500 करोड़ का शराब बिक्री लाइसेंस घोटाला : एसआईटी आयी गयी हो गयी, अब दोषियों पर कार्रवाई कब होगी?

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चंद्रपुर : जिले में शराबबंदी हटाये जाने के बाद धडल्ले से बांटे गये, शराब बिक्री के लाइसेंस मामले में बरती गयी अनियमितताओं तथा आर्थिक सांठगांठ के चलते नियमों की उड़ाई गई धज्जियां मामले में संबंघित अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका की जाँच करने हेतु गठित की गई एसआईटी विलंब से क्यों न हो अंतत: चंद्रपुर में आयी तो सही। आयी तो आयी दो दिन रही भी। और रही तो उसने अपने कर्तव्य का निर्वहन भी किया और 42 शिकायतें स्वीकार भी की। जिले के आबकारी (राज्य उत्पादन शुल्क) विभाग की सुनी, कुछ दस्तावेज देखें और शिकायतकर्ताओं से रुबरू हुई। अब वो अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी और फिर सरकार उस पर निर्णय करेगी। सवाल है कि शराब बिक्री लाइसेंस मामले में हुई कथित धांधलियों की जाँच हेतु गठित एसआईटी (विशेष जाँच दल) को चंद्रपुर आने में चार महिने लग गये तो अब उसके रिपोर्ट देने और उस पर सरकार द्वारा निर्णय लेने के लिए कितने महीने-कितने साल लगेंगे? जिस गति से यह सब चल रहा है और एसआईटी जिस गति से काम कर रही है उसे अगर मद्देनजर रखा जाये तो नहीं लगता कि आगामी कुछ महीनों में इस पर कोई निर्णय होगा। एसआईटी को प्राप्त हुई शिकायतों एवं शिकायतकर्ताओं पर गौर किया जाये तो यह स्पष्ट हर जायेगा कि इतने आसानी से यह मामला निपटनेवाला नहीं हैं। नये लाइसेंसधारक और उनके राजनीतिक आकाओं ने सरकार को घेरने, एसआईटी के सदस्यों को खरीदने तथा राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के (आबकारी विभाग) नीचे से ऊपर तक के अधिकारियों काे प्याले में उतारने की जो चौतरफा कोशिश जारी रखी है उसे देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि इस मामले में शीघ्र ही कुछ होगा। न विवादित संदिग्ध और अवैध शराब बिक्री लाइसेंस रद्द किये जायेंगे न निलंबित पूर्व जिला आबकारी अधीक्षक संजय पाटिल और दो अन्य बड़े आबकारी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी और न विभाग के उन वरिष्ठ आला अफसरों को सबक पढ़ाया जायेगा जिन्होंने इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड कौन है, विवादित शराब बिक्री लाइसेंस धारकों का आका कौन है और उनका चंद्रपुर – मुंबई नेटवर्क कैसे काम करता है, इसका खुलासा कैसे संभव है?

एसआईटी के एक सदस्य ने चंद्रपुर की बुलंद आवाज को बताया कि एसआईटी कुछ सिफारिशों के साथ अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। उन सिफारिशों पर अंमल करना या न करना इसका निर्णय सरकार करेगी। इसके लिए कोई टाईम लिमिट निर्धारित नहीं की गयी है। एसआईटी के आने से चंद्रपुर के शराब बाजार में खलबली जरूर मची। लेकिन आकाओं द्वारा आश्वस्त कराने के बाद स्थिति सामान्य हो गयी। बताया जाता है कि शराब बिक्री, परमिट रूम, बीयर बार और बीयर शॉपी के विवादित लाइसेंस बांटने के गोरखधंधे में करीब 500 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। यही वजह है कि जिले में लाइसेंस की संख्या 351 से बढ़कर 750 पार हो गयी है। अर्थात यह मिल बांटकर खाओ के तत्व पर हुआ है। सभी की अपनी अपनी भागीदारी मिल रही है। कुछ माल मुंबई गया, कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के जेब में गया और बाकी बचा आका खा गये।