MPCB के छाती पर मूंग दलने की हरकतें, पे-लोडर से धूल उड़ाकर छननी से कोयले की छंटाई
चंद्रपुर :
चंद्रपुर से सटे पड़ोली और नगाला को भी अति प्रदूषित श्रेणी में ही गणना की जाती है। इस परिसर में न केवल एमआईडीसी का प्रदूषण चरम पर हैं, बल्कि करोड़ों के कोयला व्यवसाय पर बरसों से अवैध कोल डिपो का साया ऐसे जकड़ा हुआ है कि इसके प्रदूषण को दूर करने में स्थानीय महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी भी फेल हो चुके हैं। नोटिसें थमाना, रिपोर्ट बनाना, मंत्रालय से शिकायत, मंत्रियों को निवेदन, पालकमंत्री व जिलाधीश की बैठकें, वणी में कोल डिपो को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव आदि सभी विफलता वाली स्कीमें ही साबित हुई है। आज भी MPCB प्रशासन के छाती पर मूंग दलते हुए यहां के अधिकांश कोल डिपो कोयले की छननी करने के लिए दिन-दहाड़े, धड़ल्ले से पे-लोडर का इस्तेमाल करते हुए खुली हवा में धूल को उड़ाकर कोयले की छंटाई करते हुए देखे जा सकते हैं। इस गंभीर वायु प्रदूषण के खिलाफ MPCB, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि कुछ नहीं कर पा रहे हैं। कोयला व्यापारियों के साथ साठगांठ और मिलीभगत का खेल जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
बीते कुछ वर्षों में अवैध कोल डिपो पर प्रदूषण मंडल की ओर से छापेमार कार्रवाई का दिखावा किया गया। वायु प्रदूषण की स्थिति का जायजा लेकर अनेक रिपोर्टें बनाई गई। सरकार और मंत्रालय तक रिपोर्ट पहुंचाई गई। लेकिन ठोस कार्रवाई को लेकर बरसों से एक कदम भी प्रशासन आगे नहीं बढ़ पाया है। चंद्रपुर से सटे पडोली व नगाला में अधिकांश प्रतिबंधित कोल डिपो न केवल शुरू दिखाई पड़ते हैं, बल्कि दिन-दहाड़े अनेक कोल डिपो पर पे-लोडर जैसे भारी वाहन से धूल मिश्रित कोयले को साफ किया जा रहा था। पे-लोडर धूल को हवा में उड़ाकर शेष कोयले को ट्रक में लोड़ करते हुए देखा जाना आम बात बन गई है। यह धूल परिसर के आसमान का धूंधला कर जाता है। वायु प्रदूषण को लेकर MPCB एवं जिला प्रशासन आज तक गंभीर नहीं हो पाया है। जबकि खुद को पर्यावरणप्रेमी कहलाने वाले अनेक मान्यवर भी प्रशासन पर दबाव बनाने में नाकाम ही साबित हुए हैं।
MPCB की खानापूर्ति वाली कार्रवाई के बावजूद बीते अनेक वर्षों से यहां घातक वायु प्रदूषण जारी है। इसके खिलाफ खुद MPCB, जिला प्रशासन, विधायक, सांसद एवं तमाम जनप्रतिनिधि ठोस कार्रवाई करवाने में फेल होना आम जनता के लिए चिंता और चिंतन का विषय बना हुआ है।
यहां के अधिकांश कोल डिपो अवैध है। भारी मात्रा में यहां कोयले का संकलन नहीं किया जा सकता है। MPCB अपने पर्यावरण के नियमों का निरंतर हवाला देते हुए इन्हें अनेक बार नोटिस थमा चुका है। इसके बाद जिलाधीश को रिपोर्ट सौंप दी जाती है। परंतु इन सभी डिपो को बंद करवाने में जिला प्रशासन भी नाकाम ही साबित हुए है।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी के गाइडलाइन के अनुसार जिले में किसी भी कोल डिपो को अनुमति नहीं हैं।