लाड़ली बहनों को 7500 और अंगणवाड़ी सेविकाओं के लिए 50 रुपये भी नहीं ?

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चंद्रपुर:

महाराष्ट्र सरकार की लाडकी बहिण योजना महिलाओं के सशक्तिकरण और सहायता के लिए शुरू की गई। इस योजना के अंतर्गत, लाखों महिलाओं ने अपने आवेदन जमा किए और उनके खातों में ₹7500 की सहायता राशि भेजी गई। लेकिन इन आवेदनों को भरवाने में अहम भूमिका निभाने वाली अंगणवाड़ी सेविकाओं को अब तक उनका मेहनताना नहीं मिला है, जिससे सेविकाओं में गहरा आक्रोश है।

प्रोत्साहन राशि का वादा अधूरा

इस योजना के अंतर्गत, सरकार ने सेविकाओं को प्रत्येक सफल आवेदन के लिए ₹50 प्रोत्साहन राशि देने का वादा किया था। सेविकाओं, ग्राम सेवकों और आशा वर्करों ने मिलकर महिलाओं से फॉर्म भरवाए और उन्हें योजना का लाभ दिलाया। इसके बावजूद, सेविकाओं को उनकी मेहनत का एक भी रुपया नहीं मिला।

ऑनलाइन आवेदन भरने में आईं कई चुनौतियां

– अंगणवाड़ी सेविकाओं ने अपने नियमित काम के साथ-साथ ऑनलाइन आवेदन भरने का काम किया।

– सरकारी मोबाइल और धीमे इंटरनेट कनेक्शन के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

– फिर भी उन्होंने हर चुनौती पार कर, महिलाओं से आवेदन भरवाए।

सेविकाओं पर बढ़ा काम का बोझ

अंगणवाड़ी सेविकाएं पहले से ही नियमित कार्यों में व्यस्त रहती हैं, जिनमें बच्चों और महिलाओं की देखभाल, पोषण योजनाएं लागू करना, और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में सहयोग करना शामिल है। इसके बावजूद, लाडकी बहिण योजना के लिए उन्होंने अतिरिक्त काम किया।

सरकार द्वारा उन्हें ऑनलाइन आवेदन भरने का प्रशिक्षण दिया गया था, जिसके बाद सेविकाओं ने अनपढ़ और अल्पशिक्षित महिलाओं की मदद की और उनके आवेदन पूरे किए।

संघटनाओं ने उठाई आवाज

अंगणवाड़ी कर्मचारी सभा के जिलाध्यक्ष, इमरान कुरेशी ने सरकार से मांग की है कि जैसे महिलाओं को उनकी सहायता राशि दी गई, वैसे ही सेविकाओं को भी उनकी मेहनत का उचित भुगतान किया जाए। सेविकाओं ने इस योजना को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और उनके साथ किया गया अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

अंत में: मेहनत का सम्मान कब ? 

योजना को सफल बनाने में जिन सेविकाओं ने दिन-रात मेहनत की, उन्हें उनका हक देना सरकार की जिम्मेदारी है। सेविकाओं का कहना है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो वे प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करने पर मजबूर होंगी।