■ मृतकों के परिवारों से मिले बिना ही लौट गये वन मंत्री गणेश नाईक
■ घटनाएं घटित होने के बाद के मलम-पट्टी उपायों पर फोकस !
चंद्रपुर.
ताड़ोबा व्याघ्र परियोजना जहां एक ओर पर्यटकों को लुभाने का सरकार का सशक्त माध्यम बन चुका हैं, वहीं दूसरी ओर यह क्षेत्र बाघों के पैदावार फैक्ट्री की तरह तेजी से विकसित हो रहा है। जंगल के लिए बाघों का महत्व काफी अहम हैं, किंतु बाघ ऐसा वन्यजीव है, जो अपने इलाके की खोज में दूर-दूर तक सफर करता हैं। ऐसे में इंसानी बस्ती, जंगल से सटे गांवों तक बाघों का पहुंचना आम बात है। तेजी से बाघों की संख्या बढ़ने के चलते उनके आपसी संघर्ष के अलावा इंसानों के साथ संघर्ष होना अब चंद्रपुर जिले में रोज की बात बनकर इसकी गंभीरता को कमजोर पड़ने लगी है।
चंद्रपुर में बाघों की संख्या वर्ष 2006 में 34 थी, जो 2021 में बढ़कर 223 हो गई। बाघों की आबादी में वृद्धि एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन स्थानीय निवासियों के लिए यह खतरनाक स्थिति पैदा कर रही है, खासकर उन हजारों ग्रामीणों के लिए जो आजीविका के लिए जंगल पर निर्भर हैं।
📰 दहशत का साया : ग्रामीणों की उजड़ती ज़िंदगी
🐅 बाघों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि, पर संकट भी बढ़ा
🔸 2006 में 34 से बढ़कर 2021 में 223 बाघ – ताड़ोबा बना बाघों की ‘पैदावार फैक्ट्री’
🔸 संख्या बढ़ने के साथ ही मानव-बाघ संघर्ष भी बढ़ा
🔸 बाघ अपने इलाके की तलाश में अब गांवों तक पहुंच रहे हैं
⚰️ ग्रामीणों के लिए बाघ बना मौत का दूसरा नाम
🔸 बीते 5 वर्षों में 173 ग्रामीणों की बाघ हमले में मौत
🔸 सिर्फ मई 2025 में ही 11 लोगों की जान गई
🔸 2022 सबसे भयावह वर्ष रहा: 50+ मौतें
🔸 2025 में अब तक 22 मौतें हो चुकीं
🔸 150 मौतें सीधे तौर पर बाघ के हमलों से हुईं
😔 पीड़ित परिवारों से नहीं मिले वन मंत्री गणेश नाईक
🔸 वन मंत्री ने चंद्रपुर दौरा किया लेकिन नहीं मिले 173 मृतकों के परिजनों से
🔸 सिर्फ उद्घाटनों और औपचारिकताओं तक सीमित रहा दौरा
🔸 घटनाओं के बाद की मलमपट्टी योजनाओं पर अधिक ज़ोर
🔸 सरकार और प्रशासन की असंवेदनशीलता उजागर
🌿 रोजगार का संकट और जंगल में ज़िंदगी की जंग
🔸 50,000 से 60,000 लोग तेंदूपत्ता तोड़ने जंगल में जाने को मजबूर
🔸 बड़ी संख्या में ग्रामीण आजीविका के लिए जंगल पर निर्भर
🔸 पर्यायी रोजगार मुहैया कराने में सरकार नाकाम
🐄 पशुधन पर भी बाघों का कहर
🔸 2021 से 2025 तक 10,000 से ज्यादा मवेशी बाघों का शिकार
🔸 122 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया
🔸 2024-25 में ही 31.39 करोड़ का भुगतान
🚨 PRT टीमें हो रही विफल
🔸 200 गांवों में बनी हैं प्राथमिक प्रतिक्रिया टीमें (PRT)
🔸 हर टीम में 5 सदस्य, जिन्हें ट्रेनिंग और किट दी जाती है
🔸 बावजूद इसके अधिकांश हमलों को रोकने में असफल
🎤 सम्मेलन-उद्घाटन में व्यस्त, ज़मीनी सच्चाई से दूरी
🔸 5 जून को वन नियंत्रण कक्ष व साइबर सेल का उद्घाटन
🔸 ‘वन शक्ति 2025’ सम्मेलन में हुए दावे और भाषण
🔸 लेकिन पीड़ित परिवारों को मंच पर नहीं बुलाया गया
🔸 मंत्रालय के दावे फील्ड में फेल — ग्रामीणों की नजर में महज़ दिखावा
📉 अंतिम बात : बढ़ते बाघ, घटती सुरक्षा
🔸 बाघों की वृद्धि वन संरक्षण की सफलता है, पर मानव जीवन की कीमत पर नहीं
🔸 सरकारी प्रयास, संवेदना और ठोस रणनीति की सख्त ज़रूरत
🔸 चंद्रपुर के ग्रामीण आज ‘पर्यावरण पर्यटन’ और ‘सरकारी उपेक्षा’ के बीच कुचले जा रहे हैं