चंद्रपुर महानगर पालिका प्रशासन की घोर लापरवाहियों पर किसी जनप्रतिनिधि का कोई अंकुश नहीं
- जनप्रतिनिधि AC में सुस्त, प्रशासन नींद में मस्त
- चंद्रपुर को मनपा प्रशासन ने बना दिया खुदाईपुर
- मुख्य मार्ग पर पेयजल बर्बादी, गिट्टी-मिट्टी के ढेर, खुले पड़े पाइप, गहरे गड्ढे, उड़ती धूल पर MPCB भी बना कुंभकर्ण
चंद्रपुर :
इस बार चंद्रपुर शहर की बदहाली, बदसूरती की दर्द भरी यादें 3 अप्रैल से शुरू होने जा रहे माता महाकाली यात्रा में महाराष्ट्र के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालु अपने जेहन में समेटकर अवश्य ही ले जाएंगे। क्योंकि चंद्रपुर के निवासियों को तो अब अन्याय सहने की आदत सी हो गई है। प्रशासन जब मन चाहे तब मुख्य सड़कों को खोद देता है। चाहे धूल उड़े या कीचड़, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। किसी नागरिक ने यदि अपने मकान के निर्माण कार्य के समय सड़क किनारे गिट्टी का ढेर डाल दिया हो तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है। परंतु मनपा प्रशासन ही अगर खुद चंद्रपुर शहर की सड़कों को खुली गिट्टी बिछाकर बर्बाद कर दें, लोगों के वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाएं, हडि्डयां टूट जाएं तो भी यहां कोई अफसर जिम्मेदार नहीं होता है। हद तो तब हो जाती है जब बरसों से जटपुरा गेट पर लीकेज के कारण लाखों लीटर पेयजल बर्बाद होकर नदियों की तरह बहती है। जटपुरा से छोटा बाजार चौक तक सड़क कीचड़युक्त हो जाता है। जलापूर्ति विभाग के मुखिया विजय बोरिकर अपने काम में फेल हो चुके हैं। उनके अधिनस्त इंजीनियर, सुपरवाइजर उनकी सुनते नहीं। हालात बेकाबू हो रहे। इधर, स्थानीय जनप्रतिनिधि भीषण गर्मी में AC की ठंडी हवा में सुस्त है। प्रशासन नींद में मस्त है। चंद्रपुर को खुदाईपुर बना दिया गया है। मिट्टी ढेर सड़क पर बिखरकर जयंत टॉकिज चौक से जटपुरा तक धूल के बवंडर बना रहे है। MPCB के अधिकारी मानो कुंभकर्ण की भूमिका निभाने के लिए आतुर हो चुके हैं। चंद्रपुर का यह बुरा हाल माता महाकाली के श्रद्धालुओं के लिए सूखद कैसे होगा ?
कहां गये विधायक जोरगेवार के 20 करोड़ ?
चंद्रपुर के विधायक किशोर जोरगेवार अपने शहर को विकसित करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मनपा प्रशासन उनके सपनों को घांस भी नहीं डाल रहा है। अखबारों में 15 दिन पूर्व दावा किया गया था कि चैत्र नवरात्र यात्रा के पूर्व शहर के प्रमुख मार्गों का निर्माण कराया जाएगा। 15 दिन बीत गये और चंद्रपुरवासी सिवरेज के खुदाई के गड्ढों, गिट्टी, मिट्टी के ढेर, धूल में से ही आवागमन कर रहे हैं। विधायक जोरगेवार महोदय के निर्देशों को मनपा के अफसरों ने धूल में ही उड़ा दिया। चैत्र नवरात्र आ चुका है और 15 दिन पहले चंद्रपुर शहर के जो हालात थे, वही स्थिति आज भी है। तो फिर आखिर सवाल यह उठता है कि आखिर विधायक जोरगेवार के माध्यम से मंजूर 20 करोड़ की निधि कहां गायब हो गई ? जमीन खा गया या आसमान ने निगल लिया ? सड़कें तो बनी नहीं, तो फिर विधायक किशारे जोरगेवार और अभियंता विजय बोरिकर ने सड़कों का निरीक्षण दौरा करके क्या हासिल कर लिया ? इसका जवाब मनपा प्रशासन देगी या विधायक महोदय माता महाकाली के श्रद्धालुओं को बताएंगे ?
