चंद्रपुर जिले के अनेक तहसीलों में एमआईडीसी के भूखंड तरस रहे उद्योगों के लिए
- न उद्योग आये और न मिल रहा रोजगार
- तहसील स्तर पर बेरोजगारी चरम सीमा पर
चंद्रपुर:
जिले में वेकोलि, बिजली निर्माण, पेपर मिल, सीमेंट उद्योगों के शुरू होने के बाद चंद्रपुर जिले को उद्योग नगरी की पहचान मिली। करीब 4 दशक बीत गये, लेकिन नये उद्योग लाने में सफलता नहीं मिल पायी है। लंबे समय से नये उद्योगों की कमी खल रही है। जिले के अधिकांश MIDC ऐसे हैं, जहां केवल और केवल बोर्ड नजर आता है। MIDC के भूखंड बंजर बन गये हैं। घांस और झाड़ियां उग आयी है। उद्योगों का दूर-दूर तक कोई नामोनिशान तक नहीं है। ऐसे में जिले के शिक्षित युवाओं को बाहरी जिलों में बाहरी राज्यों में रोजगार की तलाश में भटकना पड़ रहा है। जिले में मजदूरों के पलायन की भी समस्या गंभीर बनी हुई है। बेरोजगारी के टाइम बम पर हम बैठे हुए हैं। इस गंभीर समस्या को हल करने में अब तक नाकामी ही मिल रही है।
नागभीड़
नागभीड़ शहर में मौजूद MIDC उद्योग विहिन है। हाल ही में यहां के MIDC परिसर में एक नया बोर्ड लगाया गया है। यहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है। बीते 40 वर्षों से यहां के MIDC की भूमि पर अमीरों ने कब्जा जमाकर रखा हुआ है। 40 वर्ष पूर्व MIDC नागभीड़ की स्थापना की गई थी। उद्योगों के लिए शहर से सटी जमीन आवंटित की गई थी। परंतु इस MIDC के भूखंडों पर व्यापारियों ने कब्जा जमा लिया है। दो-तीन छोटे उद्योगों को यदि छोड़ दिया जाएं तो यह MIDC बंजर बनकर पड़ी हुई है। घांस औ झाड़ियां उग आयी है। यहां के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को तहसील से बाहर जाकर रोजगार करना पड़ रहा है। इस समस्या की ओर स्थानीय प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है।
गोंडपिपरी
तेलंगाना की सीमा से सटे गोंडपिपरी तहसील में भी उद्योगों का अभाव नजर आता है। यहां की MIDC से सटकर नदी बहती है। इसके बावजूद यह MIDC उद्योग विहिन नजर आती है। इस तहसील के निवासी केवल कृषि पर ही निर्भर है। करंजी गांव में औद्योगिक विकास महामंडल ने करीब 35 एकड़ भूमि उद्योगों के निर्माण के लिए आवंटित की थी। वर्ष 1980 के दशक में सरकार ने भूमि अधिग्रहन किया था। परंतु आज तक यहां कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं किया गया। सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि गोंडपिपरी के MIDC में उद्योग लाने में नाकाम ही रहे हैं। तहसील के युवा पड़ोस के तेलंगाना राज्य में रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं। स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते शिक्षित युवाओं में नाराजगी है।
मूल
मूल तहसील के आकापुर मरेगांव में स्थित MIDC बीते 30 वर्षों से उद्योगों की बांट जोह रहा है। यहां के 47 भूखंडों में से केवल 4 भूखंडों पर ही उद्योग चल रहे हैं। शेष भूखंड बंजर पड़े हुए हैं। उद्योग विहिन इस MIDC में कोई बड़ा उद्योग लाने की मांग बरसों से की जा रही है। लेकिन सरकार एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का बेरोजगारी दूर करने एवं उद्योग लाने पर ध्यान नहीं है। शिक्षित बेरोजगार युवकों को मजबूरी में बाहरी जिलों में पलायन करना पड़ रहा है। 30 वर्ष बीत जाने के बावजूद 40 भूखंड बंजर हो जाने से यहां झाड़ियां उग आयी है। रोजगार की समस्या के चलते शिक्षितों में निराशा फैली है। अपराधों का प्रमाण बढ़ रहा है। परंतु उद्योग लाने की दिशा में कोई सकारात्मक पहल नजर नहीं आ रही है। मरेगांव ग्रापं का 47 लाख और आक्कापुर ग्रापं का करीब 20 लाख रुपयों का टैक्स यहां कार्यरत कंपनियों की ओर से अदा नहीं किया गया है।
चंद्रपुर-भद्रावती
चंद्रपुर को किसी समय औद्योगिक जिले की पहचान मिली। लेकिन हालात अब बद से बदतर हो गये है। 27 वर्षों से भद्रावती तहसील में बिजली परियोजना का मसला हल नहीं हो पाया। चंद्रपुर MIDC में कुछ उद्योग तो आये हैं, लेकिन अपेक्षा के अनुरुप यहां का विकास और नये उद्योगों की कमी खल रही है। चंद वर्ष पूर्व चंद्रपुर MIDC में 250 के करीब उद्योग हुआ करते थे। लेकिन अब यहां केवल 80 उद्योग कार्यरत होने की जानकारी है। राज्य सरकार की ओर से उचित सहयोग नहीं मिलने के कारण अधिकांश उद्योग बंद हो गये। इस गंभीर समस्या की ओर से सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं है। वर्ष 1995 के दौरान 1183 हेक्टेयर जमीन निप्पॉन डेन्ड्रो बिजली प्रकल्प के लिए दी गई थी। पानी, रेलवे ट्रैक आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद प्रकल्प साकार नहीं किया जा सका।
पोंभूर्णा
इस तहसील को आदिवासी बहुल और कृषि उत्पादक क्षेत्र माना जाता है। परिसर में बड़े पैमाने पर खनिज संपत्ति होने के बावजूद यहां कोई बड़ा उद्योग नहीं लाया जा सका। तहसील के सभी गांवों में बेरोजगारी की समस्या चरम पर है। MIDC को लेकर लगातार उपेक्षा की जा रही है। बीते 8 वर्षों से यहां की MIDC कागजों पर ही चल रही है। सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का खामियाजा यहां के शिक्षित बेरोजगारों को भुगतना पड़ रहा है।
सिंदेवाही
इस तहसील में बेरोजगारी की समस्या काफी बढ़ चुकी है। अनेक युवा जिले से बाहर जाकर काम करने लगे हैं। स्थानीय MIDC बंजर हो गई है। नये उद्योगों के आने की प्रतीक्षा करते हुए युवा बेरोजगार थक चुके हैं। क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धान फसल का उत्पादन लिया जाता है। इसलिए यहां के MIDC में धान अाधारित उद्योगों को लाने की मांग स्थानीय युवाओं की ओर से की जा रही है। सिंदेवाही MIDC बंजर होने के कारण यहां उद्योगों को लाने और बेरोजगार युवाओं को रोजगार दिलाने की मांग बरसों से की जा रही है। परंतु सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की ओर से इस गंभीर समस्या की लगातार अनदेखी की जा रही है।










