-आधुनिकीकरण तो हो गया, अधिनस्त अफसरों की सोच कब बदलेगी ?
-सुविधाएं तो सुधर रही, किंतु प्रशासनिक चालबाजियों पर कैसे लगाएंगे प्रतिबंध ?
– महाराष्ट्र सरकार के 100 दिनों के कार्यालयीन सुधार मुहिम में चंद्रपुर के जिलाधिकारी राज्य में से सर्वोत्कृष्ठ चयनित होने पर उठ रहे अनेक सवाल
लिमेशकुमार जंगम, चंद्रपुर.
खोजी पत्रकारिता के दायरे को यदि बढ़ाया जाएं तो तमाम तरह की खामियां उजागर की जा सकती हैं। बहरहाल वर्तमान में चंद्रपुर जिले के लिए यह गर्व की बात है कि महाराष्ट्र सरकार के 100 दिनों के कार्यालयीन सुधार मुहिम में चंद्रपुर के जिलाधिकारी विनय गौड़ा यह राज्य में से सर्वोत्कृष्ठ साबित हुए। इस बीच हम देख पा रहे हैं कि कलेक्ट्रेट में यकीनन अनेक सुधार हुए हैं। लेकिन पुराने ढर्रे पर चल रहे अधिनस्त अधिकारियों की सोच आज तक नहीं बदली है। प्रमुख 3 प्रशासनिक गलतियों या यूं कहे कि मुद्दों पर हमने गौर किया। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व सांसद नरेश पुगलिया के माध्यम से जिलाधिकारी कार्यालय के खनन विभाग से संबंधित सूचना अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में जिला प्रशासन झूठा साबित हुआ। क्योंकि आरटीआई में जिला खनिज प्रतिष्ठाण के पास 865 करोड़ रुपये बैंक में जमा थे। फिर अचानक यह राशि घटकर 225 करोड़ हो गई।
हाल ही में भाजपा द्वारा आयोजित कार्यक्रम के मंच पर जिलाधिकारी विनय गौड़ा पहुंच गये। इस राजनीतिक मंच से उन्होंने जनता को मार्गदर्शन भी किया। ‘मुझे चढ गया भगवा रंग… ’ कार्यक्रम में बेहिचक जिलाधिकारी विनय गौड़ा का मौजूद होना भारतीय संविधान के धर्म निरपेक्षता से संबंधित कर्तव्यों की खुलेआम धज्जियां उड़ाना रहा। वे उनके Central Civil Services Conduct Rules, 1964 अर्थात अधिकारियों के आचरण के लिए बना केंद्रीय सिविल सेवा आचरण नियम का पाठ खुद ही भूल गये। जबकि वे अपने 100 दिन वाले कार्यालयीन सुधार की 28 पेजेस की रिपोर्ट में पेज नंबर 13 पर मौजूद मुद्दा क्रमांक 6 के (ई) में दावा करते हैं कि वे अखबारों में सरकार के खिलाफ प्रकाशित होने वाले खबरों का संज्ञान लेकर संबंधित विभागों से खुलासा-स्पष्टीकरण प्रकाशित करवाते हैं। परंतु उन पर लगे इस आरोप पर उन्होंने अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।
अब जब 100 दिनों वाली अपने कार्यालय को सर्वोत्तम बनाने की मुहिम में वे अव्वल आये हैं तो हमने जिलाधिकारी कार्यालय की वेबसाइट को अपडेट करने संबंधित दावे की पड़ताल की तो पाया कि तमाम अधिकारियों के फोटो, उनके पद, ईमेल आई, कार्यालयीन फोन नंबर अपडेट मिले। परंतु यह अपडेट आज भी इसलिए अधूरा माना जाना चाहिये क्योंकि यहां अन्न धान्य वितरण अधिकारी का नाम, पद, फोन नंबर तो दर्ज है किंतु ईमेल आईडी को दर्ज करवाना जिलाधिकारी विनय गौड़ा शायद भूल गये हैं।
जिलाधिकारी गौड़ा यकीनन अभिनंदन के पात्र
महाराष्ट्र सरकार की 100 दिनों की कार्यालय सुधार मुहिम में चंद्रपुर के जिलाधिकारी विनय गौड़ा को पूरे राज्य में सर्वश्रेष्ठ जिलाधिकारी घोषित किया गया है। उनके नेतृत्व में चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय ने 84.29 अंक हासिल कर राज्य में पहला स्थान प्राप्त किया। इसलिए वे अभिनंदन के पात्र हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पहल पर यह मुहिम शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य था कि शासकीय कार्यालयों में अनुशासन लाना, लोगों के काम तेजी से करना और सरकार व जनता के बीच विश्वास बढ़ाना। इस मुहिम के पहले चरण का मूल्यांकन महाराष्ट्र दिवस पर किया गया। इसमें चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय को सबसे श्रेष्ठ घोषित किया गया। दावा किया जा रहा है कि यहां के कार्यालय की वेबसाइट को अपडेट किया गया, शिकायत निवारण की प्रक्रिया सुधारी गई, आगंतुकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई गईं, ई-ऑफिस प्रणाली का उपयोग किया गया, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए प्रशिक्षण दिए गए, निवेश को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए, और कई नवाचार अपनाए गए।
पूर्व सांसद को RTI में झूठी जानकारी क्यों देता है कलेक्ट्रेट ?