कहते है माता महाकाली के श्रद्धालुओं को असुविधा न हो
3 अप्रैल से शुरू होने जा रहे चंद्रपुर के सुप्रसिद्ध माता महाकाली की यात्रा को लेकर मीडिया में बड़े-बड़े दावे प्रकाशित कर वाहवाही लूटने का खेल खेला जा रहा है। विविध विभाग के अधिकारियों के साथ बैठकें ली जा रही है। लेकिन यह कोई नहीं बता रहा है कि झरपट नदी का पानी कितना प्रदूषित है ? हर बार की तरह ही यह पानी तय सीमा से अधिक प्रदूषित होने के कारण इसमें नहाना भी घातक हो सकता है। प्रशासन की ओर से नोटिस बोर्ड लगाकर जनता के स्वास्थ्य की चेतावनी देना, यह किसकी जिम्मेदारी है ? अंधे कुएं में श्रद्धालुओं को धकेलने की नीति पर प्रशासन आखिर क्यों चल रहा है ? तमाम तरह के तामझाम के बावजूद यात्रा के समय श्रद्धालुओं को सड़कों के किनारे, डिवाडर के बीच और जहां जगह मिले, वहां जमीन पर नीचे सोते हुए देखा जाता रहा है। इस असुविधा को लेकर क्या प्रशासन के पास कोई ठोस प्लान नहीं है ? सुविधाओं की ढकोसलेबाजी पर चंद्रपुर के अराध्य देवी के स्थानीय भक्त चुप्पी क्यों साध जाते है ? ऐसे अनगिनत सवालों के जवाब न तो प्रशासन देता है और न ही कोई जनप्रतिनिधि इस आस्था के स्थल पर हो रही असुविधा को लेकर अपना कड़ा रूख साफ करता है। यह चिंता और चिंतन का विषय है।
अभियंता बोरिकर कहां बिजी रहते हैं ?
मनपा के जलापूर्ति विभाग के मुखिया और शहरवासियों को पेयजल उपलब्ध कराने वाले तृष्णा तृप्ति के दाता, प्यासे चंद्रपुरवासियों के मसिहा अभियंता विजय बोरिकर आजकल कहां व्यस्त रहते है ? यह कोई बता नहीं पा रहा है। बरसों से जटपुरा गेट के सामने एक बड़ा लीकेट बना हुआ है। हालांकि इसके अलावा भी शहर भर में अनेक लीकेज पाये जाते हैं। लेकिन जटपुरा गेट पर बना लीकेज मुख्य सड़क को नदी जैसे प्रवाह में तब्दील कर देता है। यहां से प्रतिदिन लाखों लीटर पानी बहता रहता है। यह पानी जटपुरा से छोटा बाजार चौक तक बहता रहता है। लेकिन विजय बोरिकर और उनकी टीम ने अपनी आंखें मानो मूंद ली है। सूत्र बताते हैं कि उनके अधिनस्त इंजीनियर और सुपरवाइजर उनके निर्देशों को सुनकर अनसुना कर देते हैं। जावेद शेख और सिडाम जैसे होनहार और निपुण लोगों की टीम रहते हुए भी विजय बोरिकर की अपने ही विभाग में नहीं चल रही है। इसलिए पेयजल की बर्बादी को रोकने में वे और उनका विभाग लगातार नाकाम हो रहा है। इस नाकामी को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से चुप्पी साधे बैठना कहीं न कहीं सत्ताधारियों की भी नाकामी को उजागर कर रहा है।