चंद्रपुर:
मूल तहसील और इससे जुड़े अनेक तहसीलें, जो अपनी धान उत्पादन के लिए जाना जाता है, इस समय गंभीर बेरोजगारी की समस्या का सामना कर रहा है। खेती का सिजन खत्म होने के बाद यहां के मजदूरों के पास काम नहीं है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम बंद होने की वजह से मजदूरों को मजबूरन रोजगार की तलाश में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे पड़ोसी राज्यों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। इसके बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं सरकार की ओर से इस गंभीर मुद्दे की अनदेखी की जा रही है।
मजदूरों का पलायन और मिर्ची की खेती :
जिले के मजदूर बड़ी संख्या में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जा रहे हैं, जहां मिर्ची की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इन राज्यों में स्थानीय मजदूरों की कमी होने के कारण महाराष्ट्र के मजदूरों को वहां मिर्ची तोड़ने के काम के लिए बुलाया जा रहा है। ज्यादातर मजदूर तीन से चार महीने के लिए पलायन करते हैं।
मनरेगा के काम ठप :
राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के कारण अधिकतर प्रशासनिक अधिकारी व्यस्त रहे, जिसके चलते मनरेगा के तहत नई परियोजनाओं को मंजूरी नहीं मिल सकी। आदेश जारी न होने के कारण तालुका में फिलहाल रोजगार गारंटी योजना के तहत कोई भी काम चालू नहीं है।
बेरोजगारी का संकट :
मनरेगा की योजना के काम गांव के मजदूरों के लिए एक बड़ा सहारा होते हैं। यह योजना मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराती है, जिससे वे संतुष्ट रहते हैं। लेकिन इस बार काम शुरू न होने के कारण मजदूरों पर बेरोजगारी का साया मंडरा रहा है।
पिछले साल की स्थिति :
पिछले साल मूल पंचायत समिति के तहत 45 गांवों में रोजगार गारंटी योजना के तहत विभिन्न कार्यों का आयोजन किया गया था। इनमें अमृत सरोवर, मामा तालाब, नाला गहरीकरण, वृक्षारोपण, पशुओं के लिए शेड, पगडंडी मार्ग और खेल मैदान जैसी परियोजनाओं पर काम हुआ था। इन परियोजनाओं से स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिला था।
सरकार की नीति पर सवाल :
सरकार की नीतियों में देरी के कारण तालुका में बेरोजगारी का संकट गहराता जा रहा है। मजदूर काम की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण उन्हें कोई रोजगार नहीं मिल रहा।
अंतिम बात
चंद्रपुर जिले के अमूमन सभी तहसीलों के मजदूरों, और खासकर खेत मजदूरों की स्थिति चिंताजनक है। रोजगार गारंटी योजना जैसी योजनाओं का समय पर कार्यान्वयन न होना मजदूरों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन रहा है। मजदूरों का पलायन इस समस्या का संकेत है कि रोजगार के स्थायी साधनों की जरूरत है। सरकार को इस दिशा में शीघ्र कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके बावजूद जिले के जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जो एक चिंता का विषय बना हुआ है।