मोदी आवास योजना ठप, निधि के लिए भटक रहे OBC लाभार्थी

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चंद्रपुर :

मोदी आवास योजना के तहत चंद्रपुर जिले के मूल तहसील में ओबीसी वर्ग के लाभार्थियों को घर बनाने के लिए मंजूरी दी गई थी। लेकिन कई लाभार्थियों के घरों का निर्माण आधा अधूरा रह गया है। योजना के तहत अगली किस्त के भुगतान में देरी हो रही है, जिसके कारण लाभार्थी बार-बार पंचायत समिति के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इसके बावजूद सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते मोदी आवास योजना को लेकर ओबीसी जनता में रोष पनप रहा है।

क्या हो रहा है ?  

लाभार्थियों की संख्या : मूल तहसील में 1,174 लाभार्थियों को इस योजना के तहत घर निर्माण के लिए मंजूरी दी गई।

निर्माण की स्थिति :

– कुछ घरों का निर्माण नींव तक ही सीमित है।

– कुछ का निर्माण छत तक पहुंचा, लेकिन पूरा नहीं हुआ।

अधूरी किस्तें :  

– लाभार्थियों ने दस्तावेज पंचायत समिति के संबंधित विभाग में जमा कर दिए हैं।

– अगली किस्त जारी न होने के कारण निर्माण कार्य रुक गया है।

लाभार्थियों का दर्द :

लाभार्थियों का कहना है कि अगर अगली किस्त मिल जाए, तो वे अपना घर पूरा कर सकते हैं। लेकिन लगातार पंचायत समिति में चक्कर काटने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल रहा। यह स्थिति उनके लिए तनावपूर्ण बन गई है।

प्रमुख मांगें :

लाभार्थियों ने सरकार से तुरंत धनराशि जारी करने की मांग की है ताकि उनका अधूरा निर्माण कार्य पूरा हो सके।

पंचायत समिति का पक्ष :

मूल पंचायत समिति के आवास इंजीनियर ने बताया कि फिलहाल मोदी आवास योजना के लिए धन उपलब्ध नहीं है। जैसे ही सरकार से धनराशि प्राप्त होगी, लाभार्थियों को भुगतान किया जाएगा।

समस्या का व्यापक प्रभाव :  

1. आर्थिक संकट : अधूरे निर्माण के कारण लाभार्थी आर्थिक और मानसिक तनाव झेल रहे हैं।

2. योजना में बाधा : सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर न मिलने से गरीब और मध्यम वर्ग के लोग परेशान हो रहे हैं।

3. सरकार से उम्मीद : यह योजना गरीब वर्ग के लिए घर का सपना साकार करने के लिए है, लेकिन धन की कमी से यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा।

समाधान की आवश्यकता : 

सरकार को तुरंत इस योजना के लिए धन उपलब्ध कराना चाहिए ताकि लाभार्थी अपने घरों का निर्माण पूरा कर सकें और इस योजना का लाभ सही मायने में उन तक पहुंच सके।

अंतिम बात  

मोदी आवास योजना जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिए धन की कमी न केवल लाभार्थियों के लिए, बल्कि सरकार की विश्वसनीयता के लिए भी चुनौती है। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से कदम उठाने की जरूरत है ताकि गरीबों को उनका घर समय पर मिल सके।