चंद्रपुर में अवैध धंधों का सेंडीकेट: रेत माफियाओं का तहसीलदार पर हमला, तंबाकू-ड्रग्स-शराब की तस्करी बेलगाम, पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल

24

Syndicate of illegal businesses in Chandrapur: Sand mafia attacks Tehsildar

चंद्रपुर, 24 जून 2025: चंद्रपुर जिला अवैध कारोबारों के एक संगठित सेंडीकेट की गिरफ्त में है, जहां रेत खनन, सुगंधित तंबाकू, ड्रग्स और शराब की तस्करी का जाल बेखौफ पनप रहा है। रेत माफियाओं ने हाल ही में तहसीलदार विजय पवार की गाड़ी को रोककर उन पर हमला किया और रेत से भरी गाड़ियों को बिना किसी कार्रवाई के निकाल ले गए, जो इस सेंडीकेट के बढ़ते दबदबे का खुला सबूत है। स्थानीय लोगों में चर्चा है कि नेताओं और कुख्यात अपराधियों की साठगांठ से चल रहे इस गोरखधंधे के डर से आम नागरिक चुप्पी साधे हुए हैं, और पुलिस की ढीली कार्यशैली इसे और हवा दे रही है।

गढ़चिरौली के चामोर्शी तालुका में आष्टी पुलिस ने 18 जून की शाम नाकाबंदी के दौरान सुगंधित तंबाकू तस्कर मयूर पंढरी पोहनकर (29), निवासी करंजी, गोंडपिपरी (चंद्रपुर) को पकड़ा था। उसके कब्जे से 77,325 रुपये का अवैध तंबाकू (ईगल हुक्का, सिग्नेचर) और 7 लाख रुपये की रेनॉल्ट डस्टर (क्रमांक MH-05-BS-2206) सहित कुल 7,77,325 रुपये का माल जब्त हुआ। पुलिस निरीक्षक विशाल काले के मार्गदर्शन में कांस्टेबल संजय राठौड़ ने यह कार्रवाई की, और जांच उपनिरीक्षक सोमनाथ पवार कर रहे हैं। 19 जून को आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ।

वहीं, चंद्रपुर शहर पुलिस थाना क्षेत्र में अवैध तंबाकू के मुख्य कारोबारी के खिलाफ गुप्त सूचना के आधार पर अपराध दर्ज किया गया, लेकिन वह सरगना अब तक फरार है। पुलिस ने कई ठिकानों पर छापेमारी की, मगर कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। सूत्रों का मानना है कि आष्टी में पकड़ा गया तस्कर और चंद्रपुर का यह कारोबारी एक ही नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन पुलिस की सुस्त जांच इस सेंडीकेट को पूरी तरह उजागर करने में नाकाम रही है।

Syndicate of illegal businesses in Chandrapur: Sand mafia attacks Tehsildar, smuggling of tobacco-drugs-alcohol is rampant..

जिले में अवैध रेत खनन का कारोबार भी बेलगाम है। तहसीलदार विजय पवार पर रेत माफियाओं का हमला और रेत से भरी गाड़ियों का बेरोकटोक निकल जाना न केवल माफियाओं की बेखौफी दर्शाता है, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाता है। यह घटना नदियों के पर्यावरणीय संतुलन को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ कानून-व्यवस्था की बदहाली को उजागर करती है। इसके अलावा, ड्रग्स और शराब की तस्करी ने युवाओं को नशे की चपेट में ला दिया है। लोगों का कहना है कि इन धंधों को राजनीतिक संरक्षण और अपराधियों की मिलीभगत से बल मिल रहा है, जिसके डर से कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं।

चंद्रपुर पुलिस ने छोटे तस्करों पर कुछ कार्रवाइयां की हैं, लेकिन सेंडीकेट के मास्टरमाइंड अब तक कानून की पकड़ से बाहर हैं। तहसीलदार पर हमले के बाद भी रेत माफियाओं के खिलाफ कोई सख्त कदम न उठाया जाना पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाता है। नागरिकों में गुस्सा है कि पुलिस की कार्रवाइयां सिर्फ दिखावे तक सीमित हैं। पुलिस अधीक्षक के दावों और विशेष टीमों के गठन के बावजूद, मुख्य सरगनाओं की गिरफ्तारी में देरी और माफियाओं का बढ़ता दुस्साहस पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

जिले के लोग अब प्रशासन और पुलिस से निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। क्या चंद्रपुर इस अवैध धंधों के जाल से मुक्त हो पाएगा, या यह सेंडीकेट यूं ही कानून को ठेंगा दिखाता रहेगा? यह समय और प्रशासन की इच्छाशक्ति ही तय करेगा।