अवैध रेत : कलेक्ट्रेट गहरी नींद में

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■ राजस्व मंत्री, पालकमंत्री, कलेक्टर का नहीं ध्यान
■ रेत तस्करों ने लगाया करोड़ों के राजस्व को चूना
■ क्या नेताओं के चेलों को बचाने में लगे हैं आला अफसर ?

चंद्रपुर.
जिले के किसी भी अखबार को उठाकर देख लीजिये, तमाम अखबारें चिख-चिखकर बीते 4 माह से कह रहे हैं कि जिला प्रशासन की अनदेखी के चलते जिले के हर नदी-नाले के तट से बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। सरकार के करोड़ों के राजस्व को चूना लगाया गया। लेकिन कलेक्ट्रेट के आला अफसर गहरी नींद में हैं। यह भी कहा जा सकता है कि वे नींद का नाटक कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि सैंकड़ों रेत तस्करों का सीधा संबंध राजनीतिक दलों के नेताओं से हैं। दिन में वे पार्टी के कार्यकर्ता, दबंग छुटभैये नेता के रूप में अपने दल का दुपट्टा ओढ़कर अपने नेताजी के साथ प्रशासनीक गलियारों में धौंस जमाते हुए घूमते हैं और शाम ढलते ही इन छुटभैये नेताओं के गुर्गे नदी तट पर पहुंचकर अवैध रेत तस्करी करने लगते हैं। कभी गलती से किसी छोटे अधिकारी ने अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर या हाइवे पकड़ लें तो नेताओं के फोन आला अधिकारियों के मोबाइल पर खनखनाने लगते हैं। राजनीतिक दल के दबाव में स्थानीय राजस्व प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता और करोड़ों का राजस्व स्वाहा कर दिया गया।

🛑 विनय गौडा की नाकामी पर उठते सवाल
गत अनेक माह से प्रत्येक अखबार ने जिले के हर तहसील और सभी नदी-नालों के तट पर अवैध रेत का उत्खनन और तस्करी किये जाने की खबरें प्रकाशित की। परंतु चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय के जिलाधिकारी विनय गौडा समेत उनके राजस्व एवं खनन विभाग ने कभी इसकी गंभीर दखल नहीं ली। कलेक्टर ने रेत नीति पर 24 जनू 2024 को बैठक लेकर निर्देश तथा फैसला तो दे दिया, लेकिन उसके अमल पर वे कितने गंभीर दिखे, यह जनता से छिपा नहीं है। उनके ही अधिनस्त अधिकारियों ने जिलाधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए करोड़ों के राजस्व की क्षति होने दी। इसके चलते इसे जिलाधिकारी गौडा की नाकामी मानी जा रही है। और इस मसले पर जिले में अनेक सवाल उठने लगे हैं।

🛑 प्रशासन कलंकित, रेत माफिया सक्रिय
कथित चंद भ्रष्ट अधिकारियों के कारण पूरा राजस्व विभाग जिले में कलंकित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर रेत माफिया न केवल सक्रिय हो चुके हैं, बल्कि बिना डरे, बेखौफ होकर अब तो दिन-दहाड़े ही अवैध रेत की तस्करी करने लगे हैं। राजनीतिक संरक्षण और अपने नेताओं का आशीर्वाद पाने वाले छुटभैया नेताओं का अवैध रेत तस्करी से कनेक्शन होने की बात जिले में सर्वत्र चर्चा का विषय बनी हुई है।

🛑 भाजपा तहसील महामंत्री ही निकला खनिज चोर
ग्रामीण आवास योजना के लाभार्थियों को रेत नहीं मिलने के कारण भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला था। वहीं दूसरी ओर, जब सोशल मीडिया पर भाजपा नेताओं के ही रेत तस्करी में शामिल होने की चर्चा चल रही थी, तभी खनिज चोरी के मामले में भाजपा के तहसील महामंत्री के पकड़े जाने से हड़कंप मच गया। जिले के हिवरा गांव के सरपंच और भाजपा के तहसील महामंत्री निलेश गिरमा पुलगमकार के स्वामित्व वाला ट्रैक्टर राजस्व विभाग ने जब्त किया। यह हिवरा गांव गोंडपिपरी तहसील में स्थित है, जो कि राजुरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इस क्षेत्र में खनिज चोरी बड़े पैमाने पर चल रही है। ये कार्य अधिकतर जनप्रतिनिधियों से जुड़े करीबी कार्यकर्ता ही कर रहे हैं। खनिज की चोरी दिन-रात जारी है। गोंडपिपरी के लिखितवाड़ा रेत घाट से नियमों के खिलाफ रेत निकाली जा रही है, इसके बावजूद राजस्व विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। इसी दौरान यह चर्चा भी जोरों पर है कि रेत तस्करी में राजुरा के एक भाजपा नेता के रिश्तेदार भी शामिल हैं। अब भाजपा के तहसील महामंत्री खुद मुरम चोरी करते हुए पकड़े गए हैं। निलेश पुलगमकार, जो हिवरा गांव के सरपंच भी हैं, अपने ही ट्रैक्टर से मुरम की अवैध खुदाई करवा रहे थे, ऐसी जानकारी राजस्व विभाग को मिली। वेडगांव के तलाठी विकास चोपडे ने मौके पर पहुंचकर मुरम से भरे ट्रैक्टर को जब्त कर लिया। यह ट्रैक्टर तहसील कार्यालय में जमा कर दिया गया है।

