– हाईकोर्ट में जनहित याचिका, उच्चस्तरीय जाँच की मांग
चंद्रपुर : कोयला धोने और धुला हुआ कोयला ही थर्मल पावर स्टेशनों में सप्लाय करने के मामले में संबंधित अधिकारियों की आपसी मिलीभगत के कारण करोड़ों रुपयों पर हाथ साफ किये जाने की शिकायत एक जनहित याचिका द्वारा मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में हाल ही में की गई है| इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जाँच की जाये तथा महानिर्मिति कंपनी, महाराष्ट्र राज्य खनिकर्म महामंडल के भ्रष्ट अधिकारी और संबंधित कोल वाशॅरीज संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये ऐसी याचिकाकर्ता की मांग है| देखना है कोर्ट इस मामले में कौन सा रूख अपनाता है|
वास्तव में यह काफी गंभीर मामला है| जल व पर्यावरण प्रदूषण रोकने हेतु केंद्रीय पर्यावरण, वने व हवामान बदल मंत्रालय ने विगत 21 मई 2020 को एक अधिसूचना जारी कर औष्णिक बिजली निर्मिति केंद्र में धुले हुये कोयले के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी है लेकिन इस प्रतिबंध के बावजूद राज्य के थर्मल पावर स्टेशनों में धुले हुये कोयले का इस्तेमाल जोरोशोरों के साथ बदस्तूर जारी है|, केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्रालय के आदेश का सरासर व खुलेआम उल्लंघन हो रहा है| राज्य की महानिर्मिति (महाजेनको तहत) कंपनी केंद्र की इस अधिसूचना का पालन नहीं कर रही है| जबकि केंद्र और राज्य में अधिक समय से भाजपा गठबंधन सरकार ही सत्ता में है| अगर राज्य सरकार केंद्र का आदेश न मानें तो डबल इंजिन सरकार होने का क्या फायदा? आज भी वहीं पुरानी बाबा आदम के जमाने की 20 प्रतिशत कोयले का नुकसान गृहित धरने वाली कोल वाशॅरीज में कोयले की धुलाई कर थर्मल पावर स्टेशनों में सप्लाई किये जाने वाली विवादास्पद पद्धति चल रही है| यह 20 प्रतिशत कोयला ही समस्या और विवाद की असली जड़ है|
कोयला खदानों से निकला अच्छा कोयला निर्धारित कोल वाशॅरीज में लाना और उसे धुलाने के बहाने 20 प्रतिशत कोयला निकाल लेना तथा बाद में उसे खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेच देना यह इस घोटाले की कार्यपद्धति है, जो चंद्रपुर और यवतमाल जिलों में विगत कई दशकों से जारी है| कोयले के इस काले खेल के कारण चंद्रपुर जिले के घुग्घुस व राजुरा क्षेत्र में तथा यवतमाल जिले के वणी इलाके में कई कोल वॉशरीज स्थापित हुई और बाद में कुछ ही वर्षों में इनके संचालक आबाद हुए व करोड़पति बन गये| एबीसी (इंडिया) भाटिया, इंडो युनिक आदि कोल वाशॅरीज इसमें काफी महत्व रखती है| बताया जाता है कि चंद्रपुर और यवतमाल जिले में कोयला का काला हबिजनेस इस हद तक पनपने में इन कोल वाशॅरीज का बड़ा योगदान है| कहा जाता है कि कोयला चोरी, तस्करी और हेराफेरी को अंजाम देने में उनकी अहम भूमिका रहती आयी है| कुछ मामले पकड़ में भी आये हैं|
माइनिंग अधिकारियों ने सिरियस एक्शन लेते हुए कुछ को सील भी कर दिया था| कुछ कोल वाॅशॅरीज संचालक एवं महानिर्मिति अधिकारियों के खिलाफ मामले भी दर्ज हुए पर यह काला धंधा बंद नहीं हुआ| अवैध कारोबार व आपराधिक गतिविधियां जारी रही| लाखों का कोयला करोड़ों में बिकता रहा और सरकार को अरबों का चुना लगता गया| कोयला माफिया कोयला सम्राट बन गये| महानिर्मिति कंपनी ने महाराष्ट्र राज्य खनिकर्म महामंडल को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है| इसके लिए कंपनी शुल्क अदा करती है| पर क्या उसके अधिकारी अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाते हैं? चर्चा है कि उसमें से कुछ बहती गंगा में हाथ धोने में माहिर है| क्या सच क्या झूठ, क्या कभी यह सामने आयेगा? क्या कभी असली अपराधी बेनकाब होंगे?










