■ स्थानीय नेताओं से पालकमंत्री पद छिन गया तो
जिले को क्या मिला ? ठेंगा !
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लिमेश कुमार, चंद्रपुर.
🔴 स्थानीय नेतृत्व को नज़रअंदाज़ किया गया :
चंद्रपुर जिले में वर्षों से विकास की रफ्तार स्थानीय नेताओं के प्रभाव के कारण बनी रही। पूर्व पालकमंत्री रहे सुधीर मुनगंटीवार (भाजपा) और विजय वडेट्टीवार (कांग्रेस) जैसे वरिष्ठ नेताओं ने अपने प्रभाव से जिले को करोड़ों की निधियां दिलवाईं।
🔴 अबकी बार बाहरी नेता पालकमंत्री :
राज्य सरकार ने इस बार आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके को चंद्रपुर जिले का पालकमंत्री नियुक्त किया, जो स्थानीय नहीं हैं। इससे जनता में नाराजगी देखी गई। यह नाराजगी आज भी जारी है।
🔴 बजट में मिला निराशाजनक व्यवहार :
मार्च में पेश हुए महाराष्ट्र राज्य के बजट में चंद्रपुर को कोई विशेष निधि या योजना नहीं मिली, जबकि पड़ोसी गढ़चिरौली को “स्टील हब” का दर्जा और एयरपोर्ट जैसी परियोजनाएं प्राप्त हुईं।
🔴 6 में से 5 विधायक भाजपा के, फिर भी उपेक्षा :
चंद्रपुर जिले से विधानसभा में चुने गए 6 में से 5 विधायक भाजपा के हैं, फिर भी न उन्हें मंत्री पद मिला और न जिले को कोई बड़ा प्रोजेक्ट।
🔴 स्थानीय नेताओं को नहीं मिली ज़िम्मेदारी :
स्थानीय नेता और पूर्व में प्रदेश के वित्त मंत्री रहे सुधीर मुनगंटीवार जैसे दिग्गज नेतृत्व को इस बार कैबिनेट से बाहर कर दिया गया। जिले के किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया, जिससे जिले की प्रतिनिधित्व क्षमता प्रभावित हुई।
🔴 डॉ. उईके की चुप्पी पर सवाल :
नवनियुक्त पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके राज्य के बजट में चंद्रपुर के लिए कोई ठोस पहल नहीं कर सके। न कोई विशेष योजना, न कोई विकास पैकेज घोषित हुआ।
🔴 केवल “फीता काटने” तक सीमित भूमिकाएं :
जिले में खनन और उद्योगों से जो राजस्व जुटाया जाता है, जिला खनिज विकास निधि इकठ्ठा होती है, उसी निधि से योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका केवल उद्घाटन कर मंत्री जी वाहवाही लूट रहे हैं।
🔴 जनता का बढ़ता असंतोष :
चंद्रपुरवासियों में अब यह चर्चा तेज़ हो गई है कि क्या बाहरी पालकमंत्री के कारण जिले को निरंतर नुकसान उठाना पड़ेगा ?
🔴 मुख्य सवाल जो अब उठ रहे हैं 🔴
- क्या चंद्रपुर के साथ यह राजनीतिक अन्याय अगले 5 वर्षों तक चलता रहेगा?
- क्या डॉ. उईके सरकार पर दबाव डालकर जिले के लिए विशेष परियोजनाएं ला पाएंगे?
- क्या राज्य व केंद्र सरकार की आपसी राजनीति का खामियाजा चंद्रपुर की जनता भुगतेगी?
- क्या चंद्रपुर को फिर से कोई स्थानीय और प्रभावशाली पालकमंत्री मिलेगा?
