ठेकेदारों को करोड़ों की मलाई का लाभ पहुंचाने वाले अफसरों की ऊच्च स्तरीय जांच के लिए अनेक नेताओं ने किया वादा
- बार-बार यूनिट बंद पड़ने के असली दोषी का पता लगवाने अब जनप्रतिनिधि सक्रिय
- साठगांठ, कमिशनखोरी, मिलीभगत, घटिया कोयला, गुणवत्ता की कमी, कामगार आंकड़ों में गड़बड़ी और भ्रष्ट प्रणाली कब तक सहेगी CSTPS ?
चंद्रपुर :
एशिया का सबसे बड़ा बिजली उत्पादन केंद्र अब यहां के भ्रष्ट अफसरों और कुकर्मों के कारण अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। लगातार इस बिजली केंद्रों के करोड़ों के यूनिटों में खराबी आ रही है। चंद अफसरों की मिलीभगत, साठगांठ, कमिशनखोरी, घटिया कोयले की आपूर्ति, साधन सामग्री की गुणवत्ता में कमी, कामगार आपूर्ति के आंकड़ों में भारी गड़बड़ी और भ्रष्ट प्रणाली कब तक CSTPS सहते रहेगी ? यह सवाल अब आम जनता के बीच चर्चा का विषय बनता जा रहा है। जब भी कोई यूनिट बंद हो जाता है तो यहां के मुख्य अभियंता को बलि का बकरा बनाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लेकिन असली दोषी अफसर के गिरेबान तक जांच एजेंसियां पहुंच नहीं पा रही है। इसलिए अब स्थानीय अनेक विधायकों की ओर से यहां के भ्रष्ट मामले को विधानसभा में उठाने और उच्च स्तरीय जांच कराने की तैयारियां चल रही है। आयकर विभाग एवं अन्य विभागों के माध्यम से भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति की जांच कराने की मांग विधानसभा के सदनों में गूंजने का दावा तथा वादा अब नेताओं की ओर से किया जा रहा है।
किंगमेकर शिंदे और वंजारी को किस बात का डर ?
CSTPS में घटिया कोयले की आपूर्ति, गुणवत्ता में गिरावट, ठेकेदारों और व्यापारियों के साथ साठगांठ, कमिशनखोरी यह बात तो किसी से छिपी नहीं है। आखिर वह क्या वजहें रही होगी जो चंद्रपुर के ही नहीं बल्कि एशिया के सबसे बड़े विद्युत निर्माण केंद्र अर्थात CSTPS के नये-नवेले यूनिट बंद पड़ रहे हैं ? इस CSTPS के किंगमेकर अर्थात अधिकारी भूषण शिंदे और दिलीप वंजारी के महान कार्यों के लाभ के बावजूद यह अफसर बंद पड़ने वाली गड़बड़ियों का राज सार्वजनिक करने से डर क्यों रहे हैं ? यूनिट लगातार बंद होने से करोड़ों का नुकसान हो रहा है। जनता को असली वहजों से अवगत कराना चाहिये। इसके बावजूद भूषण शिंदे और दिलीप वंजारी की ओर से न कोई प्रेस कांफ्रेंस लिया जा रहा है और, न ही कोई प्रेसनोट जारी किया जा रहा है। आखिर इन गड़बड़ियों का जवाब जनता को देने से वे डरते क्यों हैं ?
केवल CE को ही क्यों कार्रवाई की बलि चढ़ाई जा रही ?
