चंद्रपुर :
महाराष्ट्र सरकार के नए मंत्रिमंडल में एक ओर जहां नागपुर से 3 और विदर्भ से कुल 7 नेताओं को मंत्री पद मिला है। वहीं दूसरी ओर औद्योगिक कहे जाने वाले चंद्रपुर जिले के किसी भी विधायक को इस बार मंत्री बनने का सौभाग्य हासिल नहीं हो पाया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार के अलावा बंटी भांगडिया और किशोर जोरगेवार को भी मंत्रिमंडल की सूची से दरकिनार कर दिया गया है। इसके चलते जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी तो है ही साथ ही अब चंद्रपुर जिले का पालकमंत्री कौन बनेगा ? इस मुद्दे को लेकर अनेक कयास लगाये जा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस बार चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री पद की बागडोर भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर बावनकुळे को सौंपी जा सकती है। और गड़चिरोली जिले का पालकमंत्री पद स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस अपने पास रख सकते हैं। जबकि एनसीपी ने इस बार गड़चिरोली के वरिष्ठ नेता धर्मराव बाबा आत्राम को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी।
फडणवीस मंत्रिमंडल में कुल 39 मंत्रियों को शपथ
विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले अर्थात आज शाम नागपुर में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण हुआ। इसमें कुल 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, जिसमें विदर्भ क्षेत्र के 7 नेता शामिल हैं।
नागपुर से 3 मंत्री
राज्य की उपराजधानी नागपुर से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के आशीष जयस्वाल को मंत्री बनाया गया। विदर्भ क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता देते हुए मंत्रिमंडल में 7 नेताओं को शामिल किया गया। इनमें 4 बीजेपी के, 2 शिंदे गुट के, और 1 अजित पवार गुट के एनसीपी नेता शामिल हैं।
विदर्भ से मंत्रियों की सूची
1. देवेंद्र फडणवीस (मुख्यमंत्री) – नागपुर
2. चंद्रशेखर बावनकुले (बीजेपी) – कामठी
3. पंकज भोयर (बीजेपी) – वर्धा
4. अशोक उइके (बीजेपी) – रालेगांव
5. आकाश फुंडकर (बीजेपी) – खामगांव
6. आशीष जयस्वाल (शिवसेना – शिंदे गुट) – रामटेक
7. इंद्रनील नाईक (एनसीपी – अजित पवार गुट) – पुसद
कौन मंत्री बना, कौन नहीं
चंद्रशेखर बावनकुले पहले भी 2014 से 2019 तक मंत्री रह चुके हैं। संजय राठौड़ महाविकास अघाड़ी और बाद में महायुती सरकार में मंत्री थे। शेष सभी नेता पहली बार मंत्री बने हैं। हालांकि, शिंदे सरकार में पहले मंत्री रहे वरिष्ठ बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार और एनसीपी के धर्मराव बाबा आत्राम को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया।
नाराजगी और इस्तीफे की गूंज
शिवसेना (शिंदे गुट) के भंडारा के विधायक नरेंद्र भोंडेकर को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री पद मिलेगा। लेकिन उनका नाम पहली सूची में नहीं था। इससे नाराज होकर उन्होंने पार्टी के उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया है।
राजनीतिक संदेश
विदर्भ क्षेत्र को इस मंत्रिमंडल विस्तार में महत्व दिया गया है, खासकर नागपुर को, जो मुख्यमंत्री और अन्य प्रमुख मंत्रियों का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन वरिष्ठ नेताओं को मौका न मिलना, खासकर सुधीर मुनगंटीवार जैसे कद्दावर नेता को, कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष पैदा कर रहा है। अब देखना होगा कि यह निर्णय आगामी चुनावों में बीजेपी के लिए किस तरह के परिणाम लाता है।
7 बार जीतने पर भी नहीं दिया मंत्री पद
महाराष्ट्र के पूर्व वन मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से पार्टी कार्यकर्ताओं में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। चंद्रपुर जिले से लगातार 7 बार विधायक चुने जाने वाले विदर्भ क्षेत्र के एकमात्र वरिष्ठ बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार को इस बार फडणवीस मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। इस फैसले ने कार्यकर्ताओं को निराश कर दिया है। इसके साथ ही तीन बार विधायक बने कीर्तिकुमार भांगडिया और 2 बार विधायक बने किशोर जोरगेवार को भी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया।
सरप्लस बजट पेश करने वाले मुनगंटीवार पर अन्याय
1990 के बाद यह पहली बार है जब चंद्रपुर जिले को राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला। यह जिला अब तक मुनगंटीवार के नेतृत्व में उनके प्रभावशाली कामों के लिए पहचाना जाता था। चाहे 50 करोड़ पेड़ लगाने की योजना हो या बाघों के पुनर्वास की परियोजना, मुनगंटीवार ने अपने काम से पहचान बनाई है। वह महाराष्ट्र के इकलौते ऐसे वित्त मंत्री रहे हैं जिन्होंने संतुलित और सरप्लस बजट पेश किया। बावजूद इस बार मुनगंटीवार पर अन्याय किया गया। जबकि उनकी मौजूदगी में इस बार के चुनावों में चंद्रपुर जिले से बीजेपी के 5 विधायक चुने गए थे, और सभी को उम्मीद थी कि कम से कम मुनगंटीवार को मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं होने से कार्यकर्ता और पदाधिकारी काफी आहत हैं।
भांगडिया और जोरगेवार को भी किया किनारे
सुधीर मुनगंटीवार की तरह चिमूर के विधायक कीर्तिकुमार उर्फ बंटी भांगडिया, जो लगातार तीसरी बार चुने गए हैं, और किशोर जोरगेवार, जो दूसरी बार विधायक बने हैं, को भी मंत्री पद नहीं मिला। पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि युवा नेताओं में से किसी एक को मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन दोनों को मौका नहीं दिया गया।
चंद्रपुर जिले का कौन बनेगा पालकमंत्री ?
अब चंद्रपुर जिले का पालकमंत्री कौन बनेगा ? इस सवाल को लेकर जिले में सर्वाधिक चर्चा चल रही है। पिछले कई वर्षों से जिले के ही किसी नेता को पालकमंत्री बनाया जाता रहा है। लेकिन इस बार जिले को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिलने के कारण यह सवाल उठ रहा है कि पालकमंत्री कौन होगा ? अगर जिले के बाहर से किसी को आयातित पालकमंत्री नियुक्त किया गया, तो इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी और बढ़ने की संभावना है। इस नाराजगी को खत्म करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर बावनकुले को चंद्रपुर जिले का पालकमंत्री बनाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार बावनकुले के नाम पर मुहर लगने की प्रबल आशंका जताई जा रही है।