चंद्रपुर:
चंद्रपुर में एक ओर मेडिकल कॉलेज का निर्माण 614 करोड़ रुपयों की लागत से वर्ष 2019 से अर्थात बीते 5 वर्षों से जारी है। अब निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और इसे राज्य का पहला हेलिपैड युक्त सरकारी मेडिकल कॉलेज बनाया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर चंद्रपुर जिला सरकारी अस्पताल की कमजोर व्यवस्थाएं एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंकि आज भी प्रशिक्षु डॉक्टरों के भरोसे ही मरीजों का इलाज चल रहा है। आये दिन शिकायतें आती है कि मरीजों के रिश्तेदारों से दवाएं बाहरी दुकानों से मंगवाई जाती है। विविध प्रकार की जांच भी बाहर से करवाने की नौबत है। ऐसे में हेलिपैड और आलिशान करोड़ों की इमारत जैसे चकाचौंध से भले ही आंखों को सुकून मिलता हो, लेकिन गरीब मरीजों को आवश्यक इलाज कब मिलेगा, यह सवाल आज भी बरकरार है।
भविष्य के दावों की चमक : हेलिपैड और नई सुविधाएं
चंद्रपुर मेडिकल कॉलेज में 500 बेड के अस्पताल के साथ नई इमारत तैयार हो रही है, जिसमें राज्य का पहला सरकारी हेलिपैड भी शामिल होगा। हेलिपैड का उद्देश्य गडचिरोली के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात पुलिस और सैनिकों को आपात स्थिति में तेजी से चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है।
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. मिलिंद कांबले ने इसे एक बड़ा कदम बताते हुए कहा कि यह कॉलेज छात्रों और मरीजों दोनों के लिए लाभकारी होगा। टाटा कैंसर अस्पताल के साथ इसका समीपस्थ होना मेडिकल छात्रों को कैंसर उपचार में प्रशिक्षित करने का बेहतरीन अवसर देगा।
हालांकि, इन तमाम आधुनिक सुविधाओं और दावों के बीच इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में पाँच साल लग गए, और यह अब तीन महीने में पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
जमीनी सच्चाई : प्रशिक्षु डॉक्टरों और लचर व्यवस्थाओं के भरोसे अस्पताल
चंद्रपुर जिला अस्पताल, जो क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए एकमात्र सहारा है, बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। ओपीडी और अन्य विभागों में प्रशिक्षु डॉक्टरों के भरोसे मरीजों का इलाज हो रहा है। विशेषज्ञ डॉक्टरों और नर्सों की कमी यहां की स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर रही है।
सिटी स्कैन मशीन लंबे समय से खराब है, और दवाइयों की कमी मरीजों को मजबूर कर रही है कि वे निजी अस्पतालों या मेडिकल स्टोर का सहारा लें। सरकारी छुट्टियों के दौरान सोनोग्राफी सेवाओं का अभाव भी गंभीर मरीजों के लिए संकट पैदा कर रहा है।
विकास और दुर्दशा : एक विरोधाभास
चंद्रपुर मेडिकल कॉलेज के हेलिपैड और भव्य इमारत की खबरें उत्साहजनक हैं। यह प्रोजेक्ट मेडिकल शिक्षा और क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि हो सकता है। वहीं, दूसरी ओर जिला अस्पताल की लचर स्थिति इस बात को उजागर करती है कि न केवल नई इमारतों और सुविधाओं की, बल्कि मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की भी उतनी ही जरूरत है।
आवश्यक कदम : संतुलित सुधार की दरकार
चंद्रपुर जिले के स्वास्थ्य ढांचे को संतुलित करने के लिए प्रशासन को चाहिए कि नई इमारतों और सुविधाओं के साथ-साथ मौजूदा अस्पताल की समस्याओं पर भी ध्यान दिया जाए। विशेषज्ञ डॉक्टरों और बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
आधुनिक हेलिपैड और अत्याधुनिक इमारतें तभी सार्थक हो सकती हैं, जब मौजूदा अस्पतालों में मरीजों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा मिले। हेलिपैड जैसे कदम क्षेत्रीय चिकित्सा को नई ऊंचाई दे सकते हैं, लेकिन उनकी उपयोगिता तभी साबित होगी, जब मरीजों का मूलभूत इलाज स्थानीय स्तर पर मजबूत होगा।