वेकोलि व सीएसटीपीएस के अधिकारियों की मिलीभगत से 500 टन कोयले की अफरातफरी

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चंद्रपुर : वेकोलि और सीएसटीपीएस के भ्रष्ट अधिकारियों की आपसी मिलीभगत के कारण रोज करीब 500 टन कोयले की अफरातफरी होने की बात सामने आने से समूचे कोयला क्षेत्र में सनसनीखेज खलबली मच गयी है। कोयले की इस अफरातफरी में कोल वॉशरीवाले, ट्रान्सपोर्टर, कोयला डेपोवाले तथा बड़े पैमाने पर कोल माफिया शामिल है। कोयला धुलाने के नाम पर कोल वाॅशरी में कोयला खदानों से ट्रकों द्वारा लाया गया, अच्छी गुणवत्ता वाला अच्छा कोयला निकालकर उसकी जगह पर निम्न गुणवत्तावाला घटिया कोयला भरा जाता है, जोकि बाद में सीएसटीपीएस (चंद्रपुर सुपर थर्मल पावर स्टेशन) को भेजा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में खदान कर्मचारी व अधिकारी से लेकर ट्रान्सपोर्टर कंपनी, कोल वॉशरीवाले, कोल डेपोवाले, सीएसटीपीएस के कर्मचारी व अधिकारी सभी तय प्वाइंट पर अपनी अपनी जिम्मेदारी पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार निभाते हैं। जिले के राजुरा, बल्लारपुर, चंद्रपुर, माजरी, दुर्गापूर, घुग्घुस आदि क्षेत्रों से रोज सैंकडों ट्रकों से सीएसटीपीएस में भेजा जाता है। यह पूरा काम पूर्वनिर्धारित तय साजिशी योजना के अनुसार होता है। हजारों टन कोयला खदानों से सीधे सीएसटीपीएस में न जाते हुये पहले कोल वाॅशरीज में जाता है और वहीं धुलने के बाद फिर सीएसटीपीएस में आता है। इस पूरे चक्कर में कितना अच्छा कोयला निकाला (मतलब ट्रकों से उतारा) जाता है और उसके स्थान पर कितना टन बैड मटेरियल (काली मिट्टी, गिट्टी, चुरी, डस्ट आदि) मिलाया जाता है। इसका कोई हिसाब नहीं रखा जाता है। मगर हर ट्रक से कई टन के करीब अच्छा कोयला काला बाजार में चढ़े दाम से बेचा जाता है। इसी हेराफेरी में कोल वाॅशरीजवाले, ट्रान्सपोर्टर, कोल डेपोवाले और कोयला माफिया लाखों रुपये कमा लेते हैं। यही तो उनकी असली कमाई हैं।

अर्थात वेकोलि और सीएसटीपीएस के अधिकारियों की सहमति, सहयोग और सहभाग के बिना यह संभव नहीं है। वेकोलि अधिकारियों की हरी झंडी होने के कारण ट्रकों में ओवरलोड कोयला भरा जाता है और सीएसटीपीएस के अधिकारियों की हरी झंडी होने के कारण ट्रकों में ओवर लोड कोयला भरा जाता है और सीएसटीपीएस के अधिकारियों की हरी झंडी होने से वहां कोलवाॅशरी से आने वाले ट्रकों की जरूरी जांच पडताल भी नहीं की जाती। इसी वजह से सारा पाप छिप जाता है। कोयला की धुलाई में सभी के पाप, हेराफेरी, अफरातफरी व कालाबाजारी धूल जाते हैं। कोल माफिया से लेकर संबंधित अधिकारियों तक सभी को अवैध कमाई हो जाती है जिसकी दो पैसे की औकात नहीं वो लखपति-करोड़पति बन जाता है। जय हो भ्रष्टाचार की…!