प्यारे जिया खान चंद्रपुर में आकर फेल, 10 हजार करोड़ का घोटाला गायब!

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– समूचे महाराष्ट्र में वाइट कॉलर अल्पसंख्यकों स्कूलों में चल रहा है सरकारी धन लूटने का खेल

– माह बीत गया लेकिन सरकारी धन डकारने वाले किसी पर नहीं लगाया MPDA और MOKA एक्ट

– रिल्स बनाकर सोशल मीडिया पर वाहवाही बटोरने के बाद अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष भूल गये अपना वादा

चंद्रपुर : आजकल नेताओं के वादों और दावों पर जनता को कोई भरोसा नहीं रहा। चंद्रपुर जिले की जनता के लिए एक और बुरी खबर यह है कि कल तक जो महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष (मंत्री दर्जा) प्यारे जिया खान समूचे महाराष्ट्र में अल्पसंख्यकों की स्कूलों द्वारा सरकार का करीब 8 से 10 हजार करोड़ रुपये लूटने का दावा कर रहे थे, वे चंद्रपुर में गत 4 फरवरी 2025 के दौरे के बाद से एकदम खामोश हो गये हैं। करोड़ों के इस घोटालों पर उन्होंने जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की बैठक में दावा किया था कि वे वाइट कॉलर अल्पसंख्य काें स्कूलों के संचालकों के खिलाफ MPDA और MOKA एक्ट के तहत अपराध दर्ज करवायेंगे। लेकिन एक माह बीतने के बावजूद न तो किसी का बाल बांका कर पाएं और न ही किसी घोटालेबाज के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाएं। इनकी प्रशासनिक और सत्ताधारी धमकियों का अब जनता क्या अर्थ निकाले, यह चिंता और चिंतन का विषय बनता जा रहा है। नेताओं के इन दावों को जिला प्रशासन के अफसर कितनी गंभीरता से लेते हैं और नेतागण खुद कितनी गंभीरता से अपने दावों पर अमल करते है? इस पर लोग मंथन करने लगे हैं।

उर्दू स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की डिग्री जांचें : प्यारे खान ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय में केवल मुस्लिम ही नहीं, बल्कि बौद्ध, ईसाई, जैन, सिख और अन्य धर्मों के लोग भी शामिल हैं। सरकार द्वारा इस विभाग के लिए जो धन उपलब्ध कराया जाता है, वह जमीनी स्तर तक पहुँचना चाहिए। केवल धार्मिक शिक्षा से समाज या देश का विकास नहीं होगा, बल्कि आधुनिक शिक्षा से ही देश की तरक्की होगी। सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले अल्पसंख्यक स्कूलों में सभी सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए। इन सुविधाओं की जाँच दोनों शिक्षा अधिकारियों को करनी चाहिए। साथ ही, उर्दू स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की डिग्री और उपस्थिति की भी जाँच होनी चाहिए। यदि अल्पसंख्यक निजी स्कूलों में अत्याधिक फीस ली जा रही हो, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

– कौन-कौन थे बैठक में उपस्थित ?

प्रशासन की ओर से जारी किये गये प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए धन उपलब्ध कराती है, लेकिन अधिकांश लोगों को इन योजनाओं की जानकारी नहीं होती। इसलिए, समाज के समग्र विकास के लिए अल्पसंख्यक विभाग की योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुँचाना आवश्यक है। यह बात महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष (मंत्री दर्जा) प्यारे जिया खान ने कही। वे जिलाधिकारी कार्यालय में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री की नई 15-सूत्रीय योजना की समीक्षा बैठक के दौरान बोल रहे थे। इस अवसर पर जिलाधिकारी विनय गौड़ा, मनपा आयुक्त विपिन पालीवाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रीना जनबंधु, जिला नियोजन अधिकारी संजय कडू, परियोजना निदेशक गिरीश धायगुडे, उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी मीना सालुंके, माध्यमिक शिक्षा अधिकारी राजेश पाताले, प्राथमिक शिक्षा अधिकारी अश्विनी सोनवणे, समाज कल्याण सहायक आयुक्त विनोद मोहतुरे, कौशल विकास सहायक आयुक्त भैयाजी येरमे, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक राजू नंदनवार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

– प्यारे खान के बड़े बोल ! रिल्स की धमकियां हो गई हवा !

