हर तहसील में रेत चोरी : CM पुरस्कार बांटने में व्यस्त, कलेक्टर ऑफिस चमकाने में मस्त, पालकमंत्री झंडा फहराकर पस्त
चंद्रपुर.
चंद्रपुर की बुलंद आवाज अखबार ने गत 10 फरवरी 2025 को ही जिले की असंख्य प्रकाशित समाचारों का हवाला देते हुए हर तहसील में चल रहे रेत के अवैध उत्खनन और तस्करी की प्रमुख खबर को ‘राजस्व अधिकारी क्रीड़ा स्पर्धा में व्यस्त, रेत तस्करों का आतंक जारी’ शिर्षक तले प्रकाशित कर जिला प्रशासन एवं राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को आगाह किया था। साथ ही जिलाधिकारी विनय गौड़ा की ओर से भूला दिये गये उनकी बैठक 24 जनू 2024 में लिये गये फैसले और रेत संबंधित नीति को संवेदनशीलता से लागू करवाने के उनके ही निर्देश को याद दिलाया था। इसके बावजूद न तो जिला प्रशासन जाग सका और न ही कलेक्टर विनय गौड़ा गंभीर हो सकें। अब जब प्रदेश के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बीते 100 दिनों में जिलाधिकारी कार्यालयों और उनकी वेबसाइट को अपडेट व दुरुस्त करने में लगे हैं और इसके पुरस्कार बांट रहे हैं, ऐसे में गत 100 दिनों में चंद्रपुर जिले के हर तहसील एवं प्रत्येक नदी के तट से रेत की बेतहाश चोरी होने की खबरों से तमाम अखबार पटे पड़े हैं। कार्यालयों को सुंदर व दुरुस्त बनाने के चक्कर में जिला प्रशासन करोड़ों के राजस्व की क्षति को नजरअंदाज कर गया।
जहां एक ओर राज्य के CM देवेंद्र फडणवीस पुरस्कार बांटने में व्यस्त नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कलेक्टर विनय गौड़ा ऑफिस चमकाने में मस्त हैं। और तो और जिले के पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके गत 1 मई को कलेक्ट्रेट में झंडा फहराकर पस्त दिखाई पड़ रहे हैं। जिले की हो रही राजस्व क्षति पर न तो उनका कोई बयान आया और न ही उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कोई कठोर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया है।
जिले के पर्यावरणवादी और इरई नदी के प्रहरी अर्थात सरकार व प्रशासन के अनेक समितियों में सदस्य और मार्गदर्शक रहे पर्यावरण अध्ययनकर्ता प्रा. योगेश दुधपचारे तथा प्रा. सुरेश चोपणे जैसे बुद्धिजीवी भी प्रशासन की खामियों को लेकर अनेक सवाल उठा गये। यहां तक की प्रशासन की घोर अनदेखी के चलते रेत तस्करों द्वारा नदी तट को खोखला करने, खुद की सड़क बनवाकर बड़े-बड़े वाहनों से रेत की चोरी करने का मुद्दा उठा चुके हैं। साथ ही नदी तट पर गहरे गड्ढों की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। इसके बावजूद चंद्रपुर जिले का प्रशासन, राजस्व विभाग, खनन विभाग शर्म के मारे डूब नहीं रहा। करोड़ों के राजस्व के लूट पर जिले के आला अफसरों को मानो कोई लेना-देना नहीं है।
राजस्व के साथ-साथ पर्यावरण को हो रही क्षति पर भी इनका कोई ध्यान नहीं है। इसके विपरीत 100 दिनों में अपने कार्यालय और वेबसाइट को चमकाने वाले मुहिम में महाराष्ट्र से अव्वल आने की वाहवाही लूटने में लगा यह प्रशासन शायद आजकल तमाम अखबारों में प्रकाशित हो रही अनगितन खबरों को पढ़ ही नहीं पा रहा है। ऐसा कोई अखबार नहीं बचा है, जिसमें बीते 100 दिनों से अवैध रेत खनन और तस्करों की ओर से बेतहाशा रेत की लूट मचाने वाली खबरें प्रकाशित नहीं की गई हो। वहीं चंद्रपुर जिला प्रशासन की ओर से 100 दिनों में कार्यालय अपडेट करने वाली अपनी रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि वे सरकार और प्रशासन के खिलाफ आने वाली सभी खबरों का संज्ञान लेकर संबंधित विभागों से खुलासा-स्पष्टीकरण प्रकाशित करवाते हैं। लेकिन अवैध रेत तस्करी के मामले में जिला प्रशासन के आला अधिकारी, प्रदेश के दिग्गज नेता और जिले के पालकमंत्री को आखिर हो क्या गया है ? यह समझ से परे हैं।
आखिर वह कौनसी मजबूरी है, जो सरकार को रेत माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से रोक रही है ? इसका जवाब प्रशासन और सरकार की ओर से जनता को दिया जाना चाहिये। इतने बड़े पैमाने पर मची लूट प्रशासन के भ्रष्ट अफसरों के मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। लेकिन प्रशासन के आला अधिकारियों को वाहवाही और पुरस्कारों के खुमार से फुर्सत मिलें तो वे इस करोड़ों के राजस्व नुकसान पर ध्यान दे पाएंगे। तब तक रेत माफियाओं की ओर से ऐसे ही लूट मची रहेगी। यह जिले की आम जनता के लिए चिंता, चिंतन और चर्चा का विषय बना हुआ है।