एसटी महामंडल का बड़ा फैसला, इन नागरिकों की मुफ्त एसटी यात्रा बंद!

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Big Decision of ST Maha Mandal, Free ST travel of these citizens stopped!

महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (ST) द्वारा लिए गए हालिया निर्णय ने राज्य भर के लाखों यात्रियों के लिए नई चुनौतियाँ पैदा कर दी हैं। निगम ने समाज के विभिन्न सदस्यों को दी गई यात्रा रियायतें रद्द करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय का समाज के विभिन्न वर्गों, विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

इस फैसले के कारण प्रभाव कॉरपोरेशन द्वारा पिछले साल वरिष्ठ नागरिकों के लिए शुरू की गई “अमृत योजना” बंद कर दी गई है। इस योजना के तहत 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को एसटी बस में मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की गई। यह योजना कई वरिष्ठ नागरिकों को अपने रिश्तेदारों से मिलने, चिकित्सा उपचार के लिए जाने और तीर्थ स्थलों की यात्रा करने में सक्षम बनाती है। लेकिन अब इस रियायत के रद्द होने से कई वरिष्ठ नागरिकों का सामाजिक जीवन सीमित होने की संभावना है।

महिला यात्रियों पर आर्थिक बोझ: इस फैसले से महिला यात्रियों को मिलने वाली आधे किराये की छूट भी बंद हो गई है। इस रियायत से नौकरीपेशा महिलाएँ, विद्यार्थी और ग्रामीण महिलाएँ विशेष रूप से लाभान्वित हुईं। अब जब उन्हें टिकट का पूरा भुगतान करना होगा, तो उनका मासिक खर्च काफी बढ़ जाएगा। इससे महिलाओं की आर्थिक आजादी पर असर पड़ सकता है।

छात्रों और अन्य सामाजिक समूहों पर असर एसटी कॉर्पोरेशन ने कुल 29 सामाजिक समूहों को दी गई रियायतें रद्द कर दी हैं। इनमें छात्र, दृष्टिबाधित व्यक्ति, विकलांग व्यक्ति, शास्त्रीय कलाकार, खिलाड़ी, स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार शामिल हैं। इन सभी संस्थाओं को अब बढ़ी हुई यात्रा लागत वहन करनी होगी। इससे विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

सामाजिक-आर्थिक निहितार्थों का विश्लेषण इस निर्णय के आर्थिक निहितार्थ दूरगामी हैं। वरिष्ठ नागरिकों को बढ़ा हुआ यात्रा खर्च अपनी सीमित पेंशन से वहन करना होगा। इससे कामकाजी महिलाओं के मासिक बजट पर भारी दबाव पड़ेगा। विद्यार्थियों के शैक्षणिक खर्चों में वृद्धि होगी और विकलांग व्यक्तियों को चिकित्सा उपचार के लिए अधिक खर्च करना होगा।

सामाजिक परिणामों को ध्यान में रखते हुए, वरिष्ठ नागरिकों का सामाजिक जीवन सीमित होने की संभावना है। महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है। ग्रामीण छात्रों के लिए शैक्षिक अवसर कम हो सकते हैं। साथ ही कलाकारों और खिलाड़ियों की यात्रा पर भी रोक लग सकती है और उनके काम का दायरा प्रभावित हो सकता है।

वैकल्पिक समाधान की आवश्यकता इस स्थिति से उबरने के लिए कुछ ठोस समाधान की आवश्यकता है। निगम को सभी रियायतें एक साथ रद्द करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से कम करने पर विचार करना चाहिए। सबसे जरूरतमंद श्रेणियों के लिए कुछ रियायतें बरकरार रखी जा सकती हैं, उदाहरण के लिए 80 वर्ष से ऊपर के नागरिक या विकलांग व्यक्ति।

नई योजनाओं के जरिए इस समस्या से निजात पाया जा सकता है। मासिक पास योजना, विशेष छूट कार्ड और कुछ मार्गों पर छूट जैसे विकल्प विचार करने योग्य हैं। इससे एक ओर निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और दूसरी ओर आम नागरिकों को सस्ती परिवहन सेवाएँ उपलब्ध होंगी।

महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के इस निर्णय का समाज के विभिन्न स्तरों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। निगम के लिए जहां अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाना जरूरी है, वहीं सामाजिक जिम्मेदारी को भी ध्यान में रखते हुए फैसले लेना जरूरी है। आम नागरिकों के लिए सस्ती परिवहन व्यवस्था बनाए रखने और जनहित को ध्यान में रखते हुए इस निर्णय पर पुनर्विचार करना आवश्यक है।