4 फरवरी 2025 को महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष (मंत्री दर्जा) प्यारे जिया खान चंद्रपुर जिले के दौरे पर आये। इस दौरे को लेकर शहर भर में अनेक होर्डिंग्स और विविध आयोजन किये गये। जिला प्रशासन के आला अफसरों के साथ बैठक की गई। इस बैठक में प्यारे खान सबकी खिंचाई करते हुए देखे गये। वे अपने साथ नागपुर के कुछ वीडियोग्राफर भी ले आये। इन महाशय ने अधिकारियों को फटकारते हुए इवेंट का वीडियो रिकॉर्ड किया। इस वीडियो को रिल्स बनाकर प्यारे खान महोदय अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दमदार गीतों के साथ पोस्ट कर गये। मानो लग रहा था कि अब शीघ्र ही 10 हजार करोड़ के घोटाले पर सैंकड़ों वाइट कॉलर स्कूल के संचालक सलाखों के पीछे चले जाएंगे। इन पर प्यारे खान महोदय MPDA और MOKA एक्ट का अपराध दर्ज कराकर ही दम लेंगे। लेकिन चंद्रपुर के दौरे के बाद हालात कुछ उल्टे ही नजर आ रहे हैं। न तो किसी अपराधी पर कोई अपराध दर्ज हुआ और न ही प्यारे खान की धमकियों को प्रशासन के अफसरों ने गंभीरता से लिया। एक माह पूर्व हुई यह बैठक महज केवल एक राजनीतिक स्टंटबाजी ही बनकर रह गई।

– सरकारी कर्मचारियों की संख्या में गिरावट

महाराष्ट्र सरकार के आर्थिक और सांख्यिकी निदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2023 के बीच राज्य सरकार में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या 5.71 लाख से घटकर 4.78 लाख हो गई है। वर्तमान में सरकार के कुल स्वीकृत पद 7.24 लाख हैं, लेकिन इनमें से 34% पद खाली हैं। प्रति एक लाख जनसंख्या पर 570 पद स्वीकृत होने के बावजूद, वर्तमान में केवल 377 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं।

– सरकारी नौकरियों में 16 फीसदी गिरावट,  

ईसाई, मुस्लिम और जैन की संख्या घटी  

वर्ष 2015 के बाद महाराष्ट्र राज्य सरकार की नौकरियों में बड़ी गिरावट आई है। 2015 में सरकारी कर्मचारियों की संख्या 5.71 लाख थी, जो घटकर 2023 में 4.78 लाख रह गई। पिछले कुछ वर्षों से राज्य सरकार की नौकरियों में कमी देखी जा रही है। महाराष्ट्र सरकार के विभागों में कार्यरत कर्मचारियों की संख्या दशकों से लगातार घट रही है, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों के कर्मचारियों की संख्या भी कम हुई है। इसके कारण सरकारी नौकरियों में विविधता कम होने की बात कही जा रही है। हालांकि, 2015 से 2023 के बीच आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों की संख्या 68.4% से बढ़कर 71.1% हो गई है, लेकिन इस दौरान ईसाई, मुस्लिम और जैन समुदाय के कर्मचारियों की संख्या 4.74% से घटकर 4.08% रह गई है।

– सरकारी नौकरियों में कटौती का कारण

सरकारी सूत्रों के अनुसार, कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर होने वाला खर्च अधिक होने के कारण, राज्य सरकार को अपने 6.15 लाख करोड़ रुपये के बजट का लगभग 35% इसी पर खर्च करना पड़ता है। इस वजह से सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे कर्मचारियों की संख्या कम करने की नीति अपनाई है। हालांकि, कुल सरकारी कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है, लेकिन वंचित समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों में अवसर बढ़े हैं। इसमें महिलाओं, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), विमुक्त जाति, विशेष पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को अधिक नौकरियां मिली हैं। 2013 में राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 18.32% था, जो 2023 में बढ़कर 23.47% हो गया है। आंकड़ों के अनुसार, महिला कर्मचारियों की संख्या 1.04 लाख से बढ़कर 1.12 लाख हो गई है। इसी तरह, आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों की संख्या 68.4% से बढ़कर 71.1% हो गई है।