🛑 राजस्व विभाग को होश नहीं
चंद्रपुर जिले में बड़े पैमाने पर खनिज चोरी हो रही है। इस पर भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने चिंता भी जताई थी। राजुरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक देवराव भोंगले हैं, और उनके ही क्षेत्र में आने वाला गोंडपिपरी तहसील खनिज चोरी का अड्डा बन गया है। लेकिन इस गंभीर समस्या की ओर राजस्व विभाग लगातार नजरअंदाज करता आ रहा है। एक ओर जहाँ सत्ता में बैठी पार्टी देश और राज्य से भ्रष्टाचार खत्म करने की बात कर रही है, वहीं खुद भाजपा के ही तहसील महामंत्री के खनिज चोरी में लिप्त पाए जाने से आम जनता का आक्रोश फूट पड़ा है। अब सवाल यह उठता है कि ऐसे भ्रष्ट नेताओं पर आखिर क्या कार्रवाई की जाएगी?

🛑 राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले का नहीं ध्यान
रेत तस्करी के मामले में चंद्रपुर जिला प्रशासन के अफसर गहरी नींद में डूबे हैं। या नींद में होने का नाटक कर रहे हैं। इसे ही प्रशासन के साथ मिलीभगत और भ्रष्टता का खेल क्यों न समझा जाएं ? राजनीतिक दबाव के आगे झुककर अवैध रेत की मलाई खाने वाले भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ जिलाधिकारी एवं जिला प्रशासन कब सख्ती से निपटेगा ? यह सवाल अब आम जनता भी पूछने लगी है। राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को राजस्व डूबने की कितनी चिंता है, यह सवाल भी अब प्रखरता से पूछा जाने लगा है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और महाराष्ट्र के दिग्गज नेता तथा राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के नेतृत्व का खौफ चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग पर दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा है। चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग के अधिकारी मनमौजी ढंग से काम कर रहे हैं। इसके बावजूद राजस्व मंत्री बावनकुले का यहां के अधिकारियों की भ्रष्ट नीति, लापरवाह कार्यप्रणाली पर कोई अंकुश दिखाई नहीं दे रहा है। इसके चलते चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारी रेत माफियाओं के साथ साठगांठ करके खूब मलाई कमा रहे हैं। इन अधिकारियों के संपत्तियों की आयकर विभाग और अन्य संबंधित विभागों की ओर गहन जांच होनी चाहिये। मंत्री बावनकुले यदि चाहे तो 2 दिनों में चंद्रपुर जिले के राजस्व विभाग की भ्रष्ट बीमारी को ठीक कर सकते हैं। परंतु वे इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान क्यों नहीं दे पा रहे हैं, यह चिंता और चिंतन का विषय बना हुआ है।

🛑 पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके को क्यों नहीं है परवाह ?
जिले के मुखिया कहे जाने वाले पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके तथा जिलाधिकारी विनय गौडा इस जिले की कमान संभाल रहे हैं। वे आये दिन अनेक मसलों पर घंटों तक बैठकें लेते हैं। बावजूद अवैध रेत तस्करी को रोकने के मामले में कोई सकारात्मक असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। इसके विपरीत जिले में सर्वत्र अवैध रेत उत्खनन व परिवहन की खबरों से अखबार पटे पड़े हैं। आये दिन रेत तस्करों का आतंक सूर्खियां बनती है। हर छोटे-बड़े नदी-नालों से खुलेआम अवैध रेत की सप्लाई हो रही है। सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। परंतु संबंधित विभागों की नींद नहीं खुल पा रही है। मिलीभगत और रेत तस्करों से मीठे संबंधों के चलते प्रशासन में मौजूद कथित भ्रष्ट तंत्र रेत की तस्करी नहीं रोक पा रहा है। चर्चा है कि काली कमाई का बड़ा हिस्सा ऊपर तक पहुंचाया जा रहा है। रेत की मलाई कितना ऊपर तक जा रहा है, यह जिले के पालकमंत्री और जिलाधिकारी के लिए जांच और चिंतन का विषय होना चाहिये।