214 उद्योग रेड जोन में और चंद्रपुर MPCB गहरी नींद में

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 चंद्रपुर जिले के औद्योगिक प्रदूषण पर केवल नारें, वादें, बैठकें और घोषणाओं की खैरात

वायु, जल, जमीन, आसमान, खाद्य हर चीज को बना दिया गया जहरीला

प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों का मुनाफा लूट रहे उद्योग

चंद्रपुर:

प्रदूषण का जहर फैलाने वाले उद्योगों पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल (MPCB) के आला अधिकारी इस तरह से मेहरबान हैं कि बरसों से चंद्रपुर जिले के रेड जोन के उद्योगों की संख्या घट ही नहीं पा रही है। लगातार जनता को जहरीला प्रदूषण परोसने वाले उद्योग जिले में 214 के आंकड़ें को छूं रहे हैं और MPCB के अधिकारियों की नींद ही नहीं टूट पा रही है। वे अपने कार्यालय में बैठकर कुर्सियां तोड़ने के अलावा आखिर काम क्या करते हैं ? यह सवाल अब आम जनता को सताने लगा है। और तो और रेड जोन के अलावा ऑरेंज जोन में भी 217 उद्योग कायम हैं। ऐसे में जनता को स्वच्छ हवा, पानी का माहौल दिलाने की जिम्मेदारी आखिर किसकी है ? समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से खानापूर्ति के लिए बैठकें ली जाती है। इन प्रदूषणकारी उद्योगों में ठेके पाते ही जनप्रतिनिधियों की आवाज गुम हो जाती है। केवल नारें, वादें, बैठकें और घोषाणाओं की खैरात बांटने के अलावा कोई ठोस और सकारात्मक पहल होते हुए दिखाई नहीं पड़ रहा है।

131 लोगों ने दम तोड़ा !

पर्यावरण समीक्षा पर अनेक बैठकें होती रहती है। मास्टर प्लान भी तैयार किये जाते हैं। लेकिन जब अमल की बात आती है तो न जाने वह प्लान कहां गायब हो जाता है ? प्रदूषण के चलते होने वाली बीमारियों, न्यूमोनिया व श्वसन के कारण जिले में वर्ष 2016 से 6 हजार 131 लोगों ने श्वसन संबंधित बीमारियों के कारण दम तोड़ दिया। वहीं बीते 10 वर्षों में प्रदूषण के चलते होने वाले टीबी से 887 लोगों की मौत हो गई। कुल मिलाकर गत 10 सालों में 7,018 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इन मौतों के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है ? इस बारे में जागरूक जनता को गंभीरता से सोचना चाहिये।

लोगों के जीवन से खिलवाड़

चंद्रपुर जिले की जनसंख्या वर्ष 2011 की जनगणनना के अनुसार 22 लाख 04 हजार 307 है। वहीं जिले में वेकोलि की 29 कोयला खदानों समेत बल्लारपुर पेपर मिल, अंबुजा, एससीसी, अल्ट्राटेक, माणिकगढ़, दालमिया जैसे 5 बड़े सीमेंट कारखाने, औष्णिक बिजली निर्माण प्रकल्प, सेल का स्टील प्रकल्प, चांदा आयुध निर्माणी, लॉयड मेटल्स, धारीवाल, लोह व फौलाद प्रकल्प, राईस मिल, रसायन के कारखाने आदि 182 से अधिक उद्योग शुरू हैं। इनमें 27,713 कामगारों को रोजगार मिल रहा है। लेकिन 27 हजार लोगों के रोजगार का लाभ के बदले 22 लाख जनसंख्या वाले चंद्रपुर जिले की आबोहवा जानलेवा हो चुकी है।

मौत का दर्दनाक रूप

प्रशासनीक रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों से समूची सच्चाई का खुलासा हो जाता है। हमने वर्ष 2013 से वर्ष 2023 के दौरान के सरकारी आंकड़ों की तुलना की। इन 10 वर्षों के आंकड़ों में जो फर्क महसूस किया गया, वह अधोगति को साफ-साफ दर्शा रहा है। 6,131 लोग तो श्वसन की बीमारयों से मर गये और 887 लोगों को टीबी से मरना पड़ा। कुल 7018 लोगों को प्रदूषण ने मौत के घाट उतार दिया।

प्रदूषण से फेफड़े खराब

वायु प्रदूषण से न्यूमोनिया सहित श्वसन संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है। इससे होने वाली लगभग आधी मौतें वायु प्रदूषण के कारण होती हैं। न्यूमोनिया फेफड़ों का एक तीव्र श्वसन संक्रमण है। इसका कोई एक ही कारण नहीं है – यह हवा में बैक्टीरिया, वायरस या कवक से विकसित हो सकता है। यह फेफड़ों का संक्रमण है, इसलिए सबसे आम लक्षण खांसी, सांस लेने में परेशानी और बुखार हैं।