जनता को यह अच्छी तरह से पता है कि CSTPS में बरसों से घटिया कोयले की आपूर्ति की जा रही है। कोयला एवं अन्य साधन सामग्री की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आम बात बन चुकी है। अफसरों की ठेकेदारों और व्यापारियों के साथ मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है। लाखों-करोड़ों की कमिशनखोरी की बातें अब तो किसी से छिपी नहीं रह गई। जब भी CSTPS के करोड़ों के यूनिट बंद पड़ जाते हैं, तब तब सरकार और जांच एजेंसियां केवल और केवल CE को कार्रवाई के तहत बलि का बकरा बना देते हैं। लेकिन मुख्य अभियंता के पीठ के पिछे मलाई खाने का खेल खेलने वाले अनेक बार बचकर निकल रहे हैं। लेकिन इसे अब जनता समझ चुकी हैं, इसलिए संदेह की सुईयां अब CSTPS के असली दोषियों की ओर इशारा करने लगी हैं।
विशाखापट्टन व चाइना के एक्सपर्ट भ्रष्ट तंत्र के आगे फेल !
CSTPS के किंगमेकर समझे जाने वाले भूषण शिंदे और दिलीप वंजारी, अच्छी तरह से जानते हैं कि यहां के यूनिट बार-बार बंद क्यों पड़ते हैं ? इनके सुधार के लिए स्थानीय इंजीनियरों की टीम घुटने टेक देती हैं। और तो और विशाखापट्टम और चाइना से एक्सपर्ट टीम बुलाना पड़ता है। यह एक्सपर्ट टीम में गड़बड़ियों को दूर नहीं कर पा रही है। अगर कहीं कोई गड़बड़ी है तो वह प्रशासन के भितर ही छिपी है। इस भ्रष्ट तंत्र की गड़बड़ी और गुणवत्ता में खोट पैदा करने वाली नीति को बेनकाब करना होगा। अब आवश्यकता है कि CSTPS के किंगमेकर भूषण शिंदे और दिलीप वंजारी सामने आकर जनता को बताएं कि आखिर यूनिट बार-बार बंद पड़ने का राज क्या है ? इन्हें कोई प्रेस कांफ्रेंस लेना चाहिये या कोई पुख्ता जानकारी के आधार पर प्रेसनोट जारी करना चाहिये। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। आखिर इन गड़बड़ियों का जवाब जनता को देने के लिए भूषण शिंदे और दिलीप वंजारी जैसे सक्षम और दमदार अधिकारी डर क्यों रहे हैं ?
गिरिश कुम्मरवार के बाद अब CE विजय राठौड रडार पर !
करें कोई और भरे कोई ? यही नहीं CSTPS के भितर चल रहा है। पिछले कुछ महिनों में CSTPS के नये-नवेले यूनिट 8 और 9 में खराबी आ गई। पश्चात यह ठप पड़ गये। सरकार ने आननफानन में यहां के CE गिरिश कुम्मरवार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका तबादला कर दिया। इनके स्थान पर CE विजय राठौड को लाकर बिठा दिया गया। लेकिन CSTPS के कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नहीं आया। आज भी पूरे तंत्र पर KingMaker उपअभियंता भूषण शिंदे और वेल्फेयर अधिकारी दिलीप वंजारी का जबरदस्त कब्जा है। मुख्य अभियंता विजय राठौड़ चाहकर भी अपने पद का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अब जब भविष्य में किसी कार्रवाई की गाज गिरेगी तो CE विजय राठौड ही बलि का बकरा साबित होंगे। इस कठिन परिस्थितियों से राठौड खुद को कैसे बचा पाएंगे ? यह सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
मुख्य अभियंता विजय राठौड़ पर किसका नियंत्रण ?
CSTPS के भ्रष्ट कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच करवाना अब बेहद जरूरी हो गया है। वरना सीएसटीपीएस के यूनिट ऐसे ही बंद पड़ते रहेंगे और चाइना के एक्सपर्ट बुलाने के बावजूद यहां की गड़बड़ी दूर नहीं हो पाएगी। सरकार के करोड़ों के नुकसान को बचाने के लिए प्रशासन के अंदर बैठे गड़बड़ी वाले कलपूर्जों को इन यूनिट के बॉयलर से कोसों दूर करना ही होगा। CSTPS के KingMaker भूषण शिंदे और दिलीप वंजारी के महान कार्यों से कैसे यहां के यूनिट फल-फूल रहे हैं ? उपअभियंता और वेल्फेयर अधिकारी मिलकर कैसे मुख्य अभियंता विजय राठौड़ पर नियंत्रण पाकर समूचे बिजली केंद्र में करंट दौड़ा रहे हैं ? यह चिंतन और चिंता का विषय बना हुआ है।
क्या खेल चल रहा है CSTPS में ?