जिले की जनता ने बीते दशक में वह दौर देखा है जहां, राज्य और केंद्र सरकार से करोड़ों की निधि हासिल कर चंद्रपुर जिले के विकास को चार चांद लगाये गये। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार राज्य के वित्तमंत्री पद पर रहे और चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री की कमान संभालते हुए उन्होंने करोड़ों की निधि यहां खर्च की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार आपदा मंत्री बने तो कोरोना महामारी ने दस्तक दी। इससे निपटने के उपायों में भी चंद्रपुर जिले में निधि की कमी नहीं होने दी गई। आर्थिक नुकसान को देखते हुए शराबबंदी हटा दी गई। लेकिन अब जब भाजपा नेता एवं प्रदेश के आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उईके को चंद्रपुर के पालकमंत्री पद पर लाकर बिठाया गया। (वे चंद्रपुर के स्थानीय नेता नहीं हैं।) जनता नाराज हो गई। लेकिन उम्मीद थी कि वे कुछ कर पाएंगे। परंतु बीते मार्च माह के महाराष्ट्र का बजट पेश हुआ तो पड़ोसी जिले गड़चिरोली पर तो सरकार ने खूब मेहरबानी की, लेकिन चंद्रपुर जिले में सत्ताधारी भाजपा दल के 5 विधायक होते हुए भी चंद्रपुर को राज्य सरकार ने ठेंगा दिखा दिया। कोई विशेष प्रावधान नहीं, कोई विशेष निधि नहीं दी गई। चंद्रपुर जिले का स्थानीय नेता पालकमंत्री नहीं बनाये जाने के कारण यह खामियाजा आज चंद्रपुर वासियों को भुगतना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि इस बार के महाराष्ट्र के बजट में पड़ोस के गड़चिरोली जिले को स्टील हब बनाने की घोषणा कर दी गई। वहां एयरपोर्ट निर्माण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। और बरसों से औद्योगिक जिला समझे जाने वाले चंद्रपुर जिले की लाखों जनता की आशाओं पर पानी फेर दिया गया। इस बार यहां की जनता ने विधानसभा चुनावों में 6 में से 5 सीटों पर भाजपा के विधायकों को चुनकर सदन में भेजा। लेकिन सरकार ने स्थानीय वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार को अपने मंत्रिमंडल से बाहर रख दिया। कोई मंत्री पद नहीं दिया। यहां तक की जिले के 5 विधायकों में से किसी एक को भी मंत्री नहीं बनाया गया। इस अन्याय को तो जिला वासियों ने सहन कर लिया। लेकिन मार्च माह में जब राज्य का बजट पेश किया जा रहा था तब यह देखकर हैरानी हुई कि (बाहरी नेता) चंद्रपुर जिले के नवनियुक्त पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके अपने चंद्रपुर वासियों पर हुए अन्याय को दूर करने के लिए बजट में कोई सौगात नहीं ला पाएं। इस बार न तो जिले के लिए कोई विशेष पैकेज मिला और न ही किसी बड़े विकास कार्य की घोषणा हुई।
जिले के ही खनन एवं उद्योगों से इकठ्ठा हो रहे राजस्व तथा जिला खनिज विकास निधि से ही योजनाओं का उद्घाटन कर वाहवाही बटोरी जा रही है। राज्य सरकार यहां चंद्रपुर जिले को कुछ दे नहीं पा रहा है और सत्ताधारी सरकार से करोड़ों की निधि खिंचकर लाने में विफल हो रहे हैं, ऐसे में जिले की ही हक की निधि का इस्तेमाल कर फीता काटने के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। स्थानीय नेताओं को पालकमंत्री नहीं बनाए जाने का यह नुकसान चंद्रपुर जिले की जनता कब तक सहेगी ? क्या आगामी 5 वर्षों तक चंद्रपुर जिले पर इसी तरह से निधि की कमी, प्रोजेक्ट का अटकना, नई परियोजनाओं का साकार न होना, यह सारा स्थानीय जनता को बर्दाश्त करना पड़ेगा ?
क्या महाराष्ट्र और केंद्र सरकार की राजनीति और आपसी खिंचतान का खामियाजा चंद्रपुर जिले की जनता सहती रहें ? क्या नवनियुक्त पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके अपने चंद्रपुर जिले के लिए कोई बड़ी परियोजना को लेकर अपने ही सरकार पर कोई दबाव बनाने में कामयाब रहेंगे ? क्या डॉ. उईके बजट, निधि, प्रोजेक्ट और अन्य मामलों में चंद्रपुर जिले पर सरकार की ओर से हो रहे अन्याय को लेकर आवाज बुलंद करेंगे या अपनी ही सरकार का बचाव करने के चक्कर में चंद्रपुर जिलावासियों पर अन्याय होने देंगे ?
इस तरह के अनेक सवालों के चलते अब जनता में चर्चा होने लगी है कि नवनियुक्त पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके को चंद्रपुर जिले पर थोपे जाने के कारण चंद्रपुर जिले का बेतहाशा नुकसान हो रहा है। यदि किसी स्थानीय नेता को इस जिले का पालकमंत्री बनाया गया होता शायद हालत कुछ और होते।