प्रदूषण के जहरीले तत्वों का असर

ट्यूबरक्लोसिस, क्रोनिक संक्रामक संक्रमण है जो एयरबॉर्न बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण होता है। यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन लगभग कोई भी अंग इससे प्रभावित हो सकता है। ट्यूबरक्लोसिस मुख्य रूप से तब फैलता है जब लोग एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दूषित हवा में सांस लेते हैं जिसे सक्रिय बीमारी है। पार्टिकुलेट मैटर 10 (पीएम10), सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2), नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओ2), कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) और ओजोन (ओ3) – लोगों को टीबी संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं । इसके अलावा, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषक टीबी रोगियों में मृत्यु के जोखिम को बढ़ाते हैं।

लगातार जहरीला हो रहा चंद्रपुर जिला

चंद्रपुर जिले में बढ़ता प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है। वर्ष 2023 में केवल 32 दिन ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर थे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं महाराष्ट्र प्रदूषण मंडल की ओर से लिये गये हवा गुणवत्ता नमूनों की जांच में चंद्रपुर के हालात चिंताजनक बताए गए हैं। इसका इंसानी जीवन पर विपरीत असर हो रहा है। चंद्रपुर विभाग में 13 वायू गुणवत्ता देखरेख केंद्र हैं। जो विविध प्रकार के क्षेत्रों में हैं। प्रत्येक देखरेख केंद्र में सल्फर डायऑक्साइड का स्तर हवे की गुणवत्ता के आधार पर दर्ज किया जाता है। इसका अधिक प्रमाण एमआईडीसी खुटाला और चंद्रपुर में दिखाई पड़ता है। वर्ष 2024 में तो साल के 293 दिन प्रदूषित माने गये।

केवल 73 दिन हमारे जीने लायक

साल भर में सिर्फ 73 दिन स्वच्छ हवा के रहे। बाकी 293 दिन प्रदूषित होने के कारण चंद्रपुर वासियों का दम घुंटता रहा। पिछले साल (2024) में चंद्रपुर की हवा में सूक्ष्मधूल कणों और प्रदूषण का स्तर बेहद चिंताजनक रहा। केंद्रीय और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए 24×7 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग के आंकड़ों के मुताबिक, चंद्रपुर में 366 दिनों में सिर्फ 73 दिन ही स्वच्छ और स्वास्थ्यप्रद थे। जबकि 293 दिन प्रदूषित रहे। इनमें से 140 दिन मध्यम प्रदूषण के, 137 दिन मामूली प्रदूषण के, और 16 दिन बेहद खतरनाक प्रदूषण के दर्ज किए गए।

प्रदूषण के प्रमुख कारण

– महाऔष्णिक बिजली संयंत्र (थर्मल पावर प्लांट) : चंद्रपुर थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाला धुआं और राख।

– वाहनों का धुआं और सड़क की धूल : शहर में बढ़ती गाड़ियों और सड़क निर्माण से उठने वाली धूल।

– औद्योगिक क्षेत्र खुटाला : यहां शहर की तुलना में ज्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया।

2024 के दौरान, 160 दिनों तक PM2.5 का स्तर खतरनाक पाया गया। 144 दिन PM10 का स्तर ज्यादा रहा। बारिश के मौसम में 54 दिन जमीन के करीब ओजोन प्रदूषण और 2 दिन कार्बन मोनोक्साइड का स्तर उच्च था।

स्वास्थ्य पर प्रभाव और समाधान की आवश्यकता

चंद्रपुर में प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे दमा, टीबी, कैंसर, सर्दी-खांसी, आंखों और त्वचा की समस्याओं के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके साथ ही हृदय रोगों के मामलों में भी वृद्धि हो रही है। इलाज पर आने वाला खर्च आम लोगों पर भारी पड़ रहा है।

स्थानीय नेताओं और प्रशासन की भूमिका महत्वपूर्ण

चंद्रपुर महानगर पालिका, जिला परिषद, और क्षेत्र के विधायकों व सांसदों को इस समस्या को प्राथमिकता देकर राज्य सरकार के सामने मजबूती से रखना चाहिए। प्रदूषण को कम करने के लिए :

1. वृक्षारोपण अभियान : अधिक पेड़ लगाकर वायु शुद्धि को बढ़ावा दिया जाए।

2. प्रदूषणकारी उद्योगों पर सख्त कार्रवाई।

3. वाहनों के लिए पर्यावरण-अनुकूल नीतियां लागू करना।

4. सामान्य जनता के बीच जागरूकता बढ़ाना।

चंद्रपुर की हवा में सुधार लाने और नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए त्वरित कदम उठाने की जरूरत है। यह समस्या सिर्फ सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि सामूहिक सहभागिता से ही हल हो सकेगी।