CSTPS में बरसों से घटिया कोयले की आपूर्ति की जा रही है। कोयले की गुणवत्ता की जांच करने वालों की ठेकेदारों और व्यापारियों के साथ साठगांठ है। इसके चलते घटिया कोयला CSTPS के यूनिट के बॉयलर तक पहुंच जाता है और बिजली निर्माण की क्षमता घट जाती है। इसके कारण नये-नवेले यूनिट भी बंद पड़ने लगते हैं। इनमें गड़बड़ियां आ जाती है। स्थानीय अभियंताओं की एक्सपर्ट टीम भी इन गड़बड़ियों को दूर नहीं कर पाती। विशाखापट्टनम से एक्सपर्ट बुलाने पड़ते हैं। तब भी बात नहीं बनती। तो चाइना के एक्सपर्ट को बुलाने का नियोजन करना पड़ता है। सरकार इससे तंग आकर मुख्य अभियंता का तबादला कर देती है। लेकिन हालात नहीं बदलते। जांच कमेटी बैठती है। परंतु करोड़ों के मलाई का खेल जांच कमेटी के मुंह में मलाई भरकर असली दोषियों अर्थात मलाईदार अफसरों और ठेकेदारों को बचा लेती है। लेकिन पब्लिक तो सब जानती है।
अफसर शिंदे और वंजारी का रोल क्या है ?
पिछली बार जब नये-नवेले यूनिट 8 और 9 में खराबी आयी तो सरकार ने पूर्व मुख्य अभियंता गिरिश कुम्मरवार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका तबादला कर दिया। परंतु असली दोषी को कभी खोजा ही नहीं गया। असल में CSTPS के किंगमेकर अर्थात उप मुख्य अभियंता भूषण शिंदे और वेल्फेयर ऑफिसर दिलीप वंजारी को ही माना जाता है। यदि किसी ठेकेदार को अपना काम करवाना हो तो वे मुख्य अभियंता के पास जाने के बजाय सीधे इन 2 अफसरों के पास पहुंच जाते हैं। तय से कम लेबर लगाकर अधिक वेतन निकलवाना हो तो यही अफसर ठेकेदारों को कल्याणकारी मार्ग दिखा सकते हैं। अधिक दर पर ठेके कैसे पाएं जा सकते हैं, इसका मार्गदर्शन भी इन अफसरों के पास उपलब्ध है। पूरे CSTPS को यदि कहीं भी चूना पोतना हो तो इनसे संपर्क किये बिना काम नहीं बन सकता। यूं कहे तो इनका पूरे CSTPS पर जबरदस्त नियंत्रण हैं। इस नियंत्रण को तोड़ पाने में मुख्य अभियंता विजय राठौड बुरी तरह से नाकाम साबित हुए हैं। अब राठौड़ साहब को मुख्य अभियंता कहे या इन KingMaker को सलाम ठोंके, इस तरह की तमाम चर्चा अब न केवल ठेकेदारों में हो रही है बल्कि आम जनता भी इन्हीं 2 अफसरों को CSTPS का देवता मानने लगी है। यूनिट बंद होने की उच्च स्तरीय जांच करने वाली कमेटी बॉयलर और कंट्रोल यूनिट में जाकर जांच करने के बजाय प्रशासन के भितर के भ्रष्ट तंत्र की यदि जांच करेंगे तो अरबों रुपयों के यूनिट बंद होने की नौबत नहीं आएगी। आयकर विभाग की ओर से भी भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति की जांच करवाना बेहद जरूरी बन गया है।