जिले में बढ़ते अवैध धंधों पर काबू क्यों नहीं ?

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चंद्रपुर :

चंद्रपुर जिले में अवैध धंधों की बाढ़ आयी है यह तथा प्रशासन और पुलिस की तमाम नाकामियों के चलते अवैध धंधेवालों के हौंसले काफी बुलंद होने की बात अब छिपी नहीं है। ऐसा कौन सा अवैध धंधा है, जो यहां नहीं होता और ऐसा कौनसा गैरकानूनी धंधेवाला है जोकि संबंधित सरकारी अधिकारियों की मेहरबानियों के चलते लाखों – करोड़ों नहीं कमाता ऐसा कहा जाता है। यह अतिशयोक्ति नहीं बल्कि वास्तविकता है। वास्तव में जिले के लिए यह गौरव की बात नहीं है उलटा जिले के नाम पर लगा यह कलंक व बदनामी का काला धब्बा है। लेकिन जिले में कार्यरत कुछ बेशर्म, नालायक, निकम्मे-नकारे व रिश्वतखोर भ्रष्ट अधिकारी इस संतापजनक दुर्देवी स्थिति में भी शोक मनाने के बजाय जश्न मनाने की बात सोचते हैं। चंद्रपुर शहर के बड़े नामी होटलों में रोज रात में चलने वाली अधिकारी, ठेकेदार, दलाल, माफिया और पुलिस अफसरों की सुरा सुंदरों वाली गिली पार्टियां इसका जीता जागता सबूत है।

चंद्रपुर जिले के कोयला और शराब का अवैध धंधा तो जैसे आम बात हो गयी हैं। लाख कोशिशों के बावजूद भी कोयला चोरी, तस्करी एवं कारोबारी पर काबू नहीं पाया जा सका है। कच्ची शराब का अवैध धंधा तो जिले की पहचान बन गया है। नवसागर मिली महुए की जहरीली शराब का तो यह जिला हब बन गया है। हर तरह की नकली विषाक्त, देशी विदेशी शराब यहां बड़े पैमाने पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है। प्रतिबंधित सुगंधित तंबाकू अौर माजा, गुटखा, जैसे उनके जहरीले उत्पाद यहां सर्वत्र सरेआम बेचे, खरीदे और इस्तेमाल किये जाते हैं। तंबाकू, गुटखा और अन्य तंबाकूजन्य उत्पादों की तस्करी यहां जोरों शोरों से शुरू है। उस पर किसी का नियंत्रण नहीं है। रेती चोरी, तस्करी, परिवहन का अवैध धंधा यहां तेजी से चल रहा है। जिले के नदी नालों में रात दिन रेती का अवैध उत्खनन चल रहा है जिसके चलते जिले की कई नदियों एवं नालों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। फ्लाय एश – राख का अवैध धंधा भी जोर पकड़ रहा है। अवैध खनिज खनन, ढुलाई और भंडारन का धंधा भी उफान पर है। हथियार, गोवंश, मानव, पशुधन, गांजा, माजा (ड्रग्स) आदि की तरक्की का अवैध धंधा भी यहां जोरों से चल रहा है| हर तरह का अवैध धंधा यहां होता है और इन धंधों से जुड़े चोर, तस्कर व माफिया दिन दुनी रात चौगुनी आर्थिक तरक्की करते जाते हैं। जो मिलबांटकर खाते हैं वे ही इन धंधों में पनपते है और जो पुलिस अधिकारी, पत्रकार, राजनेता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट से पंगा लेते हैं वे संकट में पड़ जाते हैं।

ऐसा नहीं है कि पुलिस कार्रवाई करती नहीं। ऐसा भी नहीं कि संबंधित अन्य सरकारी विभाग इन अवैध धंधों पर नकेल कसने की कोशिश नहीं करता। भले ही दिखावे के लिए ही क्यों न हो बीच बीच में छापामार कार्रवाई करते रहते हैं। माल बरामदगी भी होती है और कुछ गिरफ्तारियां भी। लेकिन धंधे बंद नहीं होते| उलटा वे और तेजी से चलने लगते हैं। उनका एरिया विस्तार हो जाता है। शिकारी भी बढ़ते है और शिकार भी।