वसूली की आशंका है, जो ₹ 500 की मामूली रिश्वत से कहीं ज्यादा व्यापक है।

⚠️ SIT जांच क्यों नहीं ? सरकार की चुप्पी संदिग्ध
🔸 यह केवल निचले स्तर के दो कर्मियों का मामला नहीं – सूत्रों के अनुसार वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
🔸 बावजूद इसके SIT जांच या विभागीय कार्रवाई की कोई मांग सामने नहीं आई।
🔸 जिला प्रशासन, मंत्रालय, और राजनीतिक नेतृत्व की चुप्पी यह साबित करती है कि व्यवस्था भीतर से सड़ चुकी है।

💰 भ्रष्टाचार का संस्थागत रूप : अब कोई डर नहीं
🔸 RTO अफसर अब खुलेआम न केवल रिश्वत लेते हैं, बल्कि शिकायत होने पर खुद ही झूठे केस दर्ज कराने की नीति पर भी काम कर रहे हैं।
🔸 हाल ही में आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष मयूर राईकवार और पत्रकार अर्जुन सिंह धुन्ना के साथ चेकपोस्ट पर अपमानजनक व्यवहार किया गया।
🔸 मीडिया कैमरे छीनने और फिर खुद ही थाने पहुंचकर झूठे केस दर्ज कराना – यह ‘चोरी ऊपर से सीनाजोरी’ का ताज़ा उदाहरण है।

🧾 आरटीओ विभाग के अफसरों की संपत्ति की जांच कब ?
🔸 जिन अफसरों के बड़े ट्रांसपोर्टरों से मधुर संबंध हैं, उनकी संपत्ति, रिश्तेदारी और आय स्रोत की जांच कभी नहीं की जाती।
🔸 एक पारदर्शी प्रशासन के लिए यह अनिवार्य है कि इनकी संपत्ति और बैंक खातों की जांच कराई जाए।

🗣️ जनप्रतिनिधियों की भूमिका : अब और चुप्पी नहीं चलेगी
🔸 अगर अब भी विधानसभा और संसद में इस मुद्दे को नहीं उठाया गया, तो यह भ्रष्टाचार आगे और विकराल रूप ले लेगा।
🔸 स्थानीय विधायकों और सांसदों को चुप्पी तोड़कर इस मुद्दे पर सरकार को घेरना चाहिए।
🔸 एक स्वतंत्र न्यायिक जांच या सीबीआई जांच की मांग इस समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।

📌 अंतिम बात : अब वक्त है कार्रवाई का, न कि खामोशी का
➤ लक्कड़कोट चेकपोस्ट केवल एक भ्रष्टाचार का उदाहरण नहीं, यह उस व्यवस्था की तस्वीर है जो जनता को ही लूट रही है। अब जनता, मीडिया, और जनप्रतिनिधियों को मिलकर आवाज उठानी होगी ताकि चंद्रपुर का यह वसूली अड्डा वास्तव में एक पारदर्शी जांच चौकी बन सके।

जनता का दबाव ही सबसे बड़ी जांच एजेंसी है – अब चुप नहीं रहना है।