चंद्रपुर में पहले से ही बढ़ते प्रदूषण स्तर में मार्च महीने में और इजाफा हुआ है। खुद प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च के 31 दिनों में से 9 दिन प्रदूषण अत्यधिक खराब रहा, 18 दिन मध्यम स्तर का प्रदूषण दर्ज किया गया और केवल 4 दिन ही हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही। पर्यावरण विशेषज्ञ प्रो. सुरेश चोपणे के अनुसार, यह प्रदूषण मुख्य रूप से शहर में चल रही अनियंत्रित सड़क खुदाई और निर्माण कार्यों के कारण बढ़ा है। इसके बावजूद MPCB के आला अधिकारियों के अलावा चंद्रपुर मनपा की नींद नहीं टूट रही है। इस घोर अनदेखी और लापरवाही पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने चुप्पी साध ली है।
मार्च में प्रदूषण के आंकड़े
- 0-50 AQI (अच्छा): एक भी दिन ऐसा नहीं रहा।
- 51-100 AQI (संतोषजनक): केवल 4 दिन।
- 101-200 AQI (मध्यम प्रदूषण): 18 दिन।
- 201-300 AQI (खराब प्रदूषण): 9 दिन।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि पूरे महीने में केवल 4 दिन ही हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जबकि बाकी दिनों में प्रदूषण का स्तर मध्यम से अत्यधिक खराब रहा।
प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण
- वाहनों की संख्या में वृद्धि और उनसे निकलने वाला धुआं।
- सड़कों पर धूल और कचरा जलाने की वजह से उत्पन्न धुआं।
- अनियंत्रित निर्माण कार्य और सड़क खुदाई।
- स्थानीय थर्मल पॉवर प्लांट और औद्योगिक प्रदूषण।
पर्यावरणविदों का कहना है कि सरकार को निर्माण कार्यों के दौरान सख्त नियम लागू करने चाहिए ताकि धूल और प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
स्वास्थ्य पर बुरा असर
बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। खासतौर पर दमा, ब्रोंकाइटिस, टीबी, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। पहले से ही सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह स्थिति और गंभीर हो रही है।
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
- पेड़-पौधों की संख्या में वृद्धि।
- सड़कों को नियमित रूप से साफ रखना और धूल नियंत्रण के लिए पानी का छिड़काव।
- साइकिल और बैटरी से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना।
- सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देना और निजी वाहनों की संख्या को कम करना।
- कचरा जलाने पर सख्त पाबंदी लगाना।
- औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण रोकने के लिए कड़े नियम लागू करना।
- स्मॉग टावर, फॉग मशीन और कृत्रिम वर्षा जैसे तात्कालिक उपाय अपनाना।
प्रशासन की जिम्मेदारी
प्रो. सुरेश चोपणे ने प्रशासन से मांग की है कि प्रदूषण से प्रभावित नागरिकों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाएं और निर्माण कार्यों के दौरान पर्यावरण नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में शहर की हवा और भी जहरीली हो सकती है।