अब जब चंद्रपुर का जिला प्रशासन अपडेट और चुस्त-दुरुस्त हो चुका है तो सबसे अहम सवाल यह उठता है कि इसकी विश्वसनीयता कितनी है ? क्या पारदर्शिता कलेक्ट्रेट में दिखाई पड़ती है ? या विनय गौड़ा की टीम के अधिनस्त अधिकारी आज भी पुराने ढर्रे पर चलते हुए प्रशासनिक जानकारियों को छिपाने, झूठी जानकारी देने का खेल खेल रहे हैं ? मामला ताजा ही है, जिसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व सांसद नरेश पुगलिया को जिलाधिकारी कार्यालय के खनन विभाग की ओर से झूठी जानकारी परोसी गई। गत 28 फरवरी तक जिला खनिज प्रतिष्ठान के खाते में 865 करोड़ रुपये बैंक में जमा थे। उन्होंने पत्रपरिषद में इसकी जानकारी दी और महज सप्ताह भर में ही मार्च अंत तक इस प्रतिष्ठान के पास 225 करोड़ रुपये शेष होने का स्पष्टीकरण प्रशासन ने उजागर किया। यदि स्पष्टीकरण के दावे को सच माने तो पूर्व सांसद पुगलिया को दी गई जानकारी झूठी साबित हो जाती है। ऐसे में सवाल उठना लाजिम है कि महाराष्ट्र में अव्वल आने वाले चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय में पारदर्शिता की यह गड़बड़ी चल कैसी रही है ? यदि एक पूर्व सांसद के साथ ही झूठी जानकारियां देने का खेल खेला जा रहा हो तो आम नागरिकों के साथ क्या हश्र होगा ?
भगवामय कलेक्टर बनने का इनाम तो नहीं मिला ?
राजनीति में यह देखने को मिलता है कि जो जितना उग्र रूप धारण करेगा, उसे वरिष्ठ राजनेता उतना ही सम्मान करते हैं। क्या यह बीमारी अब प्रशासन में प्रवेश कर गई है? यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि “मुझे चढ गया भगवा रंग…” लोकप्रिय गीत की गायिका शहनाज अख्तर के लाईव कॉन्सर्ट 11 अप्रैल 2025 की शाम 6 बजे माता महाकाली मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम भाजपा की ओर से था। इस राजनीतिक कार्यक्रम में जिलाधिकारी विनय गौड़ा मंच पर पहुंच गये। और उन्होंने जनता को मार्गदर्शन भी किया। उनकी यह हरकत संविधान के धर्म निरपेक्षता के तत्व को पलिता पोत गई। ‘मुझे चढ गया भगवा रंग… ’ कार्यक्रम में कलेक्टर गौड़ा की हरकतें भारतीय संविधान के धर्म निरपेक्षता से संबंधित कर्तव्यों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते दिखी। वे उनके Central Civil Services Conduct Rules, 1964 अर्थात अधिकारियों के आचरण के लिए बने केंद्रीय सिविल सेवा आचरण नियम को भूल गये। वहीं इस समय गौड़ा महोदय दावा करते हैं कि वे अपने 100 दिन वाले कार्यालयीन सुधार मुहिम के तहत अखबारों में प्रकाशित होने वाले खबरों का संज्ञान लेते हैं। संबंधित विभागों से खुलासा-स्पष्टीकरण प्रकाशित करवाते हैं। लेकिन उन पर लगे धर्म निरपेक्षता के हनन और राजनीतिक मंच को साझा करने के आरोप पर उन्होंने अब तक कोई स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया है ?
आपूर्ति अधिकारी का ईमेल पता गायब तो वेबसाइट अपडेट कैसे ?
महाराष्ट्र सरकार के 100 दिनों के कार्यालयीन सुधार मुहिम में सबसे पहला मुद्दा यह है कि जिलाधिकारी कार्यालय के वेबसाइट को अपडेट करना है। इस पहले मुद्दे को लेकर हमने जब पड़ताल की तो अनेक जानकारियां मिली। इसमें सबसे अधिक चौंकाने वाली जानकारी यह है कि खुद को अपडेट बताकर प्रथम क्रमांक पाने वाले चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय की वेबसाइट में आपूर्ति अधिकारी का ईमेल पता ही गायब है। जिलाधिकारी कार्यालय की वेबसाइट को अपडेट करने संबंधित दावे की यहां पोल खुल गई है। यहां तमाम अधिकारियों के फोटो, उनके पद, ईमेल आई, कार्यालयीन फोन नंबर अपडेट मिले। परंतु यह अपडेट अधूरा ही माना जाएगा, क्योंकि यहां अन्न धान्य वितरण अधिकारी सुमेर चौरे का नाम, पद, फोन नंबर तो दर्ज है किंतु अन्य अधिकारियों की तरह ईमेल आईडी का पता नदारद है। इसे दर्ज करवाना जिलाधिकारी विनय गौड़ा शायद भूल गये होंगे।