चंद्रपुर जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट :  232 पद हैं रिक्त तो गरीबों का कैसे हो रहा इलाज ?

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चंद्रपुर :

चंद्रपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सुविधाएं तो बढ़ी हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में रिक्त पदों के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर संकट छाया हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिक, जिनका प्राथमिक इलाज सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर निर्भर है, अब इन सेवाओं की कमी से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। जनता का आरोप है कि स्वास्थ्य व्यवस्था “रामभरोसे” पर चल रही है।

अस्पताल चकाचक, लेकिन कर्मचारी कम

जिले में सरकार ने 16 स्वास्थ्य संस्थान स्थापित किए हैं, जो ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं। हालांकि, इन क्षेत्रों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) और उपकेंद्र ग्रामीण मरीजों के लिए मुख्य आधार होते हैं, लेकिन यहां पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं।

गरीब मरीजों का कैसे होगा इलाज ?

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लोगों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। सार्वजनिक टीकाकरण और अन्य बुनियादी सेवाओं का पूरा दारोमदार इन्हीं केंद्रों पर है। कर्मचारियों की कमी के कारण मौजूदा स्वास्थ्यकर्मी अत्यधिक दबाव में काम कर रहे हैं। जनता की मांग है कि जल्द से जल्द रिक्त पद भरे जाएं, ताकि सेवाओं को बेहतर बनाया जा सके।

रिक्त पदों की स्थिति: एक गंभीर समस्या

जिला परिषद स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, स्वीकृत 663 पदों में से केवल 432 पद भरे गए हैं, जिनमें 108 मेडिकल ऑफिसर शामिल हैं। 232 पद अब भी रिक्त हैं। इन खाली पदों के कारण अस्पतालों में कार्यरत कर्मियों पर दबाव बहुत बढ़ गया है।

निजी डॉक्टरों से इलाज करवाने को मजबूर

जिले में एक जिला सामान्य अस्पताल, पांच उपजिला अस्पताल और आठ ग्रामीण अस्पताल हैं। अगर रिक्त पद जल्द नहीं भरे गए, तो गरीब मरीजों को मजबूर होकर निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ेगा, जहां इलाज काफी महंगा है।

कॉन्ट्रैक्ट के डॉक्टरों का सहारा

पिछले दशक में ग्रामीण अस्पतालों में सुविधाओं में सुधार हुआ है, लेकिन डॉक्टर्स और अन्य कर्मचारियों की नियुक्तियां हमेशा अधूरी रहीं। फिलहाल, केवल 61 डॉक्टर स्थायी रूप से कार्यरत हैं, जिनमें से 33 डॉक्टर कॉन्ट्रैक्ट पर हैं और 3 डॉक्टर बॉन्ड पर सेवाएं दे रहे हैं। ग्रामीण अस्पतालों जैसे नागभीड़, सिंदेवाही, गोंडपिपरी, सावली, और पोंभुर्णा में स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी जिम्मेदारी कॉन्ट्रैक्ट डॉक्टरों के कंधों पर है।

डॉक्टर ही नहीं, अन्य पद भी खाली

जिला सामान्य अस्पताल में 34 मेडिकल ऑफिसर्स की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 20 ही कार्यरत हैं। उपजिला अस्पतालों में भी डॉक्टर और अन्य कर्मचारियों की कमी है।

– उपजिला अस्पताल, मूल : 7 में से 5 पद भरे।

– वरोरा : 13 में से 12 पद भरे।

– चिमूर : 12 में से 12 पद भरे।

– राजुरा : 12 में से 11 पद भरे।

– ब्रह्मपुरी : सभी 12 पद भरे।

इसके अलावा, नागभीड़, सिंदेवाही, गोंडपिपरी, सावली, भद्रावती और बल्लारपुर के अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ-साथ अन्य कर्मचारियों के पद भी खाली हैं।

आशा की किरण: जल्द भरे जाएंगे पद

जिला परिषद स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि स्वास्थ्य सेविकाओं के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और जल्द ही उनकी नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएंगे।

अंतिम बात

ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का संकट गहराता जा रहा है। यह न केवल मौजूदा कर्मियों पर दबाव बढ़ा रहा है, बल्कि आम जनता को भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित कर रहा है। अगर जल्द ही रिक्त पदों को भरा नहीं गया, तो हालात और खराब हो सकते हैं।